Thursday 12 November 2020

फिर भी बदनाम इस्लाम क्यूं...?

दोस्तों एक बड़ा सवाल आज आपके साथ देश और दुनियां के उन लोगों के सामने है जो सिर्फ़ ज़ुबानी तौर पर इस्लाम पर इल्ज़ाम लगाते हैं, ये जानकारी हर उस आदमी के पास होनी चाहिए जो  अहिंसा मैं विश्वास रखता है, जैसे मुस्लिमों और इस्लाम को आतंकवादी कहा जाता है जबकि दुनियां मैं सबसे बड़ा आतंकवाद हिरोशिमा और नागासाक़ी था, अब आते है ऐसे मुल्कों पर जहां हर तरहां का जुर्म आसमान को छू रहा है मगर बदनाम मुस्लमान और इस्लाम को किया जाता है क्यूं...?

*दुनिया में वेश्यावृत्ति की उच्चतम दर वाले 10 देश.*
  1. थाईलैंड (बुद्ध)
  2. डेनमार्क (ईसाई)
  3. इतालवी (ईसाई)
  4. जर्मन (ईसाई)
  5. फ्रेंच (ईसाई)
  6. नॉर्वे (क्रिस्टन)
  7. बेल्जियम (ईसाई)
  8. स्पेनिश (ईसाई)
  9. यूनाइटेड किंगडम (ईसाई)
  10. फ़िनलैंड (ईसाई)
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  *दुनिया के सबसे ज्यादा डकैती दर वाले 10 देश.*
  10. डेनमार्क और फिनलैंड (ईसाई)
  9. जिम्बाब्वे (क्रिस्टन)
  8. ऑस्ट्रेलिया (क्रिस्टन)
  7. कनाडा (ईसाई)
  6. न्यूजीलैंड (ईसाई)
  5. भारत (हिंदू)
  4. इंग्लैंड और वेल्स (ईसाई)
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका (ईसाई)
  2. स्वीडन (क्रिस्टन)
  1. दक्षिण अफ्रीका (ईसाई)

  *दुनिया में सबसे ज्यादा शराब की लत वाले देश.*
  1) मोल्दोवा (क्रिस्टन)
  2) बेलारूसी (ईसाई)
  3) लेथुआनिया (ईसाई)
  4) रूस (क्रिस्टन)
  5) चेक गणराज्य (ईसाई)
  6) यूक्रेनी (ईसाई)
  7) अंडोरा (ईसाई)
  Christian रोमानियाई (ईसाई)
  9) सर्बियाई (ईसाई)
  10) ऑस्ट्रेलिया (ईसाई)

  *दुनिया में सबसे अधिक हत्या दर के साथ है.*
  1. होंडुरास (ईसाई)
  2. वेनेजुएला (ईसाई)
  3 बेलीज (ईसाई)
  4 अल सवडोर (ईसाई)
  5 गीतामाला (ईसाई)

  *दुनिया में सबसे खतरनाक गैंगस्टरवाद का.*
  1 यक़ुज़ा (गैर मुस्लिम)
  2 एगबरोस (ईसाई)
  3 वाह Cing (ईसाई)
  4 जमैका पॉज़ (ईसाई)
  5 प्रायरियो (ईसाई)
  6 आर्यन ब्रदरहुड (क्रिस्टन)
  7 रक्त (क्रिस्टन)
  8 18 वीं स्ट्रीट गैंग (क्रिस्टन)
  9 द मुंगिकी (ईसाई)
  10 मारा साल्वारुचा (ईसाई)

  *दुनिया में ड्रग कार्टेल्स के बड़े नाम.*
  1 पाब्लो एस्कोबार-कोलंबिया (ईसाई)
  2 Amado carello-Columbia (क्रिस्टन)
  3 कार्लोस लेहदर-जर्मन (ईसाई)
  4 ग्रिसेल्दा ब्लैंको-कोलंबिया (ईसाई)
  5 जोकिन गुज़मैन-मेक्सिको (क्रिस्टन)
  6 राफेल कारो- मेक्सिको (क्रिस्टन)

  *फिर भी दुनियां मैं इस्लाम को हिंसा का कारण क्यों कहा जाता है, अगर किसी के पास इस सवाल कि जवाब है तब हमको ज़रूर बतायें, ये सभी जानकारी दुनियां के देशों के बारे मैं गूगल से ली गई हैं, इन जानकारियों को दुनियां का हर देश अपने यहां जुर्म के आधार पर सरकारी आंकड़ों मैं दर्ज करता है...?*

न्यूज़ पोर्टल और नये नियम कानून क्या हैं आईये जानते हैं...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
दोस्तों सुना ही होगा डॉटा सस्ता और आटा महंगा, मगर इसी डॉटा से आटा कमाया जा सकता है कैसे यही आज हम आपको बतायेंगे ही नहीं बल्कि अगर आप हमारी मदद लेना चाहेंगे तब हम पूरी ईमानदारी से आपकी मदद भी करेंगे, तो चलिए आगे बढ़ते हैं.
जब से भारत में जिओ (Jio) आया है तभी से भारत मैं  सस्ती इंटरनेट सेवा (Internet) शुरू हो चुकी है, या यूं कहें कि नेट क्रांति के बाद से इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में अचानक से भारी मात्रा में वृद्धि हुई है, अब पहले की तुलना में और भी अधिक लोग इंटरनेट से रूबरू हो चुके है, बड़े-२ शहरों की बात को तो छोड़िये अब तो गांव कस्बे और गली मुहल्ले के लोगो के लिए भी इंटरनेट बड़ी ही आसान और सस्ती चीज़ हो गई है.

अगर सच माने तो एक कंपनी के आंकलन के मुताबिक 2025 में भारत में इंटरनेट उपभोगताओं (Internet Users) की संख्या लगभग 10 करोड़ 10 लाख (110 Million) होने वाली है.

