दहेज (Dowry) एक ऐसी कुप्रथा है, जिसके चक्कर में कई लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है. कई बार दहेज देने के चक्कर में लड़की के माता-पिता कर्ज में डूब जाते हैं. दहेज की रस्म
लड़की वालों पर आफत बनकर टूटती है. जान लें कि इस्लाम (Islam) में दहेज को हराम बताया गया है. इसे सरासर गलत कहा गया है. साफ कहा गया है कि अगर किसी चीज की मांग लड़की वालों से लड़के वाले करते हैं तो यह गलत है. ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कोई दहेज मांगता है, उसे लड़की वालों की मर्जी के बगैर लेता है या उन्हें मजबूर करता है तो इससे बरकत और खैर चली जाती है. आइए जानते हैं कि इस्लाम में दहेज के बारे में बताया गया है.निकाह का मतलब
यानी जिस तरह लिबास और जिस्म के दरमियान कोई दूरी नहीं होती और वे एक दूसरे की हिफाजत करते है उसी तरह का ताल्लुक शौहर और बीवी के बीच होना चाहिये।
📚बाहवाला : निकाह की बरकत और दहेज की लानत – पेज :9
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🔸 वही है जिसने पानी से इंसान को पैदा किया और फिर उसको खानदान वाला और ससुराल वाला बनाया, और तेरा परवरदिगार बड़ा क़ुदरत वाला है।
📚सूरह फुरकान 25:54
खुलासा:
इन आयात में अल्लाह ने इंसान की पैदाइश के ज़िक्र के बाद अपने दो बड़े अहसान बताये है एक ये की उसे एक खानदान अता किया दूसरा उसे ससुराल अता किया।
इंसानों की दो जिन्स यानी नर और मादा का एक ही माँ के पेट से पैदा होना अपने आप में खुदा के वजूद की एक बड़ी निशानी है लेकिन इसके साथ अल्लाह ने एक और निशानी का ज़िक्र किया कि किस तरह वो इस पूरी जमीन में इंसानों को आबाद करता है और न सिर्फ आबाद करता है बल्कि इसे एक समाज देता है जिसके बिना इंसान किसी भी मैदान में तरक्की नहीं कर सकता है। बल्कि इस समाज के बिना वो एक हैवान बन कर रह जाता है।
इस अमल में इंसानों की आबादी के तसलसुल का एक सिलसिला बेटो और पोतों से चलता है जो दूसरे घरों से बहुयें लाते है। और एक दूसरा सिलसिला बेटियों और नवासियों का चलता है जो दूसरों के घरों में बहुयें बनकर जाती है।
इस तरह खानदान से खानदान जुड़ता है और एक समाज बनता है और फिर उससे पूरा एक मुल्क बनता है और इस तरह पूरी इंसानियत वाबस्ता हो जाती है।
निकाह पर इज्माअ :
निकाह के फर्ज़ होने पर मुसलमानों का इज्माअ(सर्वसम्मति) है; यानी पूरी दुनिया में मुसलमान इसे फ़र्ज़ समझते है और कोई भी फ़िरक़ा या मसलक निकाह के फर्ज़ होने का इन्कार नहीं करता।
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निकाह करने से आधा ईमान मुकम्मल होता है:
🔸हज़रत अनस बिन मालिक़ (रज़ि.) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्ल. ने फरमाया:
✨ जब आदमी शादी करता है तो उसका निस्फ (आधा) ईमान मुक़म्मल हो जाता है, अब उसे चाहिये कि बाकी आधे ईमान के बारे में अल्लाह तआला से डरता रहे।”
🔀 सनद: इमाम अल बानी ने इसे सहीह कहा है।
📖सूरह रूम 30:21
सबसे पहले आदम अलै. की पैदाइश हुई लेकिन उनके जोड़े को पूरा करने के लिए भी माँ हव्वा को पैदा किया गया, जिससे इस बात की अहमियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मियाँ बीवी के बीच इस पाक रिश्ते की शुरुआत अल्लाह ने जन्नत में की, जबकि कोई और रिश्ता उस वक़्त मौजूद न था।
✅साथ ही आयत से 3 अहम तकाजे हमारे सामने आते है जिनके बिना घरेलू जिंदगी बेकरारी और नफरत से भर जाती है, वो ये हैं:
▪इन तीन ताक़जो को पूरा करने पर ही ये उम्मीद की जा सकती है कि हमारी घरेलू जिंदगी अमन और सुकून का गहवारा बन जाये।
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📌 खुलासा:
