Sunday 26 November 2017

अलाऊद्दीन खिलज़ी कौन था एक नज़र ?

अलाउद्दीन खिलजी (वास्तविक नाम अली गुरशास्प 1296-1316) दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था, वो एक विजेता था और उसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था। इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था। वह अपने मेवाड़ चित्तौड़ के विजय अभियान के बारे में भी प्रसिद्ध है, ऐसा माना

Saturday 25 November 2017

दहेज दिखावा ओर खाने की बर्बादी को रोके सैफ़ी समाज ?

सम्पादक की कलम से 
9997554628
आज जब शादी ब्याह का सीजन चल रहा है तब देखने को मिल रहा कि लोग एक दूसरे से आगे निकलने के चक्कर मैं सब कुछ भूलते जा रहे हैं दहेज के लेन देन ओर दिखावे के साथ खाने की नुमाईश ने ग़रीब बहन बेटी वालों का जीना हराम कर दिया है, आज एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है क्या ये सही है, इसे सही कहा जा सकता है, क्या करना चाहिए ये सब रोकने के लिए, क्या

Friday 24 November 2017

बिन ब्याही मां की आप बीती पूरा सच ?

कैथरीन के साथ उस शख़्स ने बलात्कार किया जिसे वह अपना दोस्त समझती थीं.
इसके बाद वह वह गर्भवती हो गईं. कैथरीन ने बताया कि उन्होंने गर्भपात क्यों नहीं कराया और वह अपने बच्चों की आंखों में क्यों नहीं देख पाती हैं.
मैं दो बच्चों वाली एक सिंगल पेरेंट थी. मैं उसे जानती

सरकार भटकी हुई है ट्रेन भटक गई तो क्या ?

दिल्ली में किसान रैली में हिस्सा लेने महाराष्ट्र से पहुंचे 1500 किसान. लेकिन वापसी का रास्ता ट्रेन से भटक गए, ये आरोप है ट्रेन में सफर करने वाले किसानों का. हालांकि रेलवे इस घटना से इनकार कर रहा है.
18 नवंबर को कोल्हापुर से दिल्ली आने के लिए महाराष्ट्र के किसानों के लिए एक स्पेशल ट्रेन की बुकिंग कराई गई, ये बुकिंग किसानों के लिए काम करने वाली संस्था

बरनी क्या हैं ?

ज़ियाउद्दीन बरनी (जन्म - 1285; मृत्यु - 1357) भारत का इतिहास लिखने वाले पहले ज्ञात मुसलमान, जो दिल्ली में सुल्तान मुहम्मद बिन तुग़लक़ के नदीम (प्रिय साथी) बनकर 17 वर्षों तक रहे.
ज़ियाउद्दीन बरनी का जन्म 1285 ई. में सैय्यद परिवार मे हुआ था, ज़ियाउद्दीन बरन आधुनिक बुलन्दशहर के रहने वाले थे, इसीलिए अपने नाम के साथ बरनी लिखते थे, इनका बचपन अपने चाचा 'अला-उल-मुल्क' के साथ व्यतीत हुआ, जो अलाउद्दीन ख़िलजी के सलाहकार

क्यूं चुनाव कराये जा रहे हैं जब एक पार्टी के लिए ही काम करना है ?

एस एम फ़रीद भारतीय
उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में ईवीएम में कथित गड़बड़ी के मामले को राज्य निर्वाचन आयोग ने महज़ अफ़वाह बताया है, जबकि राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया में इसे लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है.

राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कुछ जगह मशीनों में तकनीकी ख़ामियां ज़रूर थीं जिन्हें तत्काल बदल दिया गया, लेकिन सत्ताधारी पार्टी

जब केंद्रीयमंत्री पर भड़की छात्रा ?

सोशल मीडिया पर बुधवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक महिला इम्फाल एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस पर अपनी भड़ास निकालती नजर आईं.
वीडियो में महिला ने आरोप लगाया कि उनके (मंत्री के) वीआईपी मूवमेंट की वजह से उनकी फ्लाइट तय समय पर नहीं उड़ पाई. वो समय पर अपने घर नहीं पहुंच पाएंगी

सच मैं भारत बदल रहा है चार साल के बच्चे ने किया बलात्कार ?