अगर हम बताये जा रहे आंकड़ों की माने तो भारत ही नहीं दुनियां मैं इंटरनेट पर लोग सबसे अधिक समय समाचार पढ़ने, देखने के लिए बीताते है, ऐसे में जो भी लोग समाचार तथा इस इंडस्ट्री (News Industry) से जुड़े है उन्हें काफी अधिक फायदा हो रहा है, लोगों को मनचाही ख़बर आसानी से मिल जाती है.

हर दिन समाचार वाली वेबसाइट (Website) पर आने वाले लोगो की संख्या बढ़ते ही जा रही है, ऐसे में जो भी लोग न्यूज़ वेबसाइट (News Website / News Portal) चला रहे है इससे काफी अच्छी कमाई भी कर रहे है। तो आइये समझते है की आखिर न्यूज़ पोर्टल (News Portal) क्या होता है?  और न्यूज़ पोर्टल से किस तरह से कमाई की जा सकती है? (News Portal Earning).

न्यूज़ पोर्टल क्या होता है? News Portal Kya Hota Hai...?
न्यूज़ पोर्टल (news portal) एक खास तरह की वेबसाइट होती है जहां पर आप किसी भी तरहां के छोटे बड़े समाचार (ख़बरों) को पढ़ते है, दूसरे शब्दों में कहे तो जो वेबसाइट नियमित तरीके से ताजा ख़बरों और समाचारों से आपको अवगत कराने के लिए सोशल मीडिया यानि इंटरनेट पर प्रकाशित (publish) करते हैं, उसे सरल भाषा मैं कहें या देहाती भाषा मैं, लोग न्यूज़ पोर्टल (news portal) कहते हैं.

अगर आप इंटरनेट पर समाचार पढ़ते होंगे तो आपको नीचे दिए गए किसी ने किसी न्यूज़ पोर्टल से सामना जरूर हुआ होगा, सीधे शब्दों में कहते तो आज हर टीवी चैनल, समाचार पत्र अपना न्यूज़ पोर्टल चला रही है और उसके माध्यम से पाठकों तक लेटेस्ट अपडेट (latest update) पंहुचा रही है।

न्यूज़ पोर्टल के उदहारण हैं...?
https://www.nbtvindia.in 
या अन्य कोई और वेबसाइट.

न्यूज़ पोर्टल से कमाई कैसे होती है...? 
(News Portal Earning)
एक न्यूज़ पोर्टल को शुरू (Start a News Portal) करने के बाद आप कई तरीकों से कमाई कर सकते है, हालाँकि न्यूज़ पोर्टल से कमाई करने में जो सबसे अधिक प्रचलित तरीका है वह है विज्ञापन (Advertisements) के जरिए ही है.

यानि आपके वेब पोर्टल पर ख़बरों के बीच में विज्ञापन (Ads) होगा जिसके माध्यम से आप कमाई कर सकते है, लेकिन अब यह प्रश्न उठता है की आखिर न्यूज़ पोर्टल पर विज्ञापन देगा कौन, ये आयेगा कहां से...?

इस सवाल का जवाब है, विज्ञापन एजेंसी (Ad Agency) से, जैसे आप नेट पर अपनी वेबसाइट बनाकर ख़बरों से नाम व पैसा कमाना चाहते हैं ऐसे ही बहुत से लोग इंटरनेट पर बहुत सी ऐसी विज्ञापन एजेंसी बनाकर पैसा कमा रहे हैं जो इस फ़ील्ड के माहिर हैं, वही आपकी मदद करेंगे, वही आपके न्यूज़ पोर्टल पर पाठकों की संख्या (Traffic) के आधार पर आपको विज्ञापन (advertisements) दिलायेंगे, बस आपको ज़रूरत है अपने समाचार और ख़बरों से अपने पोर्टल पर भीड़ को लाना यानि देखने सुनने वालों को जमा करना.

इसके साथ ही दूसरा तरीका यह भी है कि आप खुद अपने शहर, कस्बे, गांव व ज़िले की विभिन्न कम्पनियों व अलग-२ तरह के छोटे बड़े दुकानों से विज्ञापन लेकर अपने पोर्टल की ख़बरों के बीच लगा सकते है.

विज्ञापन के अलावे भी न्यूज़ पोर्टल से कमाई करने के कई तरीके है जिसमे एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) अदि शामिल है.

अब सवाल है कि आप न्यूज़ पोर्टल कैसे शुरू करे...? Start News Portal, न्यूज़ पोर्टल को शुरू करने के लिए कई तरह की मूलभूत जरूरते है जिसे आपको पूरा करना होता है, सबसे पहले बजट और ख़ुद को पत्रकारिता का ज्ञान होना ज़रूरी है.

अभी से डरिए मत ये सभी जरूरते काफी साधारण है...!
सबसे पहले तो आपको पत्रकारिता के ज्ञान के साथ अपने आसपास की ख़बरों से अपडेट रहना होगा, यानि सही ख़बरों को जानना और समझना होगा, जिस भी तरह का न्यूज़ वेबसाइट या पोर्टल आप शुरू करेंगे उस क्षेत्र से जुड़ी हर छोटी बड़ी ख़बर के बारे में आपको पता होनी चाहिए, साथ ही ख़बर की सच्चाई और ईमानदारी ही आपको पत्रकारिता मैं यक़ीन और विश्वास के काबिल बनाती है.

लिहाज़ा इसके लिए आपकी लेखनी अच्छी होनी चाहिए, जिससे आप ऐसा लिख सके जो आपके पाठकों के बहुत आसानी से समझ मैं आ सकें, आपको पत्रकारिता के मूल सिद्धांत और नियमों की जानकारी भी होना ज़रूरी है, इसी के साथ आपको कंप्यूटर और इंटरनेट के बारे में आम लोगों से थोड़ी अधिक जानकारी होनी चाहिए, लेकिन यहां आप किसी को आप पत्रकार के रूप मैं नियुक्त नहीं कर सकते हैं ये सोचने का विषय है.

