ये हैं कुछ मेरे संघी पाठशाला से पढ़े लिखे फ़ेसबुक दोस्त जो संघी सोच और विचार को वर्ल्ड का बनाकर पेश कर रहे हैं, इनको ये भी नहीं मालूम कि हम कह क्या रहे हैं और किसके बारे मैं कह रहे हैं.
प्रिय जैन साहब ने कहा कि वर्ल्ड का डॉटा कहता है कि मुस्लिमों
मैं 12 से 15% लोग ही बस आतंकवादी हैं बाकी 85% वो हैं जो इनको नहीं रोकते जिसकी वजह से ये नासूर बने हुए हैं, ये बात इन्होने कितनी आसानी से कह दी क्यूंकि संघियों की एक कला है वो जो कहते हैं उसके बारे मैं ये कभी सोचते नहीं हैं और ना ही ये लोग ग़लत साबित होने पर मांफ़ी मांगते हैं.
इसकी मिसाल आप देश के प्रधानमंत्री जी के कुछ भाषणों से समझ सकते हैं कुछ ऐसे झूंठ उन्होंने दुनियां के सामने बोले हैं और उन झूंठ का पर्दाफ़ाश भी हुआ मगर क्या मजाल जो वो अपने कहे पर शर्मिंदा हों और मांफ़ी मांगे वो भी तब जब वो एक संविधानिक पद पर बैठे हैं और उस पद की एक गरिमा होती है।
अब फिर बात करते हैं इस पोस्ट की तब लिखने वाले जैन साहब शायद नहीं जानते कि देश की जनसंख्या कितनी है और उस जनसंख्या मैं मुस्लिमों की हिस्सेदारी कितनी है, अगर जानते होते तब ऐसी पोस्ट और विचार इनके मन मैं नहीं आते.
वहीं इनको ये भी नहीं मालूम कि भारतवर्ष की जनसंख्या क्या है और इसमें मुस्लिम समाज की हिस्सेदारी का अनुपात क्या है, ये वही संघी भाषा बोल रहे हैं जो संघ की पाठशाला मैं पढ़ाया जाता है, यहां मैं जैन साहब या चौधरी साहब को संघी नहीं कह रहा हुँ मैं बात कर रहा हुँ उस ज्ञान की जो संघी लोग जबरन लोगों के दिमाग़ मैं पेलते रहते हैं.
दूसरे वोट की राजनीति के लिए मेरा भारत सौ करोड़ हिंदूओं का देश हो जाता है जबकि जो ये चिल्लाते हैं वो ख़ुद भी हिदूं नहीं है, संविधान के लिहाज़ से हिंदू धर्म की परिभाषा बहुत अलग है जिसको हमारे माननीय पीएम जी ब्यान मैं भी बहुत जगह सुना जा सकता है।
भारत मैं दो विचार के लोग भगवान को मानने वालों मैं रहते हैं, एक असल भारतीय मूल निवासी सनातन धर्म के लोग दूसरे हैं आर्यसमाजी विचारधारा जो विदेश से आई है और जिसने असल भारतीयों को सत्ता से दूर कर देश पर अपना कब्ज़ा कर रखा है.
ये लोग मुस्लिमों को निशाना बनाकर देश मैं सियासत का नंगा नाच कर रहे हैं जबकि असल सनातनी भारतीयों को इन्होंने अपने जाल मैं फंसाकर मूर्ख बनाते हुए उनकी विरासत पर कब्ज़ा कर रखा है, "मुस्लिम तो बहाना है कहीं और इनका निशाना है" मगर अब वक़्त बदल रहा है.
रही बात मुस्लिमों के 12/15% मुस्लिम आतंकवादियों की बात तब अगर सरकारी आंकड़ों के हिसाब से ही सिर्फ़ भारत की ही बात करें तब भारत मैं करीब 25 करोड़ मुस्लिम आबादी है और 12% को हम आठवां हिस्सा मान कर अगर चलें तब सिर्फ़ भारत मैं ही लगभग तीन करोड़ मुस्लिम इनके कहे अनुसार आतंकवादी मानसिक्ता के लोग हैं...?
अब इनसे कोई पूंछे कि जब किसी मुल्क मैं तीन करोड़ मुस्लिम मुल्क मैं आतंकवादी मानसिकता के हों तब उनको रोकने के लिए कितना सैन्य बल होना चाहिए और उस मुल्क की हालत क्या होनी चाहिए...??
ये लेख किसी की भावना को अगर ठेस पहुंचाता है तब मैं मांफ़ी चाहता हुँ, क्यूंकि मेरा मक़सद किसी की भावना को ठेस पहचाना नहीं बल्कि सच्चाई से रूबरू कराना है...!
जय हिंद जय भारत
एस एम फ़रीद भारतीय
लेखक, सम्पादक एनबीटीवी इंडिया डॉट इन
मानवाधिकारवादी पीयूसीएल पूर्व सचिव यूपी।
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