Tuesday 19 September 2023

क्या पीएम नरेंद्र मोदी जी गंदगी और प्रदुषण जैसी समस्या पर बोल कर देंगे देश को कचरा मुक्त...?

एस एम फ़रीद भारतीय
भारत आज विकसित देशों से साथ खड़ा है, देश को पीएम का सपना है कि देश विकास के साथ सुंदरता मैं भी नम्बर वन नहीं तो कम से कम टॉप 10 देशों मैं अपना नाम दर्ज करा ले और ये संभव है, मौजूदा पीएम ही इस समस्या का समाधान बाखूबी कर सकते हैं, समाधान भी आसान है, आधा कचरा

Following in the footsteps of grandmother, what does Rahul think? What is Rahul doing, let us tell...?

S M Farid Bhartiye,
 "Awaaz Do News"
 Nandlal Sharma writes, the time was 1977. Then Congress suffered a crushing defeat in the Lok Sabha elections. Ram Naresh Yadav of Janata Party had won.  Just a few days after the elections, Ram Naresh Yadav was made the Chief Minister of UP.  After this, by-election was announced in Azamgarh. The year had changed. In this by-election of 1978, Congress decided not to contest first, but suddenly Indira Gandhi took a big decision and fielded Mohsina

कानून के रखवाले जब कानून से करें खिलवाड़...?

भारत का संविधान के तहत मौलिक अधिकारों की गारंटी संविधान द्वारा दी गई है, इनमें से एक अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत प्रदान किया गया है जो इस प्रकार है...?

एस एम फ़रीद भारतीय 
28 अप्रैल 2023 के अपने फ़ैसले मैं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरोपी का मूलभूत अध‍िकार है

सीएजी ने किया भारत मैं 7 महा घोटालों का पर्दाफ़ाश...?


एस एम फ़रीद भारतीय 
कई मंत्री और अधिकारियों पर लटकी तलवार, सीएजी के एक घोटाला पर्दाफ़ाश ने विदा कर दी थी मनमोहन सरकार, अब तो सात बड़े घोटालों को किया है उजागर, क्या होगा मौजूदा सरकार का...?

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक

दादी के नक़्शे क़दम पर, क्या सोच है राहुल की क्या कर रहे हैं राहुल, चलिए बताते हैं...?

एस एम फ़रीद भारतीय,
"आवाज़ दो न्यूज़"
नन्दलाल शर्मा लिखते हैं, समय था 1977 का. तब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली. जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने जीत हासिल की थी. चुनाव के कुछ दिन बाद ही राम नरेश यादव को यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया गया. इसके बाद आजमगढ़ में उपचुनाव का ऐलान हुआ. साल बदल गया था. 1978 के इस उपचुनाव में कांग्रेस ने पहले न लड़ने का फैसला किया, लेकिन एकाएक इंदिरा गांधी ने बड़ा फैसला किया और मोहसिना किदवई को मैदान में उतार दिया. मोहसिना नामांकन से पहले ही आजमगढ़ आकर प्रचार में लग गईं तो जनता पार्टी में खलबली मच गई. मोर्चा संभालने आए जॉर्ज फर्नांडीज, जॉर्ज 10 दिन आजमगढ़ में रुके और रामवचन यादव के साथ घर-घर गये. अटल बिहारी वाजपेयी, चौधरी चरण सिंह, राजनारायण और मधु लिमये जैसे नेता भी चुनाव प्रचार में ताल ठोंक गए. 

कोई उम्मीद नहीं कर रहा था कि बाराबंकी से आकर मोहसिना चंद्रजीत यादव और रामवचन यादव जैसे मंझे हुए खिलाड़ियों को टक्कर दे सकती हैं, लेकिन चुनाव की कमान खुद इंदिरा गांधी ने संभाल रखी थी. इंदिरा गांधी करीब एक हफ्ते तक आजमगढ़ में रहीं. सरकार के दबाव में उन्हें होटल तक नहीं मिला तो उन्होंने चंडेश्वर, कप्तानगंज सहित कई मंदिरों में दिन-रात बिताए और मोहसिना के लिए वोट मांगे. 