क्यूं भागीदार नहीं कर सकते तब आईये ये भी आपको बताते हैं...?
मान लो आप अगर किसी बस मैं मुफ़्त की सवारी कर रहे हैं तब क्या आप उस बस की बाकी सवारियों से पैसा वसूल कर सकते हैं, जिसमें आप ख़ुद मुफ़्त सवारी कर रहे हैं...?

नहीं कर सकते सही कहा ना, ऐसे ही अगर आप किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर फ़्री मै अपने लेख, समाचार या कोई वीडियो बनाकर डाल रहे हैं तब आप अपने किसी दोस्त साथी भाई या भारत देश के नागरिक को अपने लिए कैसे काम करने वाला यानि पत्रकार नियुक्त कर सकते हैं, ये ग़ैर कानूनी और ठगी माना जायेगा...?

इसके अलावा अगर आप एक डोमेन लेकर एक छोटी सी वेबसाइट बना भी लेते हैं तब भी आप उसूलों को हिसाब से सही से पत्रकारिता को नियम के साथ देश के संविधान को नहीं समझ रहे हैं, क्यूंकि हर नागरिक आपकी तरहां आज़ाद है, जब तक उसकी मर्ज़ी ना हो तब तक आप उसे अपने से छोटा सहभागी नहीं बना सकते, वो भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर, जैसा कि अधिकतर लोग कर रहे हैं, वो एक छोटी सी वेबसाइट बनाकर ख़ुद को सम्पादक के साथ ना जाने क्या क्या समझने लगते हैं और पत्रकार बनाने की घोषणा भी करते रहते हैं, ये सब भी ग़ैर कानूनी और ठगी मैं ही आता है.

न्यूज़ पोर्टल शुरू करने में कितना खर्च लगता है...?
कहने को आप न्यूज़ पोर्टल को बिना एक पैसे खर्च किए भी शुरू किया जा सकता है जैसे यूट्यूब पर, फ़ेसबुक पर या फिर किसी और सोशल नेटवर्किंग साइट पर, लेकिन अगर आप डोमेन और होस्टिंग लेते है तो कुछ खर्च जरूर आता है, शुरुआती दौर में यह खर्च 5 हजार सालाना से भी कम होता है, मगर असल मैं ये न्यूज़ पोर्टल नहीं न्यूज़ की वेबसाइट होती है, मगर इसी को अधिकतर लोग पोर्टल कहते भी और समझते भी हैं लेकिन हम आपको समझाते हैं फ़र्क क्या है.

दोस्तों असल मैं न्यूज़ पोर्टल एक तरहां से सैटेलाइट चैनल का छोटा रूप है, जैसे न्यूज़ चैनल का बजट आठ करोड़ से लेकर बीस करोड़ है, ऐसे ही असल न्यूज़ पोर्टल का बजट भी पचास लाख से दो करोड़ के बीच होता है, बस फ़र्क इतना है कि सेटेलाइट चैनल आपके घर मैं टीवी पर बिना नेट के चलता है, जबकि न्यूज़ पोर्टल इन्टरनेट के साथ मोबाइल, टीवी या कम्प्यूटर पर भी देखा जा सकता है, जिसको एक हैवी या मध्यम नेट सर्वर के साथ प्रसारित किया जाता है, यही असल मैं न्यूज़ पोर्टल होता है इसके लिए आपके पास अपनी एक कम्प्लीट वेबसाइट और मध्यम वेब सर्वर तो ज़रूर होना चाहिए, जिसपर आपकी ख़बर बिना किसी सहारे के अपलोड की जा सके, जबकि छोटी वेबसाइट वालों को बाकी सोशल नेटवर्किंग साइटों का सहारा लेना पड़ता है, ये न्यूज़ पोर्टल नहीं कही जा सकती.

अगर आपको अपना ख़ुद ता नेटवर्क खड़ा करना है और पत्रकारों की टीम के साथ बिजनेस की टीम भी बनानी है तब आपको सही मैं मध्यम सर्वर के साथ वेब पोर्टल बनाना चाहिए, इसके लिए सबसे पहला रास्ता अपनी एक अच्छी वेबसाइट के साथ एक अच्छा वेब सर्वर होना ज़रूरी है, शुरू मैं आप छोटे सर्वर से काम चला सकते हैं मगर बढ़ती जिसको वीवर्स और ट्रेफ़िक भी कहा जाता है,  जिसके बढ़ने के साथ ही आपको अपने इस सर्वर को भी बड़ा और मज़बूत करना होगा, तब आप बाकी सोशल नेटवर्किंग साइटों का सहारा अपने विस्तार यानि ट्रेफ़िक भीड़ बढ़ाने के लिए ले सकते हैं.

 दोस्तों अगर आपके अंदर भी ऊपर दिए गए कुछ मूलभूत गुण और बजट है तब आप भी एक कामयाब कमाई वाला न्यूज़ पोर्टल शुरू करके घर बैठे पैसे कमा सकते है और अपने पाठकों के बीच समाचार और ज्ञान की परंपरा का विस्तार कर सकते है, जो समाचारपत्र या पत्ररिकाओं से बेहतर और कम मेहनत वाला है, अगर आप कोई  पत्रिका निकालते हैं तब आपको बड़ी मेहनत करनी होगी इसे छापने से लेकर बेचने तक, जो बहुत मुश्किल काम है, क्यूंकि पत्रिका वही बिकेगी जिसकी ख़बरें दमदार होंगी वरना आपको घर से पैसा लगाना होगा, जबकि न्यूज़ पोर्टल मैं बस आपको दिमाग के साथ एक जगह मेहनत करनी होगी.

न्यूज़ पोर्टल कैसे शुरू करे...?
अगर आप न्यूज़ पोर्टल शुरू करना चाहते है तो आप हमारे फ़ोन नंबर 9808123436 पर संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है.

सवाल क्या न्यूज़ पोर्टल का रजिस्ट्रेशन करना होता है...?

