Sunday, 25 November 2018

अयोध्या प्रकरण, किस बात का डर है...?

पहले भी कानून ओर संविधान की धज्जियां उड़ी थी आज भी उड़ जायेंगी तो क्या ग़म...??
एस एम फ़रीद भारतीय 
दोस्तों, कुछ लोगों के ज़हन मैं आज बहुत बैचेनी है ओर होनी भी चाहिए, क्यूंकि देश की सरकार जनमानस की परेशानियों से अपने कार्यकाल मैं पूरी तरहां विफ़ल रहने के साथ झूंठी तारीफ़ के लिए चाटूकारों पर देश की जनता की गाढ़ी कमाई को लुटाने के साथ विदेशी दौरों मैं व्यस्त रही.

आज जब चुनाव नज़दीक हैं तब एक बार फिर उनको राम नाम याद आया है, सारे ही उन्मादी संगठन अयोध्या कूच करने की बात कर रहे हैं इससे बे ख़बर कि देश के युवाओं को मंदिर मस्जिद नहीं रोज़गार चाहिए, शिक्षा की बेहतर सुविधा चाहिए, गंभीर बीमारियों से बचाओ के लिए अस्पतालों के साथ अच्छा खाना पान ओर किसान मज़दूर की ख़ुशहाली चाहिए.
मगर नहीं ऐसा कुछ नहीं है ओर ना ही आगे करने का कोई इरादा है बल्कि वो देश मैं डर का माहौल पैदा कर देश को बदहाली की तरफ़ ले जाने मैं लगे हैं, हर देश भक्त जो दिल से देश की इज़्ज़त करता है वो सब इस तमाशे को देखकर परेशान हैं, उनको फ़िक्र है कि आज क्या होगा, क्या देश मैं एक बार फिर वही माहौल होगा जो १९९२ मैं पैदा किया गया था, क्या एक बार फिर देश शर्मसार होगा...?
जहां तक मेरी सोच है कुछ नहीं होगा, ये सब एक नाटक के सिवा कुछ नहीं जो अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए किया जा रहा है, बिल्कुल वैसे ही जैसे गुजरात मॉडल को हज़ारों गुना बढ़ा चढ़ाकर चाटूकारों ने देश को लुटवाया था, क्या हुआ गुजरात मॉडल का सब कुछ साफ़ दिख तो रहा है पूरा मुल्क गुजरात बन गया गुजरातियों ने देश को लूटकर विदेशों की सरकारों को मजबूत किया है.
वहीं १९९२ मैं क्या हुआ था, कोई बतायेगा मुझे ? सभी कहेंगे १९९२ मैं मस्जिद को शहीद किया गया था....!
नहीं मेरे दोस्तों १९९२ मैं मस्जिद को शहीद नहीं किया गया था, बल्कि १९९२ मैं देश के कानून को क़दमों तले रौंधा गया था, १९९२ मैं देश को दुनियां के सामने शर्मसार किया गया था, १९९२ मैं कानून ओर संविधान का मज़ाक़ कानून ओर संविधान को बचाने वालो ने उड़ाया था, देश को पूरी दुनियां ने शर्मसार किया था, तब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने दुनियां को से भरोसा दिया था कि जिस जगह को शहीद किया गया है उसे वैसा ही तीन माह मैं खड़ा कर दिया जायेगा, क्या ऐसा कुछ हुआ....?
१९९२ मैं भी कानून ओर संविधान की हार हुई थी ओर आज भी कानून ओर संविधान की लाज, मान मर्यादा सब दाव पर है, मस्जिद ओर मंदिर की बात तो कानून के फ़ैसले के बाद करेंगे पहले तो कानून ओर संविधान की लाज ओर मर्यादा की बात कर ली जाये, सभी को अपने मन को शांत रखना चाहिए ओर कानून को देखना चाहिए वो अपनी लाज बचा पाता है या नहीं.
फ़िलहाल किसान मज़दूर बे रोज़गार अपने ओर देश के हितों की बात ना करें क्यूंकि सरकार जनता के लिए नहीं बल्कि पूंजी पतियों के लिए काम कर रही है ओर आप लोग मंदिर मस्जिद मैं उलझे रहें एक बार ओर इस सरकार को मौक़ा अगर देंगे तो आपके बारे मैं सोचने की सोचेंगे....!
जय हिंद जय भारत

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