चार साल का बच्चा यौन हिंसा कर सकता है, ये सवाल अपने-आप में बहुत मुश्किल है लेकिन इसका जवाब ढूंढना बेहद ज़रूरी ?
दिल्ली में रहने वाली एक महिला का आरोप है कि उनकी चार साल की बच्ची के साथ स्कूल में यौन हिंसा हुई है. बच्ची का मां का कहना है कि एक हमउम्र बच्चे ने उनकी बेटी के प्राइवेट पार्ट पर पेंसिल से चोट पहुंचाई.
महिला ने इस बारे में पुलिस में शिक़ायत भी दर्ज कराई है. उनका कहना

साहब ये कैसा भारत जहां आज भी डायन हैं ?

भारत के कई हिस्सों में आज भी एक ऐसी कुप्रथा है जो ज़िंदगी इतनी मुश्किल कर देती है कि कुछ महिलाएं तो जीने की चाह से ही परे हो जाती हैं.
कई प्रदेशों में महिलाएं डायन प्रताड़ना का शिकार हुईं. इसका असर कुछ ऐसा होता है कि न सिर्फ़ महिला का बल्कि उसके पूरे परिवार का जीवन ही बदल जाता है.
राजस्थान के भीलवाड़ा की 80 वर्षीय रामकन्या देवी को उनके घर

सीबीआई जज की मौत की जाँच हो- जस्टिस शाह

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस एपी शाह ने कहा है कि महाराष्ट्र में दिसंबर 2014 में हुई जज ब्रजगोपाल हरकिशन लोया की मौत की परिस्थितियों की जांच की जानी चाहिए.
'द वायर' को दिए एक इंटरव्यू में जस्टिस शाह ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ख़ुद ये निर्णय करना होगा कि इस मामले में

दिल्ली में महिलाओं के उत्पीड़न का आज ज़िम्मेदार कौन ?

क्या यही होना चाहिए देश की राजधानी दिल्ली मैं ?
मैं बात कर रहा हुँ एक गैर-सरकारी संगठन एनजीओ की ओर से सूचना का अधिकार आरटीआई के तहत दायर अर्जी पर मिले जवाब से खुलासा हुए सवाल पर कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर रोज औसतन 11 महिलाओं का अपहरण हुआ.
दिल्ली में 'अपराध एवं पुलिसिंग की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में प्रजा फाउंडेशन ने कहा कि 2016 में शहर में दर्ज अपहरण के 50 फीसदी से ज्यादा मामले महिलाओं से

Wednesday 22 November 2017

शक के सबसे बड़े घेरे में शाह ?

एस एम फ़रीद भारतीय
सोहराबुद्दीन केस के जज की संदिग्ध मौत पर उठे सवाल

बेख़ौफ़ पत्रकारिता को नए मायने देकर अंग्रेजी पत्रिका कारवां ने उधेड़ी जज बृजगोपाल की सनसीखेज मौत पर जमीं रहस्य की परतें, जज बृजगोपाल कर रहे थे सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई.

नई दिल्ली- 26 मई 2014 को दिल्ली में मोदी सरकार स्थापित हो चुकी थी और चार महीने बाद महाराष्ट्र में भी बीजेपी के हाथ सत्ता आ चुकी थी। पूरे देश में भगवा परचम लहरा रहा था लेकिन मुंबई की सीबीआई अदालत में सोहराबुद्दीन हत्याकांड के मामले में अब भी बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के सर पर इन्साफ की तलवार लटक रही थी। इसी बीच महीने भर के अंदर यानी 30 नवंबर 2014 को सोहराबुद्दीन हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी।

जज मौत: सांसदों के धरने के बाद भी शाह के खिलाफ खबर की हिम्मत नहीं जुटा पाए दिग्गज पत्रकार

जज लोया की मौत को सरकार से लेकर मीडिया ने दबा दिया। अगले 30 दिन बाद यानी 30 दिसंबर 2014 को जज लोया की जगह दूसरे जज एमबी गोसावी ने अमित शाह को सोहराबुद्दीन हत्याकांड के इस चर्चित कांड से बरी कर दिया।