जी अभी तक भारत में न्यूज़ पोर्टल को रजिस्टर करने के लिए कोई मज़बूत नियम कानून मौजूद नहीं था, ऐसे में लोगों ने बिना किसी रजिस्ट्रेशन के आराम से न्यूज़ पोर्टल चलाये हैं, लेकिन आज ही केंद्र सरकार ने कानून बनाया है, लेकिन अभी पूरे नियम कानून तय नहीं हुए हैं, लिहाज़ा फिर भी पत्रकारिता के नियम व कानूनों के साथ भारतीय संविधान का अध्ययन ज़रूर कर लें, वरना ऐसा ना हो आप किसी मुसीबत या परेशानी मैं घिर जायें.

नया नियम कानून 2020 क्या है...?
सरकार अब ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट प्रोवाइडर्स को ‘सूचना-प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) के दायरे में ले आई है। इसके लिए सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। नौ नवंबर को जारी इस अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने वेब फिल्म्स, डिजिटल न्यूज और करेंट अफेयर्स कंटेंट को सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन लाने के आदेश को मंजूरी दे दी है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन (Regulation of Digital Media) टीवी से ज्यादा जरूरी है। अब सरकार ने ऑनलाइन फिल्मों के साथ ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम, ऑनलाइन समाचार और करंट अफेयर्स के कंटेंट को सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने का कदम उठाया है।

इस बारे में सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को आप यहां पढ़ सकते हैं.


आपको ये जानकारी कैसी लगी हमको ज़रूर बतायें, हमें आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा...!

Monday 2 November 2020

नया समाचारपत्र या पत्रिका शुरू करने के लिए क्या करें...?

यहां बताया जा रहा है कि आप कैसे शुरू करें अपना नया समाचार पत्र...?

"एस एरम फ़रीद भारतीय"
अकसर लोगों के पास यह जानकारी नहीं होती है कि नया समाचारपत्र या पत्रिका निकालते वक़्त करना क्या चाहिए. कृपया एक बार पढ़कर या इसे कापी करके ना रखें बल्कि लगातार इसके अपडेट्स सरकारी ऑफिसियल वेबसाईट http://www.rni.nic.in पर देखते रहें ताकि आप बदलते नियमों से भी परिचित हो सकें.

इस जानकारी देने का मक़सद आपको उन दलालों से भी दूर रखना है जो आपको आरएनआई के नाम पर ठगते हैं, आपको बता दें आरएनआई समाचारपत्र या पत्रिका के रेजिस्ट्रेशन के लिए ना तो कोई फ़ीस लेता है और ना ही आप वहां बिना समय लिए मिलने जा सकते हैं, क्यूंकि आरएनआई बाकी सरकारी कार्यालयों से अलग या यूं समझें जैसे पासपोर्ट कार्यालय का काम होता है ठीक इसी तरहां या इससे भी अधिक नियमों का पालन करता है, आरएनआई की चेतावनी के बाद भी अकसर सुनने को मिलता है कि समाचारपत्रों के नामांकन के पर ठगी की जा रही है, लिहाज़ा ऐसे लोगों से सावधान ही ना रहें, बल्कि इसकी सूचना आरएनआई के अधिकारियों को या हमको दें हम उनकी शिकायत आरएनआई से करेंगे.


1. रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के पूर्व यदि किसी भी प्रकार का प्रकाशन किया जाता है तो वह न केवल अवैध होगा बल्कि कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा अधिकृत एडीशनल कलेक्टर या एसडीएम को यह अधिकार होगा कि वह उसके मुद्रक, प्रकाशक एवं संपादक के खिलाफ संवैधानिक कार्रवाई करे एवं संबंधित प्रकाशन तत्काल प्रभाव से बंद कराकर बाजार में उपलब्ध उसकी सभी प्रतियां जब्त कर ले. बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी प्रकार का प्रकाशन अवैध माना जाएगा, चाहे वह किसी समाज की सामाजिक पत्रिका हो या किसी स्कूल की वार्षिक स्मारिका. इस श्रेणी में वे पर्चे भी आ जाते हैं जो दुकानदार भाईयों या नेताओं द्वारा अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए छपवाए जाते हैं. मजिस्ट्रेट उनके खिलाफ कार्रवाई संपादित कर सकते हैं.

2. भारत में छपने तथा प्रकाशि‍त होने वाले समाचारपत्र एवं आवधि‍क प्रेस एवं पुस्‍तक पंजीकरण अधि‍नि‍यम, 1867 तथा समाचारपत्रों के पंजीकरण(केन्‍द्रीय) नि‍यम, 1956 द्वारा नि‍यंत्रि‍त होते हैं। अधि‍नि‍यम के अनुसार, कि‍सी भी समाचार पत्र अथवा आवधि‍क का शीर्षक उसी भाषा या उसी राज्‍य में पहले से प्रकाशि‍त हो रहे कि‍सी अन्‍य समाचारपत्र या आवधि‍क के समान या मि‍लता‑जुलता न हो, जब तक कि‍ उस शीर्षक का स्‍वामि‍त्‍व उसी व्‍यक्‍ति‍ के पास न हो ।

इस शर्त के अनुपालन को सुनि‍श्‍चि‍त करने के लि‍ए, भारत सरकार ने समाचारपत्रों का पंजीयक नि‍युक्‍त कि‍या है, जि‍न्‍हें प्रेस पंजीयक भी कहा जाता है, जो भारत में प्रकाशि‍त होने वाले समाचारपत्रों एवं आवधि‍कों की पंजि‍का का रख‑ रखाव करते हैं। भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय का मुख्‍यालय नई दि‍ल्‍ली में है तथा देश के सभी क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लि‍ए कोलकाता,मुंबई तथा चेन्‍नई में तीन क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं। कार्यालयों के पते एवं कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र नि‍म्‍नानुसार हैं?

