Thursday 4 August 2016

जवाब दें मुस्लिम लीडरान क़ौम सवाल कर रही है ?

क़ौम की जानिब से
मुस्लिम लीडरों के नाम खुला ख़त?
मिशन यूपी चुनाव ओर 2019.
बिस्मिल्लाहिर रहमाननिर्रहीम,

जनाबे मोहतर्म,
असादुद्दीन ओवेसी साहेब, (राष्ट्रीय अध्यक्ष आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन),
मौलाना बदरुद्दीन साहेब ( अजमल राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट),
इ अहमद साहेब,(राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन यूनियन मुस्लिम),
ए.सईद साहेब,(राष्ट्रीय अध्यक्ष सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया),
डॉ सय्यद क़ासिम रसूल इल्यास साहेब,(राष्ट्रीय अध्यक्ष वेलफेर पार्टी ऑफ़ इंडिया),
डॉ. मोहम्मद अय्यूब साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष (पीस पार्टी),
मौलाना आमिर रसादि साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल),
प्रो.मुहम्मद सुलेमान साहेब,(राष्ट्रीय अध्यक्ष इंडियन नेशनल लीग),
शमशेर खान पठान साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष आवामी विकास पार्टी) ,
जनाब फारूक अब्दुल्ला (पूर्व मुख्यमंत्री,राष्ट्रीय अध्यक्ष नेशनल कांफ्रेंस),
मोहतरमा मेहबूबा मुफ़्ती सईद साहिबा (राष्ट्रीय अध्यक्ष जम्मू एंड कश्मीर पेओप्लेस डेमोक्रेटिक पार्टी ),
जनाब अफजल अंसारी साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष क़ौमी एकता दल),
जनाब सलीम पीरजादा साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष परचम पार्टी ऑफ़ इंडिया)
हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष इत्तेहाद -ए-मिल्लत कौंसिल)

आप सभी की ख़िदमत में एक फ़रियाद गुज़ारिश है जो अहद लेकर मैदान मैं क्या आप उसपर सही काम कर रहे हैं ? मेहरबानी करके उसपर ग़ौर करें और मुसलमानो के ख़्वाहिश और जज़्बात को ध्यान में रखकर उसपर अमल करने की कोशिश करें.

सेकुलरिज्म को नेहरू घराने ने अपनी प्रॉपर्टी बना ली है, हिंदुत्व को बीजेपी ने हाईजैक करके क़ैद कर लिया है, समाजवाद पर मुलायम परिवार ने कब्ज़ा कर लिया, बहुजनवाद को मायावती ने गिरवी रख दिया है, लेफ्ट ने लेनिनवाढ और मार्क्सवाद को सत्ता का गुलाम बना दिया.

कभी बांग्लादेशी के नाम पर, कभी पाकिस्तानी के नाम पर, कभी आतंकवाद के नाम पर, कभी दंगा फ़साद की  वजह, कभी बम ब्लास्ट के नाम पर, कभी फ़र्ज़ी तंजीमों के नाम पर, कभी मुस्लिम बच्चों को बेजा तरीके से ग्रिफ्तार करके और कई तरीके से डराने, दबाने और उत्तेजित करने का काम हो रहा है.

भारत का 2% ब्राह्मण इत्तेहाद के कारण उनकी हिकमत अमली सफल हो जाती है और वो हुकूमत में है और हम 25% मुस्लिम इन्तेशार की वजह से हमारी  हिकमत अमली नाकाम हो जाती है, हम ग़ुलाम वो राजा?

कांग्रेस,बीजेपी और कम्यूनिस्ट तीनो पार्टियां एक ही तबके 2 % ब्राह्मण के हाथ में हैं इसलिए देश की राजनीति का दिवाला हो चूका है और देश गृहयुद्ध, धर्मयुद्ध और बंटवारे की तरफ बढ़ाया जा रहा है और उसका ज़िम्मेदार मुसलमानो को बनाने की कोशिश हो रही है.