इंदिरा गांधी ने अपनी आखिरी मीटिंग में बहुत ही भावनात्मक भाषण दिया. उन्होंने कहा था कि उनका मकसद चुनाव जीतना नहीं है. वह तो सिर्फ इतना चाहती हैं कि उनको लेकर लोगों में जो भी नाराजगी है, वह खत्म होनी चाहिए. नतीजा ये हुआ कि हारी हुई बाजी पलट गयी. मोहसिना किदवई 1.30 लाख मत हासिल कर सांसद चुनी गयीं...

राहुल गांधी यही तो कर रहे हैं बस. जो उनकी दादी ने किया. राहुल गांधी का लक्ष्य दिलों को जीतना ही है. और दिलों को जीतने वाला कब देश जीत ले ये गोदी मीडिया के जरिए मैन्युफैक्चर्ड कंसेंट गढ़ने वाले कभी नहीं समझ पाएंगे. राहुल गांधी का संघर्ष जनता के सामने है. राहुल गांधी उनका दुख दर्द बांट रहे हैं तो खुले मैदान में पालथी मार उनकी बातें सुन रहे हैं. और हो क्या रहा है, जनता खुश है. अपने नेता को अपने बीच पाकर, वह उन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन एप्रिकोट खिला रही है. अपने हाथों से जूस पिला रही है और राहुल गांधी के हाथों ही ड्रोन उड़ाना सीख रही है. 

उस मासूम की आंखों में देखना जिसने राहुल गांधी को जूस का गिलास पकड़ाया था. उस आदमी का उत्साह देखना जो उन्हें एप्रिकोट खिलाता है. उस अम्मा के भाव महसूस करना जो राहुल गांधी को अपने दरमियां पाकर सलाम करती हैं. वो बाइक राइडर्स ऐसे ही नहीं कहते हैं कि सर आपने हमें संवेदना की ताकत समझा दी. ये राहुल गांधी का असर है. 

लद्दाख वाले वीडियो में एक जगह राहुल गांधी की बाइक छोटे-छोटे पत्थरों से भरे रास्ते पर रूक जाती है. राहुल गांधी गाड़ी संभालते हैं. स्टार्ट करते हैं और फिर निकाल ले जाते हैं सपरीले रास्तों पर... ऐसा एक जगह और होता है, अगर कोई दूसरा नेता होता तो शायद ये हिस्सा हटवा देता या उसकी टीम एडिट कर देती, लेकिन राहुल गांधी ऐसा नहीं करवाते हैं. उन्हें संघर्ष और असफलताओं को छुपाना नहीं आता. जो है आपके सामने है. राहुल खुद को महामानव की तरह नहीं पेश करते हैं. यही ईमानदारी देश ढूंढ़ रहा है. 

भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस की गाड़ी दौड़ा दी है. अब वे दिलों को जीतने निकले हैं. माहौल आजमगढ़ वाला ही है. लेकिन राहुल गांधी हाथरस से लेकर मणिपुर तक लोगों के दुख दर्द को सुन रहे हैं. लद्दाख के बियांबान से लेकर सोनीपत के खेतों तक लोगों की मन की बात सुन रहे हैं. लोग भी राहुल गांधी को जानना चाहते हैं. बतियाना चाहते हैं और उनसे अपने मन की बात करना चाहते हैं... फिर कह रहा हूं दिलों को जीत लेने वाला कब देश जीत ले, ये ना तो जनता पार्टी को पता चल पाया था और ना ही भारतीय जनता पार्टी को पता चल पाएगा...

सच का सामना करना और देश की जनता को कराकर उसे नये भारत की बुनियाद बनाना यही राहुल का सपना है, शहीद पिता ने देश को तरक्की की राह दिखाई और आज वो उसी राह को मज़बूती के साथ देश के युवाओं को साथ मिलकर उनके जीवन तक पहुंचाना चाहते हैं, जहां हर हाथ रोज़गार हो, बीते इन दस सालों मैं जो भारत ने खोया है उसे पाया जा सके, ये सपना नहीं हकीकत बनेगा इन शा अल्लाह.

हिंदू ख़तरे मैं है कहने और कहकर डराने वालों से सवाल...?

दुनियां के मुस्लिम देश में रहने वाले हिंदुओं की संख्या (करीब करीब कुछ इस तरहां है)  इंडोनेशिया- 44,80,000 , मलेशिया- 20,40,000 ,...