आर.एन.आई. के वि‍भि‍न्‍न कार्यालयों के पता

भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय,
1. मुख्‍यालय,
पश्‍चि‍मी खंड‑8, स्‍कंध‑2,
आर.के.पुरम,नई दि‍ल्‍ली‑110066

2. भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का क्षेत्रीय कार्यालय,

    एम.एस.ओ.भवन,बलॉक डी एफ

   द्वि‍तीय तल , पो0 सी.सी.ब्‍लॉक,
सॉल्‍ट लेक,कोलकाता‑700064

3. भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का क्षेत्रीय कार्यालय,
ए‑1,वि‍गं,नि‍चला तल, नया सी.जी.ओ.कॉम्‍पलेक्‍स,
सी.बी.डी,बेलापुर, नवी मुंबई‑400614

4. भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का क्षेत्रीय कार्यालय,
बी‑ ब्‍लाक,बी स्‍कंध, (बी‑2‑बी) सी.जी.ओ.कॉम्‍पलेक्‍स
राजाजी भवन, बेसंत नगर,चेन्‍नई‑600090

प्रेस एवं पुस्‍तक पंजीकरण अधि‍नि‍यम के अनुसार, मुद्रक एवं प्रकाशक को जि‍ला/महाप्रांत/उप‑प्रखण्‍ड दण्‍डाधि‍कारी के समक्ष घोषणा करनी होती है, जि‍सके स्‍थानीय अधि‍कारक्षेत्र के अधीन समाचारपत्र मुद्रि‍त अथवा प्रकाशि‍त कि‍या जाएगा, कि‍ वह उक्‍त समाचारपत्र का मुद्रक/प्रकाशक है।

घोषणा पत्र में समाचारपत्र संबंधी सभी वि‍वरण शामि‍ल होने चाहि‍ए, जैसे कि‍ कि‍स भाषा में प्रकाशि‍त होगा, प्रकाशन का स्‍थान इत्‍यादि‍। समाचारपत्र के प्रकाशन से पहले दण्‍डाधि‍कारी द्वारा घोषणा पत्र को अधि‍प्रमाणि‍त कि‍या जाना चाहि‍ए।

अधि‍प्रमाणन से पहले, दण्‍डाधि‍कारी समाचारपत्रों के पंजीयक से छानबीन करने के बाद यह पुष्‍टि‍ करता है कि‍ प्रेस एवं पुस्‍तक पंजीकरण अधि‍नि‍यम की धारा 6 में उल्‍लि‍खि‍त शर्तों का पालन हो रहा है।

समाचार पत्र का पंजीकरण

समाचार पत्र के प्रथम अंक के प्रकाशन के बाद, आर.एन.आई. से समाचारपत्र को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने का अनुरोध अवश्‍य कि‍या जाना चाहि‍ए । समाचार पत्रों/पत्रि‍काओं के पंजीकरण के लि‍ए जांच सूची/दि‍शा नि‍र्देश नि‍म्‍नलि‍खि‍त हैं :

1. आवश्‍यक दस्‍तावेज
(क) आर.एन.आई. द्वारा जारी शीर्षक सत्‍यापन पत्र की फोटोकापी ।
(ख) डी.एम./ए.डी एम/डी सी पी/सी एम एम/एस डी एम द्वारा प्रपत्र‑। में नि‍र्दिष्‍ट(देखें नि‍यम‑3) प्रमाणीकृत घोषणा की सत्‍यापि‍त प्रति‍ ।
(ग) प्रथम अंक में खंड‑1 और अंक­‑1 का उल्‍लेख करें !
(घ) नि‍र्धारि‍त प्रपत्र में ‘ कोई वि‍देशी बंधन नहीं ‘ के लि‍ए प्रकाशक का शपथ पत्र(देखें परि‍शि‍ष्‍ट‑IV) ।
2. यदि‍ मुद्रक और प्रकाशक भि‍न्‍न हों तो अलग घोषणा दाखि‍ल करनी होगी ।
3. प्रथम अंक में स्‍पष्‍ट रूप से खंड‑। और अंक‑1, दि‍नांक‑रेखा,पृष्‍ठसंख्‍या और प्रकाशन के शीर्षक का उल्‍लेख होना चाहि‍ए ।
4. घोषणा के प्रमाणीकरण की ति‍थि‍ से छह सप्‍ताह की अवधि‍ के भीतर (दैनिक‍/साप्‍ताहि‍क के लि‍ए) और तीन महीने के भीतर(अन्‍य अवधि‍यों वाले प्रकाशनों के लि‍ए) प्रकाशन प्रकाशि‍त हो जाना चाहि‍ए ।
5. इंम्‍प्रिं‍ट लाइन में(क) प्रकाशक का नाम(ख) मुद्रक का नाम,(ग) स्‍वामी का नाम,(घ) मुद्रणालय का नाम व पूरा पता,(ड.) प्रकाशन का स्‍थान व पता,और (च) सम्‍पादक का नाम शामि‍ल होना चाहि‍ए ।
2.11.2 यदि‍ उचि‍त जांच पड़ताल के पश्‍चात आवेदन संतोषजनक पाया जाता है तो प्रेस पंजीयक अपने यहां रखे गए रजि‍स्‍टर में समाचार पत्र के वि‍वरण दर्ज करेगा और प्रकाशक को पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करेगा ।
2.11 नई घोषणा करने पर नया/संशोधि‍त प्रमाण पत्र ले लें
2.12.1 जब भी कभी पैरा 2.6.1 के (क) से (ज) में उल्‍लि‍खि‍त परि‍स्‍थि‍ति‍यों में नई घोषणा की जाती है, तो संशोधि‍त पंजीकरण प्रमाण पत्र के लि‍ए प्रेस पंजीयक को आवेदन करना आवश्‍यक होगा । लेकि‍न यदि‍ नई घोषणा पैरा 2.6.1 के (झ) से (ड) में उल्‍लि‍खि‍त परि‍स्‍थि‍ति‍यों के अंतर्गत की गई हो तो संशोधि‍त प्रमाणपत्र जरूरी नहीं होगा ।

