Monday 19 November 2018

हमको क्या चाहिए मंदिर-मस्जिद या अच्छे स्कूल ओर अस्पताल...?

एस एम फ़रीद भारतीय
क्रिकेटर युवराज ने कैंसर का ईलाज विदेश करवाया, मनीषा कोईराला ने भी अपना विदेश ईलाज करवाया, यहां तक कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी भी विदेश मैं अपना ईलाज करवा रही है, स्वर्गवासी हुऐ अनंत कुमार ने विदेश ईलाज करवाया था, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर साहब और हिन्दी फिल्मों के अभिनेता इरफान खान बीमार हुए और भारत मे पर्याप्त ईलाज न होने के कारण विदेश गये, सोनाली बेंद्रे का भी विदेश में इलाज चल रहा है, भारत में न तो मन्दिरों की कमी है और न ही मस्जिदों की...?

दुनिया के सबसे शक्तिशाली भगवान भी शायद भारत में ही होंगे, फिर भी लोग ईलाज करवाने विदेश क्यों जाते हैं... ?
सच यही है कि शरीर में रोगों का इलाज विज्ञान द्वारा होता है, ना कि किसी मंदिर या मस्जिद मैं, मंदिर ओर मस्जिद पूजा ओर इबादत के स्थान हैं, यही वजह है भारत विज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ा है वरना किसी को भी इलाज के लिए विदेश नहीं जाना पड़ता.
मान लो अगर ग़रीब लोगों को ऐसी बीमारी हो गई तब तो उस ग़रीब का तड़प कर मरना तो तय है, क्यूंकि दिनों दिन ग़रीब के लिए बड़ता प्रदुष्ण इसके ख़तरे पैदा कर रहा है, मगर ग़रीब के लिए बहाना होता है कि - ''समय पूरा हो गया'', ओर हम लोग सब्र भी कर लेते हैं, सच कह रहा हुँ ना मै....?
असल मैं इसकी असल वजह है हमारे देश मैं  अच्छे अस्पताल, अच्छे स्कूलों की कमी, जबकि इनकी जरूरत आम आदमी को ज्यादा है, लेकिन यही पैसे वाले लोग, नेता ओर कारोबारी हमें मन्दिर मस्जिद में बाँटकर लड़ाने के साथ इन सुविधाओं से हमें वंचित करने के साथ खुद अपना इलाज विदेश कराने चले जाते हैं ओर हम जैसे ग़रीबों को सामना करना पड़ता है इन गम्भीर बीमारियों से तड़प कर दर्दनाक मौतों का...!
इसलिए मेरी गुज़ारिश है कि आप लोग अपने लिए अच्छे और सस्ते अस्पताल और स्कूल, रोजगार माँगिएगा, मन्दिर मस्जिद नहीं.

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