🔹इस आयत में अल्लाह ने मियाँ बीवी को ‘एक दूसरे के लिये लिबास’ कहकर निहायत खूबसूरत और जामेअ मिसाल दी है। इस मिसाल में कई हिक्मतें है जैसे:
◆अल्लाह ने इंसानों और जानवरों में एक अहम फर्क ये रखा कि जिस तरह लिबास अल्लाह ने केवल इंसानी बदन के लिये उतारा है उसी तरह निकाह का रिश्ता भी अल्लाह ने केवल इंसानों के लिये मख़सूस किया है। न तो कोई जानवर लिबास पहनता है और न ही निकाह करता है।
रहता है कोई चीज़ उसकी मिसल नहीं और वह हर चीज़ को सुनता देखता है।
📖 सूरह शूरा 42:11
📌 खुलासा
✅इन आयात में अल्लाह ने इंसानों की पैदाइश का जिक्र किया है कि किस तरह उसने आदम और हव्वा के जोड़े से इंसानियत को पूरी दुनिया में फैला दिया।
✨ अल्लाह ने खास जोर लफ्ज़ ‘जोड़ा‘ पर दिया है, अल्लाह ने मियाँ और बीवी को एक जोड़ा करार दिया है। और हम जानते हैं कि ‘जोड़े’ (Pair) में एक चीज दूसरे को पूरी करती है, दोनों एक दूसरे के Complementary-पूरक होते है, दोनों एक दूसरे के बिना पूरे नहीं होते। ऐसा ही ताल्लुक एक मियाँ और एक बीवी के दरमियान भी होता है।
♻ फिर साथ ही अल्लाह ने इस निकाह के जरिये वजूद में आने वाले रिश्ते नातों को जोड़ने का हुक्म दिया है।
✨ नबी सल्ल. का इरशाद है ::
◆ और अल्लाह ने इस आयत में ये भी कहा कि निकाह और इससे वजूद में आने वाले रिश्तो के बारे में इंसान को डरते रहने चाहिये और किसी का भी हक़ नहीं मारना चाहिये क्योंकि अल्लाह हमारी हर हरकत की निगरानी कर रहा है।
✨ नेक बीवी : बेहतरीन मताअ ✨
🔹 हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ि से रिवायत है कि रसूलल्लाह सल्ल. ने फ़रमाया:
✨ दुनिया मताअ है और इस दुनिया का बेहतरीन मताअ नेक और सालेह बीवी है।
✒ लफ्ज़ ‘मताअ‘ के मायने पूँजी, बरतने(इस्तेमाल) की चीज, या फ़ायदेमंद चीज के होते है।
◆ इस लिहाज से नबी सल्ल. ने इस दुनिया की सारी पूँजी और फायदेमंद चीजों से बढ़कर एक नेक बीवी को बेहतरीन मताअ करार दिया है।
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✨सच्ची मुहब्ब्त सिर्फ मियाँ बीवी के बीच ही पैदा हो सकती है✨
🔹 हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि से रिवायत है कि रसूलल्लाह सल्ल. ने फ़रमाया :
✨ तुमने निकाह (यानी शौहर और बीवी) के जैसे दो बाहम मुहब्बत करने वाले नहीं देखे होंगे।
♻ सनद: सहीह
▪निकाह के जरिये मियाँ बीवी में आपसी मुहब्बत अल्लाह तआला ही डालता है, जैसा कि इरशाद ए बारी तआला है :
🔸….और तुम लोगों के दरमियान प्यार और शफकत पैदा कर दी इसमें शक नहीं कि इसमें ग़ौर करने वालों के लिये (क़ुदरते ख़ुदा की) यक़ीनन बहुत सी निशानियाँ हैं
📖 सूरह रूम 30:21
📌 खुलासा:
हम देखते हैं कि किस तरह दो अनजान लोग इस निकाह की बरकत से ऐसे मजबूत रिश्ते में बंध जाते है कि एक दूसरे के ख्याल, एक दूसरे की फिक्र और एक दूसरे पर रहम और शफक्कत के मामले में ऐसी मिसाल कहीं और नजर नहीं आती।
और न केवल इन दो लोगों बल्कि दो खानदानों के बीच एक बहुत मजबूत रिश्ता बन जाता है।
●कुछ जाहिल इस मुहब्बत की वजह केवल जाहरी खूबसूरती और जिन्सी तकाजो को करार देते हैं लेकिन हकीकत में इस मुहब्बत की वजह इससे बढ़कर आपसी रिश्तों और आने वाली नस्ल की फिक्र होती है।
जो लोग इस मुहब्बत की बिना सिर्फ जाहरी खूबसूरती पर रखते हैं उनका रिश्ता दिन गुजरने के साथ कमजोर होता जाता है, लेकिन आपसी रिश्तों (जैसे सास ससुर वगैरह) और औलाद की परवाह करने वालों के लिये दिन ब दिन ये रिश्ता मजबूत होता जाता है।
ये इसी मुहब्बत का नतीजा है कि एक मर्द रिश्तों की पासबानी के लिये और अपनी औलाद को हलाल लुकमा खिलाने के लिये मेहनत मशक्कत करता है और एक औरत इन रिश्तों को निभाने में और औलाद की परवरिश में अपने आराम और वक़्त की कुर्बानी देती है।
