Wednesday, 22 February 2012


बिहारी बाबू की 'खामोशी' पर तालियाँ ?

कानपुर में एक सभा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कांग्रेस की खिंचाई की, बसपा की खिंचाई की और समाजवादी पार्टी को भी नहीं छोड़ा. भाजपा के लिए वोट मांगते-मांगते उन्होंने बिहार का उदाहरण देना शुरू किया. बिहार को विकास का मॉडल बताया और वहाँ भी जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा सरकार की सराहना करते-करते कुछ ज़्यादा ही बोल गए. गडकरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की स्थिति बदतर हो गई, यहाँ बिजली नहीं है, पानी नहीं है और सड़कें भी ख़राब है. इसके आगे गडकरी बोले- बिहार में लोगों को चौबीसों घंटे बिजली मिलती है और चौबीसों घंटे पानी. अब गडकरी जी को कौन समझाए कि बिहार में बिजली की कितनी विकट समस्या है और बिजली पानी के लिए लोग कितना तरसते हैं. 
कब तक ख़ामोश करेंगे बिहार की बात आई, तो चर्चा बिहारी बाबू की. भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने पहुँचे शत्रुघ्न सिन्हा पूरे फ़िल्मी अंदाज़ में भाषण दे रहे थे. शत्रुघ्न सिन्हा ने दावा किया कि वे अन्य नेताओं से अलग है. लेकिन बात करने लगे तो अपने चित-परिचित अंदाज़ में ख़ामोश कहने से नहीं चूके. जनता को क्या चाहिए.....बिहारी बाबू ने ख़ामोश क्या कहा. ख़ूब तालियाँ बजीं. बिहारी बाबू फिर जोश में आए और कहा कि अगर जनता को लगता है कि उनकी बातों में सत्य है और तथ्य है तो भाजपा का समर्थन करें.
दिग्विजय और विवाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह हों और कोई विवाद न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. सोमवार को दिग्विजय सिंह कानपुर देर से पहुँचे. लेकिन आते ही राहुल गांधी पर एफ़आईआर पर चर्चा गर्म थी. फिर क्या था दिग्विजय सिंह ने आते ही मोर्चा संभाल लिया. बहुजन समाज पार्टी पर जम कर निशाना साधा और ज़िला प्रशासन पर भी भेदभाव का आरोप लगाया. लगता यही है दिग्विजय जहाँ-जहाँ जाते हैं, विवाद भी साथ लेकर आते हैं.

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