आवश्‍यक दस्‍तावेज नि‍म्‍नानुसार हैं :

(क) सम्‍बद्द मजि‍स्‍ट्रेट द्वारा प्रमाणीकृत नई घोषणा की सत्‍यापि‍त फोटोकापी, जि‍समें परि‍वर्तन(परि‍वर्तनों) का उल्‍लेख होगा ।
(ख) प्रकाशन के नवीनतम अंक की प्रति‍, जि‍समें सही इम्‍प्रिं‍ट लाइन,प्रकाशन का नाम तथा दि‍नांक रेखा हर पृष्‍ठ पर मुद्रि‍त हो ।
(ग) आर.एन.आई. कार्यालय द्वारा जारी मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र ।
(घ) यदि‍ मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र खो गया हो, नष्‍ट हो गया हो, चोरी चला गया हो, तो मजि‍स्‍ट्रेट द्वारा हस्‍ताक्षरि‍त शपथपत्र तथा उसके साथ आर.एन.आई. के नाम पर 5 रूपए का भारतीय पोस्‍टल आर्डर देना होगा।
(ड.) स्‍वामि‍त्‍व के परि‍वर्तन की स्‍थि‍ति‍ में सम्‍बद्द मजि‍स्‍ट्रेट द्वारा प्रमाणीकृत स्‍वामि‍त्‍व सम्‍बन्‍धी अंतरण‑पत्र (ट्रांसफर डीड) की सत्‍यापि‍त फोटोकापी भी प्रस्‍तुत करनी होगी ।
(च) प्रकाशन के शीर्षक/भाषा के परि‍वर्तन की स्‍थि‍ति‍ में शीर्षक सत्‍यापन पत्र की एक प्रति‍ प्रस्‍तुत करनी होगी ।
2.13 प्रमाण पत्र खो गया है ? डुप्‍लि‍केट प्रमाण पत्र ले लें
2.13.1 जब मूल पंजीकरण प्रमाण पत्र खो जाए या खराब हो जाए या चोरी चला जाए तथा ऐसी परि‍स्‍थि‍ति‍ न हो, जि‍समें ऊपर बताए अनुसार नई घोषणा की जा सकती हो तो डुप्‍लीकेट पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लि‍ए प्रेस पंजीयक को आवेदन दि‍या जा सकता है, जि‍सके साथ एक अलग पृष्‍ठ पर पूरा वि‍वरण देना होगा । कृपया ध्‍यान रखें यदि‍ प्रमाण पत्र खो गया है या चोरी चला गया है, तो पुलि‍स द्वारा दर्ज की गई प्राथमि‍की की एक प्रति‍ या पुलि‍स की मुहर लगी शि‍कायत की एक प्रति‍ जैसा पर्याप्‍त दस्‍तावेजी सबूत प्रस्‍तुत करना जरूरी होगा , जो दर्शाए कि‍ मामला सम्‍बद्द पुलि‍स अधि‍कारि‍यों को सूचि‍त कर दि‍या गया है।

वांछि‍त दस्‍तावेज नि‍म्‍नानुसार हैं:

(क) नोटरी या सम्‍बद्द मजि‍स्‍ट्रेट द्वारा उसके हस्‍ताक्षर व कार्यालय मुहर के साथ प्रमाणीकृत इस आशय का एक शपथपत्र ।
(ख) सम्‍बद्द मजि‍स्‍ट्रेट द्वारा प्रमाणीकृत नवीनतम घोषणा की सत्‍यापि‍त फोटोकापी ।
(ग) सही इम्‍प्रिं‍ट लाइन सहि‍त प्रकाशन के नवीनतम अंक की एक प्रति‍ 1
(घ) आर.एन.आई. के नाम पर 5 रूपए का भारतीय पोस्‍टल आर्डर ।
(ड.) ‘ कोई वि‍देशी बंधन नहीं ‘ के लि‍ए एक शपथ पत्र (देखें परि‍शि‍ष्‍ट‑।V) प्रकाशक द्वारा भेजी जाने वाली
नि‍यत कालि‍क सूचना/रि‍टर्न 1. प्रपत्र ‑II में वार्षि‍क वि‍वरण (देखें नि‍यम 6(i)
2. प्रपत्र‑IV में समाचारपत्र के स्‍वामि‍त्‍व का तथा अन्‍य वि‍वरण(देखें नि‍यम 8)
3. परि‍शि‍ष्‍ट‑ VIII के अनुसार दैनि‍क प्रेस का वि‍वरण
4. आयाति‍त अखबारी कागज का इस्‍तेमाल करने वाले प्रकाशक को परि‍शि‍ष्‍ट IX के अनुसार आयाति‍त अखबारी कागज की खरीद और खपत के बारे में भी रि‍टर्न भरनी होगी ।