जज लोया के परिवार ने अब इस समूचे घटनाक्रम पर गंभीर सवाल उठाए हैं। परिवार का कहना है कि जज की मौत के पीछे गहरी साज़िश है। उनके कपड़ों पर खून के छींटे थे, लेकिन गुनाहों के ये दाग हमेशा के लिए मिटा दिए गए और पूरे परिवार को अंधेरे में रखा गया।

48 वर्षीय जज बृजगोपाल की संदिग्ध मौत के तीन साल बाद उनके परिवार ने डरते-डरते जुबान खोली है। जस्टिस लोया सीबीआई अदालत में सोहराबुद्दीन शेख, पत्नी कौसर के फर्जी मुठभेड़ में हत्या के ट्रायल की सुनवाई कर रहे थे। इस हत्याकांड के केंद्र में गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह थे।

परिवार का कहना है-संदेहास्पद परिस्थितियों में जस्टिस लोया का शव नागपुर के सरकारी गेस्टहाउस में मिला था। इस मामले को तत्कालीन भाजपा सरकार ने हार्टफेलियर का रूप दिया। लेकिन कई अनसुलझे सवाल इस मौत पर आज भी जवाब मांग रहे हैं। जस्टिस लोया सुनवाई के जिस निर्णायक मोड़ पर थे, निर्णय देने वाले थे, उसकी हम हकीकत में बाद में बताएंगे। पहले जानते हैं कि उनके परिवार ने इस संदिग्ध मौत पर कौन-कौन से सवाल उठाए हैं।

परिवार के सात सवाल

1-जस्टिस लोया की मौत कब हुई, इस पर अफसर से लेकर डॉक्टर अब तक खामोश क्यों हैं। तमाम छानबीन के बाद भी अब तक मौत की टाइमिंग का खुलासा क्यों नहीं हुआ

2-48 वर्षीय जस्टिस लोया की हार्ट अटैक से जुड़ी कोई भी मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी, फिर मौत का हार्टअटैक से कनेक्शन कैसे

3- उन्हें वीआइपी गेस्ट हाउस से सुबह के वक्त आटोरिक्शा से अस्पताल क्यों ले जाया गया

4-हार्टअटैक होने पर परिवार को तत्काल क्यों नहीं सूचना दी गई। हार्टअटैक से नेचुरल डेथ के इस मामले में अगर पोस्टमार्टम जरूरी था तो फिर परिवार से क्यों नहीं पूछा गया

5-पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के हर पेज पर एक रहस्मय दस्तख्वत हैं, ये दस्तख्वत जस्टिस लोया के कथित ममेरे भाई का बताया गया है। परिवार का कहना है-संंबंधित हस्ताक्षर वाला जस्टिस का कोई ममेरा भाई नहीं है

6-अगर इस रहस्यमय मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी तो फिर मोबाइल के सारे डेटा मिटाकर उनके परिवार को 'डिलीटेड डेटा' वाला फोन क्यों दिया गया

7-अगर मौत हार्टअटैक से हुई फिर कपड़ों पर खून के छींटे कैसे लगे।

संघ कार्यकर्ता की भूमिका पर सवाल

जज का परिवार इस पूरे मामले में एक संघ कार्यकर्ता की भूमिका को संदेहास्पद मानता है। इसी संघ कार्यकर्ता ने सबसे पहले परिवार को हादसे की जानकारी दी। इसी कार्यकर्ता ने बाद में डिलीट किए डेटा वाला जज का मोबाइल भी परिवार को सौंपा।

ये सवाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने के लिए भले काफी हों, मगर इससे बड़ा सवाल पूरी व्यवस्था की नींद उड़ाने वाला है। सवाल यह है-मौत के 30 दिन बाद नए जज ने अमित शाह को इस सनसनीखेज मामले से बरी कैसे कर दिया। यही नहीं जांच एजेंसी सीबीआई ने अमित शाह के केस में डिस्चार्ज होने के बाद चुप्पी क्यों साध ली। केस की अपील उच्च न्यायालय में क्यों नहीं की।

