Wednesday 22 February 2012


सियासत के दंगल से जिस्म तक का सौदा, यहां सजा है बाजार ?


लखनऊ।दुनिया के हर मर्ज की दवा बन चुका फेसबुक आज इनसा -इक्‍लोपीडिया की तरह काम कर रहा है। पिछले साल हुए अन्ना के आंदोलन में संजीवनी फूंकने के लिये चर्चा में आए फेसबुक पर दुनिया के हर सवाल का जवाब मौजूद है।

सैर सपाटा, पर्यटन, नौकरी, ट्रेन टाइमटेबिल से लेकर नागरिक समस्याओं के संबंध में शिकायतें तक फेसबुक के माध्यम से की जा रही हैं। वैचारिक आदान-प्रदान के अतिरिक्त एक सी विचारधरा के लोगों ने अलग-अलग ग्रुप व कम्यूनिटी बना रखी हैं।
अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कोई ट्रेन कहां से कितने बजे चलेगी तो फेसबुक आपके सामने हाजिर है। इतना ही नहीं अगर आपको ट्रैफिक पुलिस से कोई शिकायत हो या फिर आपने किसी को ट्रैफिक नियमों का उलंघन करते देखा हो और आप उसकी शिकायत करना चाहते हैं तो बड़े आसानी से आप फेसबुक की शरण में जा सकते हैं।
फेसबुक को लेकर ए‍क नया ट्रेंड भी सामने आ गया है। अब तो डायरेक्‍टर भी अपनी फिल्‍म की हिरोइन का चयन फेसबुक के माध्‍यम से करने लगे हैं। हाल ही में इस प्रकार की सोशल नेटवर्किंग को आंतंकियों द्वारा प्रयोग किए जाने की भी बातें कही गई थीं। इसी में एक नया पहलू देह व्यापार का और जुड़ गया है।
एक ताजा सर्वे के अनुसार फेसबुक का इस्‍तमाल कॉल गर्ल्‍स बहुत तेजी से करने लगी हैं। कॉल गर्ल्‍स इस सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्‍तमाल ग्रा‍हकों को लुभाने के लिये कर रही हैं। सर्वे की मुताबिक 83 प्रतिशत कॉल गर्ल्‍स का फेसबुक अकाउंट हैं और यह सिर्फ हाई सोसायटी ग्राहकों को फंसाने के लिये बनाया गया है।
ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये कॉल गर्ल्‍स अपनी सेक्‍सी फोटो भी अपडेट करती हैं। कॉल गर्ल्‍स इस स्‍टाइल में मैसेज लिखती है कि पढ़ते ही कोई भी उनका मकसद समझ जाएगा। असल में फेसबुक के जरिए कॉल गर्ल्‍स को बेहद आसानी से ग्राहक मिल जाते हैं और पकड़े जाने का डर भी नहीं रहता।
जिस्‍म के धंधे में लिप्‍त युवतियों के लिये फेसबुक‍ ए‍क और नजरिए से फायदेमंद है। फेसबुक के जरिए ग्राहक ढूंढ कर वह दलालों से छुटकारा पा जाती हैं। इसके अलावा फेसबुक और ट्विटर पर समलैंगिक और दूसरे तरह के समुदायों ने अपना अलग नेटवर्क बना रखा है।

ऐसे में सवाल है कि क्‍या संचार क्रांति का वरदान कहे जाने वाला सोशल नेटवर्किंग साईट अब अभिशाप बनते जा रहे हैं? क्‍या इसका तोड़ खोजा जाना जरुरी है?

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