Sunday, 18 November 2018

राम नाम की ढपली अपना अपना राग...?

एस एम फ़रीद भारतीय
त्रेतायुग हिंदू मान्यताओं के अनुसार चार युगों में से एक युग है, त्रेता युग मानवकाल के द्वितीय युग को कहते हैं, इस युग में विष्णु के पाँचवे, छठे तथा सातवें अवतार प्रकट हुए थे, यह अवतार वामन, परशुराम और राम थे, यह मान्यता है कि इस युग में ॠषभ रूपी धर्म तीन पैरों में खड़े हुए थे.

इससे पहले सतयुग में वह चारों पैरों में खड़े थे, इसके बाद द्वापर
युग में वह दो पैरों में और आज के अनैतिक युग में, जिसे कलियुग कहते हैं, सिर्फ़ एक पैर पर ही खड़े रहे, यह काल राम के देहान्त से समाप्त होता है, त्रेतायुग १२,९६,००० वर्ष का था.
ब्रह्मा का एक दिवस 10,000 भागों में बंटा होता है, जिसे चरण कहते हैं:
चारों युगों का समय हिंदू मान्यता अनुसार...?
4 चरण (1,728,000 सौर वर्ष) सत युग
3 चरण (1,296,000 सौर वर्ष) त्रेता युग
2 चरण (864,000 सौर वर्ष) द्वापर युग
1 चरण (432,000 सौर वर्ष) कलि युग

यह चक्र ऐसे दोहराता रहता है, कि ब्रह्मा के एक दिवस में 1000 महायुग हो जाते हैं
जब द्वापर युग में गंधमादन पर्वत पर महाबली भीम सेन हनुमान जी से मिले तो हनुमान जी से कहा - कि हे पवन कुमार आप तो युगों से प्रथ्वी पर निवास कर रहे हो आप महा ज्ञान के भण्डार हो बल बुधि में प्रवीण हो कृपया आप मेरे गुरु बनकर मुझे शिष्य रूप में स्वीकार कर के मुझे ज्ञान की भिक्षा दीजिये तो हनुमान जी ने कहा - हे भीम सेन सबसे पहले सतयुग आया उसमे जो कामना मन में आती थी वो कृत (पूरी) हो जाती थी इसलिए इसे क्रेता युग (सत युग) कहते थे इसमें धर्म को कभी हानि नहीं होती थी.

उसके बाद त्रेता युग आया इस युग में यग करने की परवर्ती बन गयी थी इसलिए इसे त्रेता युग कहते थे त्रेता युग में लोग कर्म करके कर्म फल प्राप्त करते थे, हे भीम सेन फिर द्वापर युग आया इस युग में विदों के ४ भाग हो गये और लोग सत भ्रष्ट हो गए धर्म के मार्ग से भटकने लगे है अधर्म बढ़ने लगा, परन्तु हे भीम सेन अब जो युग आएगा वो है कलयुग इस युग में धर्म ख़त्म हो जायेगा, मनुष्य को उसकी इच्छा के अनुसार फल नहीं मिलेगा, चारो और अधर्म ही अधर्म का साम्राज्य ही दिखाई देगा.
अब यक़ीन ना करने की कोई बात नहीं है आज जो कुछ दिख रहा है वो वही है जो कलयुग के बारे मैं कहा गया है, सत्ता के लिए सतयुग के राम का सहारा लिया जा रहा है, सत्ता हथयाई भी जा रही है, लेकिन कोई भी काम त्रेतायुग यानि राम राज्य का नहीं मिलता.
आज इंसान इंसान का दुश्मन बना है, एक दूसरे को पछाड़ने की बाते सिर्फ़ की ही नहीं जा रही हैं बल्कि इंसान को जानवर से भी बदतर बना दिया गया है, सहारा राम का ओर काम कैसा है ये हम जानने की कोशिश नहीं करते बस बोल वचनो पर जीवन बसर करते हैं, जबकि हमको याद रखना होगा जो बीता है उसको तभी हम नये सवेरे को देख पायेंगे.
अब सोचो ग़लती किसकी है हम सभी की ना जो झूंठे वादों मैं पड़कर अपना वो सबकुछ भी गवांते जा रहे हैं जो हमने अपनी मेहनत से कमाया है, सत्ता लोभी नई नई चालों से हमारे सामने सपनों के जाल बिछाते हैं ओर हम धर्म और आस्था मैं बहकर बेईमानों पर यक़ीन भी कर लेते हैं, सोचने और समझने की अपनी ताक़त को हम दूसरों के हाथों मैं सौंप चुके हैं, नतीजा दिन प्रतिदिन हमारे सामने आता है, मगर हम सबक़ लेने की बजाये नये जाल मैं फंस जाते हैं वजह है हमारी भूलने की बीमारी, तभी ये लुटेरे राम नाम की ढपली अपना अपना राग अलॉप रहे हैं.

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