3.1 अखबारी कागज़

3.1.1 इनमें से एक भारत सरकार की अखबारी कागज की नीति‍ के बारे में है । सरकार की वर्तमान नीति‍ इस प्रकार है:
क) अखबारी कागज के वार्षि‍क स्‍वदेशी उत्‍पादन का कम से कम एक ति‍हाई हि‍स्‍सा,छोटे और
मझौले समाचारपत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त रखा जाएगा ।
ख) वास्‍तवि‍क उपभोक्‍ताओं को अखबारी कागज के आयात की अनुमति‍ है 1
3.1.2 छोटे या मझौले ? आपको स्‍वदेशी अखबारी कागज मि‍ल सकता है
3.1.3 अखबारी कागज नीति‍ के उदेश्‍य के लि‍ए, उन समाचार पत्रों को छोटा और मझौला समाचारपत्र माना गया है, जि‍नकी अखबारी कागज की वार्षि‍क खपत 200 मीटरी टन से अधि‍क नहीं है । वर्तमान में स्‍वदेशी अखबारी कागज प्राय: उपलब्‍ध है तथा छोटे व मझौले समाचार पत्रों को इस सम्‍बन्‍ध में कोई समस्‍या नहीं होगी । फि‍र भी, यदि‍ आवश्‍यक हो, तो इस श्रेणी के समाचार पत्र,आर.एन.आई. से ‘ पात्रता प्रमाण पत्र ‘ के लि‍ए आवेदन कर सकते हैं, जो परि‍शि‍ष्‍ट में दि‍ए गए प्रपत्र में दि‍या गया है जि‍सके आधार पर वे अनुसूचि‍त कागज कारखानों से स्‍वदेशी अखबारी कागज प्राप्‍त कर सकेंगे ।
3.1.4 पर्याप्‍त नहीं ? आप अखबारी कागज आयात कर सकते हैं
3.1.5 सरकार की वर्तमान नीति‍, वाणि‍ज्‍य मंत्रालय की अधि‍सूचना दि‍नांक 5.3.1997 तथा सूचना एवं प्रसारण
मंत्रालय की सार्वजनि‍क सूचना दि‍नांक 26‑3‑98 में प्रस्‍तुत की गई है । इसके अनुसार प्रत्‍येक पंजीकृत समाचार पत्र अखबारी कागज का आयात कर सकता है । इसके लि‍ए, समाचार पत्र के प्रकाशक/स्‍वामी को समाचार पत्र के पंजीयन प्रमाण पत्र को आर.एन.आई. से प्रमाणीकृत कराना होगा, जि‍सके आधार पर आयात की अनुमति‍ प्रदान की जाएगी । इस प्रयोजन के लि‍ए परि‍शि‍ष्‍ट‑VI में दि‍ए गए प्रपत्रों में आवेदन दि‍ए जा सकते हैं । आवेदन के साथ (क) समाचारपत्र के नवीनतम पंजीकरण प्रमाणपत्र की दो प्रति‍यां (ख) पि‍छले कैलेंडर वर्ष के लि‍ए वार्षि‍क वि‍वरण की सत्‍यापि‍त प्रति‍, और (ग)आवेदन की ति‍थि‍ से पि‍छले 12 महीनों के प्रत्‍येक महीने के लि‍ए एक‑एक नमूना अंक भेजने होंगे । लेकि‍न उन समाचारपत्रों को जि‍नकी शुरूआत और पंजीकरण के बाद एक वर्ष पूरा न हुआ हो,उन्‍हें ऊपर(ख)और(ग) में नि‍र्दि‍ष्‍ट दस्‍तावेज भेजने की आवश्‍यकता नहीं है । ऐसे मामलों में (क) में नि‍र्दि‍ष्‍ट दस्‍तावेजों के अलावा,प्रकाशन के प्रत्‍येक पूर्ण महीने का नमूना अंक प्रस्‍तुत कि‍या जाना चाहि‍ए ।
4.2 वार्षि‍क वि‍वरण
प्रत्‍येक प्रकाशक को समाचार पत्र के बारे में एक वार्षि‍क वि‍वरण प्रेस पंजीयक को भेजना होगा । यह वि‍वरण, समाचार पत्र पंजीकरण(केन्‍द्रीय)नि‍यम,1956 की अनुसूची के प्रपत्र ।। में देना होगा । देखें नि‍यम 6(i) ।
4.2.2 कैलेंडर वर्ष के अनुसार भेजे जाने वाले यह वि‍वरण अगले वर्ष के फरवरी माह के अंति‍म दि‍वस
से पहले/तक पहुंच जाना चाहि‍ए ।
4.2.3 जहां समाचार पत्र की प्रसार संख्‍या,प्रति‍ प्रकाशन दि‍वस 2000 से अधि‍क हो, वहां वार्षि‍क वि‍वरण
के साथ नि‍र्धारि‍त प्रपत्र के नीचे खंड‑ख के अनुसार चार्टर्ड एकाऊटेंट या योग्‍यता प्राप्‍त लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करना होगा ।
4.2.4 समय से वार्षि‍क वि‍वरण दाखि‍ल न करने पर पी आर बी अधि‍नि‍यम के अंतर्गत दंडात्‍मक कार्रवाई की जा सकती है ।
(टि‍प्‍पणी: प्रेस पंजीयक को हर वर्ष देश में समाचार पत्रों की स्‍थि‍ति‍ के बारे में एक रि‍पोर्ट सरकार को देनी
होती है ,जो प्राय: प्रकाशकों से प्राप्‍त वार्षि‍क वि‍वरण के आधार पर होती है । इसलि‍ए ,समाचार पत्र प्रकाशक,कृपया प्रपत्र ।। में अपने वार्षि‍क वि‍वरण की सम्‍पूर्ण व सही‑सही जानकारी दें (देखें नि‍यम 6(।) । दैनि‍क समाचारपत्रों द्वारा परि‍शि‍ष्‍ट‑VIII में दि‍ए अनुसार एक वि‍वरण भी देना होगा । )
4.3 स्‍वामि‍त्‍व वि‍वरण
4.3.1 प्रत्‍येक वर्ष फरवरी के अंति‍म दि‍न के बाद नि‍कलने वाले प्रथम अंक में समाचार पत्र के
स्‍वामि‍त्‍व तथा अन्‍य सम्‍बन्‍धि‍त वि‍वरण प्रकाशि‍त कि‍या जाना चाहि‍ए । वि‍वरण समाचार पत्र पंजीकरण(केन्‍द्रीय)नि‍यम,1956 की अनुसूची में दि‍ए गए प्रपत्र IV में देना होगा(देखें नि‍यम 8) ।
4.5 क्‍या आपने अखबारी कागज आयात कि‍या है ? रि‍टर्न भरि‍ए !!!
4.5.1 समाचार पत्र के प्रकाशक/स्‍वामी को 30 सि‍तम्‍बर को समाप्‍त छमाही की
अर्ध‑वार्षि‍क रि‍टर्न और 31 मार्च को समाप्‍त वर्ष की वार्षि‍क रि‍टर्न क्रमश: 31 अक्‍टूबर और 30 अप्रैल तक भेजनी होगी, जि‍समें सम्‍बद्व अवधि‍यों में खरीदी तथा उपयोग की गई आयाति‍त अखबारी कागज की मात्राएं दि‍खाई जाएंगी । छमाही रि‍पोर्ट प्रकाशक/स्‍वामी द्वारा और वार्षिक रि‍पोर्ट चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा प्रमाणि‍त की जाएगी । रि‍टर्न का नमूना प्रपत्र परि‍शि‍ष्‍ट‑IX में दि‍या गया है ।
4.5.2 समय पर रि‍टर्न दाखि‍ल न करने या गलत जानकारी देने पर समाचार पत्र अखबारी कागज के
आयात के लि‍ए, पंजीयन प्रमाणपत्र के प्रमाणीकरण के लि‍ए अयोग्‍य हो जाएगा ।