जस्टिस लोया की मौत का घटनाक्रम

अंग्रेजी पत्रिका कारवां से बात करते हुए जस्टिस लोया की बहन अनुराधा, भांजी नुपूर और पिता हरकिशन का कहना है- यकीन नहीं होता कि जज बृजगोपाल की हृदयगति रुक जाने से मौत हुई। परिवार का कहना है-30 नवंबर 2014 को जस्टिस लोया साथी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में शरीक होने नागपुर आए थे। उनके रहने का इंतजाम वीआइपी गेस्ट हाउस में हुआ था। अगले दिन परिवार को बताया गया जस्टिस लोया की हार्टअटैक से मौत हो गई।

है कोई जवाब ?

Sunday 12 November 2017

पत्रकारिता क्या है ?

एस एम फ़रीद भारतीय
पत्रकारिता करने के इच्छुक छात्रों और आमजन के लिये एक छोटी सी कोशिश, सबसे पहले जान लें पत्रकारिता एक बहुत ही पवित्र ओर हिम्मत का काम है, इसकी गरिमा को बनाये रखना भी बहुत ज़रूरी है.
आज बदलती दुनिया, बदलते सामाजिक परिदृश्य, बदलते बाजार, बाजार के आधार पर बदलते शैक्षिक-सांस्कृतिक परिवेश और सूचनाओं के अम्बार ने समाचारों को कई कई प्रकार दे डाले हैं.
कभी उंगलियों पर गिन लिये जाने वाले समाचार के प्रकारों

क्या है हमारे भारत का संविधान ओर विशेषताऐं ?

एस एम फ़रीद भारतीय
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ, इसका निर्माण एक संविधान सभा ने किया था जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुयी थी,11 दिसम्बर 1946 को डाँ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया था, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को तैयार कर लिया था, संविधान बनने में कुल 2 वर्ष वर्ष, 11 महीने तथा 18 दिन का समय लगा.

जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतंत्र दिवस के

राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर डॉ सालिम अली की याद

एस एम फ़रीद भारतीय 
राष्ट्रीय पक्षी दिवस प्रत्येक वर्ष '12 नवम्बर' को मनाया जाता है, 12 नवम्बर (1896) डॉ. सालिम अली का जन्म दिन है, जो कि विश्वविख्यात पक्षी विशेषज्ञ थे, इन्हें भारत में "पक्षी मानव" के नाम से भी जाना जाता था.

पक्षी विशेषक्ष सालिम अली के जन्म दिवस को 'भारत सरकार' ने राष्ट्रीय पक्षी दिवस घोषित किया हुआ है, सालिम अली ने पक्षियों से सम्बंधित अनेक पुस्तकें लिखी थीं, 'बर्ड्स ऑफ़ इंडिया'

Thursday 9 November 2017

पपीते के पत्तों की चाय कैंसर का रामबाण ?

पपीते के पत्तों की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म

पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।

अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।

ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी, जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।

कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।

विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।

University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधों से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता हैं, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती हैं, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती हैं जिनमें मुख्य हैं:-

breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला हैं, अगर पपीता की पत्तियाँ कैंसर को खत्म नहीं कर सकती हैं तो कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती हैं।।

तो आइये जाने पपीता की पत्तियाँ कैंसर को कैसे खत्म करती हैं ?

1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।

2. पपीता की पत्तियों में papain नामक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका का शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सिर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।
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कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जान लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।

1. 5 से 7 पपीता के पत्तों को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा लें फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर कर दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। मगर ध्यान रहे कि इसको दोबारा गर्म मत करें।

2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अब इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।

पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।

कब तक करें ये प्रयोग ? वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी.

हिंदू ख़तरे मैं है कहने और कहकर डराने वालों से सवाल...?

दुनियां के मुस्लिम देश में रहने वाले हिंदुओं की संख्या (करीब करीब कुछ इस तरहां है)  इंडोनेशिया- 44,80,000 , मलेशिया- 20,40,000 ,...