ये पाक बाज मियाँ बीवी ही होते है जो अपने स्वार्थ और आराइशों को छोड़ कर अपने घर गृहस्थी को बेहतर बनाने की कोशिशें करते हैं। ऐसे ईमानदार कार्यकर्ता और ऐसे ईमानदार सेवक खानदान के इस इदारे के अलावा कहीं नहीं मिलते जो इंसानी नस्ल को बेहतर बनाने के लिये बिना मुआवजा मेहनत करें और अपना वक़्त, अपना आराम, अपनी ताक़त और काबिलियत यानी कि अपना सब कुछ घर खानदान को मजबूत करने में लगा दे।
इस पाक और बेहतरीन निजाम के बरख़िलाफ़ आज के दौर में, जो लोग नाजायज़ तौर पर गैर महरम मर्द या औरत(जैसे boyfriend girlfriend) से मिलते हैं उनके अंदर न तो इन रिश्तों का तकद्दुस होता है न आने वाली नस्ल की परवाह। ऐसे लोग निरे स्वार्थी और निकम्मे होते हैं और इससे भी बढ़कर अल्लाह के निजाम के खिलाफ बगावत करने वाले होते है। जिस निकाह के निजाम (System) को अल्लाह ने मर्द और औरत की इज्जत की हिफाजत और आने वाली नस्लों के लिये परवरिश का गहवारा बनाया, ये जालिम लोग उसके खिलाफ इश्कबाजियाँ या सही अल्फाज में दगाबाजियाँ करके समाज में ऐसे नासूर छोड़ते है, जिनका जिक्र करने से भी हम कतराते हैं।
▪मसलन : इन गैर फ़ितरी मुलाकातों (Dates) से ही शरीफ घरानों की इज्जतें सड़क पर आती है, औलादें घर छोड़ जाती है, हर जगह बेहयाई फैलती है, हराम औलादें पैदा होती है, गर्भपात होते है, बहला फुसला कर बलात्कार किये जाते है, ख़ुदकुशियाँ होती है, हत्याऐं की जाती है… खुलासा ये है कि बहुत सी समाजी बुराईयाँ इसी सोच से जन्म लेती है की सच्ची मुहब्ब्त को बिना निकाह के हासिल किया जाये।
इसके उलट सही तरीके से निकाह से वो जोड़े वजूद में आते है जो निकाह होने के बाद आपसी मुहब्ब्त, ख़बरगीरी, हिफाजत और तरबियत का वो माहौल पैदा करते हैं कि उनकी पिछली और अगली दोनों नस्लें और साथ ही पूरा मुआशरा उनके एहसानमंद होते हैं और ऐसे ही मियाँ बीवी एक भले समाज की नींव की ईट बन पाते है।
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नेक शौहर-बीवी जन्नत में भी साथ रहेंगे
✨ नेक लोगों से कयामत के दिन कहा जायेगा:
✨ और जन्नत में उन जोड़ो का हाल इस तरह बताया गया:
✨और इनके साथ के लिये अल्लाह के अर्श को थामने वाले मुकर्रब फरिश्ते भी अल्लाह से दुआ करते हैं :
رَبَّنَا وَأَدْخِلْهُمْ جَنَّاتِ عَدْنٍ الَّتِي وَعَدتَّهُمْ وَمَن صَلَحَ مِنْ آبَائِهِمْ وَأَزْوَاجِهِمْ وَذُرِّيَّاتِهِمْ ۚ إِنَّكَ أَنتَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ
📌 खुलासा:
◆ इन क़ुरआनी आयात से साफ पता चलता है कि नेक मियाँ बीवी का साथ इस दुनिया के बाद जन्नत में भी हमेशा बरकरार रहेगा।
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निकाह की हिक्मत
🔸(ऐ नबी सल्ल.) मोमिन मर्दों से कहो कि अपनी नज़रों को नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें यही उनके लिये ज्यादा पाकीजा तरीका है, वो लोग जो कुछ करते हैं ख़ुदा उससे यक़ीनन ख़ूब वाक़िफ है।
🔸और (ऐ नबी सल्ल.) मोमिन औरतों से भी कह दो कि वह भी अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने बनाव सिंगार को (किसी पर) ज़ाहिर न होने दें मगर जो खुद ब खुद ज़ाहिर हो जाता हो (उसका गुनाह नही) और अपनी सीनों पर ओढ़नियों के आँचल डाले रहे……
📖 सूरह नूर 24:30-31
रिवायत :- सहीह
✒ सहीह बुखारी की हदीस 5066 के मुताबिक निकाह, नजरों की हिफाजत का जरिया है।
💫जन्नत की गारण्टी खुद अल्लाह के रसूल सल्ल. ने दी है।
💫 ऐसे लोगों की अल्लाह के जरिये दुनिया में भी खुसूसी मदद की जाती है।
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