देश का सबसे बड़ा तबका हिन्दू OBC है इसलिए उसको देश की बागडोर संभालनी चाहिये मगर वो बरह्मणो का खिलौना बन चूका है, उसके बाद बाड़ा तबका दलित का है और वो भी सियासी तौर पर बिखरा हुआ है, उसके बाद मुसलमानो का तबका है जो छोटी छोटी सियासी पार्टिओं में बंटा हुआ है ऐसी हालत में सभी मुस्लिम पार्टिओं को एकजुट होकर गृहयुद्ध,धर्मयुद्ध और बटवारे से बचाने के लिए देश की बाग डोर संभालनी चाहिये.

प्रवीण तोगड़िया, साक्षी महाराज, योगी आदित्यनाथ, साध्वी बालिका सरश्वती , साध्वी प्राची, अशोक सिंघल जैसे लोग मुसलमानो को बार बार पाकिस्तान भगाने की बात करते रहते हैं और डॉ सुब्रमनियन स्वामी मुसलमानो में फुट डालकर कमज़ोर करना चाहते हैं.

गठबंधन का ज़माना है और सभी पार्टी को गठबंधन की ज़रूरत है और करती है, मुस्लिम पार्टी को भी गठबंधन करने की कोशिश करनी चाहिये गैर मुस्लिम की बड़ी तादाद आप लोग की राह देख रहा है के मुस्लमान एकजुट होना चाहिये और वो इस गठबंधन के पीछे आने को तैयार हैं मगर जब तक मुस्लिम परिवार एक साथ खड़ा नहीं होगा तो दूसरे लोग हमारे साथ नहीं खड़े होंगे.

हमारे पुरखों ने गोरे फिरंगिओं से आज़ादी मिलकर हासिल की, क्या हम आज भी आज़ाद हैं ?

हम मुसलमानो का पिछड़ापन सियासत की वजह ही से  है और सियासी लोगो ने ही पैदा किया है और इसका हल भी सियासी तरीके से ही होगा.

आज तक कई बार पार्टी बदली, नेता बदले, झंडा बदला मगर सियासी सिस्टम वही रहा है इसलिए देश में कोई बदलाओ नहीं हो पा रहा है. सभी धर्मो का आदर करते हुए संविधान के दायरे में रहते हुए, कानून के पालन करते हुए मुस्लिम लीडरशिप ने एक स्वदेशी सियासी सिस्टम देश के सामने लाना चाहये जो अभी तक इस देश में नहीं हो पाया है.

भारत देश में सिंगल लीडरशिप का माहोल नहीं है बल्कि सामूहिक लीडरशिप का माहोल है और देश बहुत बड़ा है इसलिए कोई एक लीडर काफी नहीं है, सामूहिक लीडरशिप खड़ा करना मुश्किल काम तो है मगर सिंगल लीडरशिप खड़ा करना ना मुमकिन है.

अक्सर लोग सभी लीडरों पर किसी ना किसी का एजेंट होने का इलज़ाम लगाते रहते हैं, मगर हमारा कहना है के मुसलमानो के पास जो सियासी लीडर मौजूद हैं उसीको दुरुस्त करते हुए काम लेना पड़ेगा और इसी लीडरशिप से काम लेते हुए नयी पीढ़ी की भी लीडरशिप तैयार करनी होगी.

देश का मुस्लमान दिल से इत्तेहाद इत्तेफ़ाक़ चाहता है मगर देखना है कि है जो इस आवाज़ को सुन रहा है और महसूस कर रहा है और इस नेक मकसद के लिए कौन मुस्लिम लीडर आगे आ रहा है ?

देश भर में 1 दर्ज़न मुस्लिम नेता हैं जिनको सियासी तौर पर एकजुट करने से पूरी क़ौम एकजुट हो सकती है और उसके बाद मुसलमानो के सारे मसले हल होने शुरू हो जायेंगे.

दंगा फसाद हो, फेक एनकाउंटर हो, बेक़सूर नवजवानों की गिरिफ्तरी हो, मस्जिद या मदरसा का मामला हो,क़ुरआन  की तौहीन हो, नबी (saw) का कार्टून हो, या बजरंगदल और विश्व हिन्दू परिषद की बद कलामी हो,हमारे नेता अकेले अकेले आवाज़ उठाते रहे हैं मगर इसका नतीजा सिर्फ अख़बार में छपने और Tv पर दिखने से ज़्यादा कुछ नहीं हो रहा है, अगर आप लोग मिलकर एक साथ आवाज़ उठायें तो बहुत बेहतर नतीजा निकलेगा.