जरूरी दस्‍तावेज इस प्रकार हैं :
(क) वर्ष‑‑‑‑‑‑‑‑के लि‍ए वार्षिक वि‍वरण की एक फोटोस्‍टेट प्रति‍ । दैनि‍क समाचारपत्रों के
प्रकाशक परि‍शि‍ष्‍ट VIII में नि‍र्धारि‍त प्रपत्र पर दैनि‍क प्रेस का वि‍वरण भी भेज सकते हैं ।
(ख) दैनि‍कों के मामलों में दि‍नांक ‑‑‑‑‑‑‑‑के लि‍ए कैलेंडर वर्ष ‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑‑के प्रत्‍येक
महीने के सात‑सात अंक और अन्‍य नि‍यतकालि‍क पत्रों के मामलें में सभी अकों का एक सैट । नवीनतम अंक की एक प्रति‍ भी भेजी जानी चाहि‍ए ।
(ग) मुद्रण मशीनों का वि‍वरण अर्थात् प्रत्‍येक मशीन का मेक,साइज,प्रति‍ घंटा गति आदि‍,मुद्रण
सारणी(पृष्‍ठवार) तथा अन्‍य मुद्रण कार्यों का वि‍वरण ,यदि‍ हो तो, साथ ही प्रिंट आर्डरों,मुद्रण प्रभार के बि‍लों और ‑‑‑‑‑‑‑‑महीने के लि‍ए भुगतान के प्रमाण स्‍वरूप प्राप्‍तकर्ता की रसीदों की फोटोस्‍टेट प्रति‍यां ।
(घ) अखबारी कागज का वि‍वरण जि‍समें प्रथम दि‍वस का प्रारंभि‍क अधि‍शेष,वर्ष‑‑‑‑‑‑के
दौरान खरीदी मात्रा, वर्ष के दौरान कुल खपत तथा आलोच्‍य वर्ष के अंति‍म दि‍न
का अंति‍म अधि‍शेष ।
(ड.) आलोच्‍य वर्ष के लि‍ए कागज खरीदने के बि‍लों की फोटोस्‍टेट प्रति‍यां तथा साथ ही
भुगतान के प्रमाण स्‍वरूप प्राप्‍तकर्ता की रसीदों की प्रति‍यां ।
(च) आपूर्ति स्‍त्रोत से प्रकाशन स्‍थान तक अखबारी कागज की ढुलाई से सम्‍बन्‍धि‍त बि‍लों की
फोटोस्‍टेट प्रति‍यां ।
(छ) एजेंट/हॉकर का नाम, स्‍टेशन,प्रेषि‍त प्रति‍यों की संख्‍या,प्रेषण माध्‍यम अर्थात् रेल,सड़क,डाक आदि‍,
प्राप्‍त भुगतान ,की प्रति‍यों के वि‍तरण का ब्‍यौरा देने वाला एक वि‍वरण जि‍सके साथ‑‑‑‑‑‑महीने के लि‍ए एजेंसी बि‍लों,एजेंटों/हॉकरों को जारी भुगतान रसीदों,प्रेषण रसीदों आदि‍ की फोटोस्‍टेट प्रति‍यां 1
(ज) कैलेंडर वर्ष ‑‑‑‑‑‑‑के लि‍ए लाभ‑हानि‍ खाता । यदि‍ लाभ‑हानि‍ खाता वि‍त्‍तीय वर्ष आधार पर
बनाया गया है, तो जनवरी से दि‍सम्‍बर‑‑‑‑‑‑‑तक माह‑वार बि‍क्री आय की प्रति‍यां प्रस्‍तुत की जानी चाहि‍ए, जि‍समें बेची गई प्रति‍यों की माह‑वार बि‍ल राशि‍ का उल्‍लेख हो ।
(झ) स्‍वामी की स्‍थायी आयकर संख्‍या, यदि‍ हो तो, लि‍खें ।
टि‍प्‍पणी: कृपया ध्‍यान दें कि‍ दस्‍तावेजों की प्रति‍यां और उनकी फोटोस्‍टेट प्रति‍ राजपत्रि‍त अधि‍कारी द्वारा
सत्‍यापि‍त कराके भेजी जाएंगी, यदि‍ असत्‍यापि‍त प्रति‍यां प्राप्‍त होती हैं, तो उन पर वि‍चार नहीं कि‍या जाएगा यही नियम है.

कभी भी कोई जानकारी इसके अलावा चाहिए तब आप मुझे इस नम्बर +919808123436 पर कॉल या व्हाटसऐप करके जानकारी हासिल कर सकते हैं...!
आपको ये जानकारी कैसी लगी हमको ज़रूर बतायें
धन्यवाद...!

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दुनियां के मुस्लिम देश में रहने वाले हिंदुओं की संख्या (करीब करीब कुछ इस तरहां है)  इंडोनेशिया- 44,80,000 , मलेशिया- 20,40,000 ,...