क़ौम की बदहाली के ज़िम्मेदार हम ख़ुद हमारे मुस्लिम लीडरॉन और सियासत में दख़ल रखने वाले मगर अपनी सियासत करने वाले मौलवी है.
आज हम मुसलमानों की दलितों से बद्तर हो चुकी सूरतेहाल के लिए कौन ज़िम्मेदार है इस सवाल के जवाब मै मै कहना चाहुंगा हमारे मुस्लिम लीडरान है जिन्होंने क़ौम के मसाइल हल करने की बजाये अपने आकाओ की जी हुजूरी को सियासत समझ लिया.
सियासत में दखल रखने वाले मौलवी हज़रात ने भी मुसलमानों ओर मज़हबे इस्लाम को काफी नुकसान पंहुचा है, मौलवी साहेबान अपने मरतबे का फायेदा उठाते रहे और
क़ौम तबाही की तरफ बढती रही.
हम ओर हमारी मुस्लिम क़ौम भी इस इल्ज़ाम से बरी नहीं की जा सकती जिसने अपनी अक़्ल को इस्तेमाल करने की बजाये दूसरो के सर पूरी ज़िम्मेदारी डालकर अपनी आँखों को बंद करभरोसा कर लिया.
जब तक हम सियासी तौर पर मुत्तेहिद नहीं होंगे हमारी कोई एहेमियत नहीं होंगी, आज हर मुस्लिम ये आसानी से समझ सकता है.
हमारा इत्तेहाद हुकूमतो को मजबूर करेगा की वो हमारे मसाइल हल करें हमको हक़ चाहिये भीख नहीं, हमको भरोसा ओर यक़ीन चाहिये मुल्क की ख़िदमत करने के लिए कानून का, ओर आप देखें दलितों की हालात सुधारने के लिए इन्हें 10 साल के लिए रिज़र्वेशन दिया गया था लेकिन वो रिज़र्वेशन आजतक जारी है क्यूं ?
ओर जो तोहफ़ा राशन कार्ड हमको हमारे सबसे बड़े हमदर्द नेता रफ़ी अहमद किदवाई साहब की बेबाक मुस्लिम सियासत से मिला हमने उसमें भी अपने साथ दूसरों को शामिल करने पर कोई ऐतराज़ नहीं किया.
ओर आज वो राशन कार्ड कितना हमारे पास है ये आप सब जानते है, अगर नहीं तो जान लो राशन कार्ड को हमसे दूर करने की साजिश केन्द्र ओर प्रदेश सरकार दोनों बराबर साथ मिलकर बड़े ही प्यार से कर रही हैं.
साथियों हमारे मुद्दे हमारी ज़रूरतें एक नहीं है, इतनी हैं कि हम गिन भी नहीं पायेंगे लेकिन हमको ख़ुद अपनी फ़िक्र नहीं है ओर ना ही हमारे लीडरॉन को क्यूं?
क्यूंकि हम सवाल नहीं करते, हम हिसाब नहीं मांगते, हम दर्द को चुपचाप पी जाते हैं, हमको हमारे हक़ों का मालूम नहीं है, हमको ख़ुदपर यक़ीन नहीं दूसरे पर है, हम सब कुछ सब्र करने की नीयत के साथ करते हैं वगैरा वगैरा.
सोचो क्या ये सही है?
एस एम फ़रीद भारतीय
संयोजक-(AMADM)
आओ मिलकर आवाज़ दें मोर्चा
09808123436
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