सभी मुस्लिम लीडर पर इलज़ाम लगता रहा है के RSS और BJP के एजेंट हैं मगर हमारा कहना है के जिस दिन इत्तेहाद इत्तेफ़ाक़ हो जायेगा उसी दिन ये इलज़ाम भी अपने आप ख़त्म हो जायेगा.

मुस्लिम इत्तेहाद होने से मुसलमानो की तालीमी, सियासी, समाजी, माली और क़ानूनी मसले जो 68 सालों से उलझे हुए हैं वो सभी हल होना शुरू हो जायेगे, आज कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी कहां है आप देखें, क्या गठबंधन को मजबूर नहीं है, क्यूं, सियासत की मांग है ?

आप सभी लोग कहते है कि हम मुसलमानो मुत्तहिद  हो जाओ ? मगर आज मुस्लिम अवॉम कहती है कि  पहले तुम एक दर्ज़न लोग मुत्तहिद हो जाओ हम 25-30 करोड़ जितने भी हैं, मुत्तहिद हो जायेंगे और अगर आप लोग बिखरे रहे तो 25-30 करोड़ लोग कैसे मुत्तहिद होंगे ?

आप लोग चाहें तो मिलकर प्रेसिडेन्टिअल् बोर्ड बना कर सामूहिक लीडरशिप कायम करें या किसी एक को लीडर माना जाये और आप लोग दोनों तरीकों में से जो भी फैसला लोगे हम लोग उसको मानेंगे और मनवाएंगे भी.

N.D.A, और U.P.A, की तरह देश में और मुस्लिम लीडरशिप में एक गठबंधन की ज़रूरत है मतलब एक तीसरे मोर्चे के गठन होना चाहये जिसकी अगवाई मुस्लिम लीडरशिप करें इससे मोरारजी देसाई, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच. डी. देवेगौड़ा, चंद्रशेखर, इंदरकुमार गुजराल की तरह इस मोर्चे का प्रधानमंत्री होने के रास्ते निकल सकते हैं.

पहले मुस्लिम परिवार को एकजुट करके मेज़बानी केलिए तैयार होना चाहिऐ उसके बाद दूसरे समाज को भी दावत देनी चाहये.

मुल्क की अवॉम मुस्लिम इत्तेहाद ओर इत्तेफ़ाक़ के आपके फ़ैसले के इंतज़ार में हैं और हमारे संपर्क में हैं जिस दिन मुस्लिम इत्तेहाद होगया उस दिन से सियासी तौर पर OBC, DALIT,SIKH, Christian वगैरा हमारे साथ खड़े नज़र आयेंगे इंशाअल्लाह.

सभी मुस्लिम पार्टियों को मिलाकर एक फ्रंट बनायेँ और सभी सेक्युलर पार्टियों से सियासी गठबंधन का दरवाज़ा खुला रखें ताकि सरकार में भागीदार हो सकें और मुसलमानो के साथ साथ दूसरे तबकों को भी इंसाफ दिला सकें

आप से गुज़ारिश है के इत्तेहाद की अगुवाई करें और सभी लोग के साथ मीटिंग करें और सभी के सुझाव के मुताबिक कॉमन प्रोग्राम बनायें और सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करें.

क्या आप इस खत का जवाब देने की मेहरबानी करेेंगे ?
एस एम फ़रीद भारतीय
09808123436
smfaribharti@nbtvindia.com
smfaribharti@yahoo.com
smfaribharti@gmail.com

1 comment:

  1. फरीद भाई बेशक बहुत अच्छा कहा है अपने अगर ये हमारे चन्द नेता एक हो गए तो इंसाहल्लाह हम भी एक साथ आ जायेंगे इनके साथ अल्लाह आपको यूही हौशला दे आमीन

    ReplyDelete

अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !

दुनियां को एक दिन की प्रेस आज़ादी मुबारक...?

कब और क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस...जानें भारतीय पत्रकारों की चुनौतियां एवं जोखिम क्या हैं...? एस एम फ़रीद भ...