Wednesday 12 April 2017

तीन तलाक़ या औरतों की हिमायत कौन ओर क्यूं समझने की ज़रूरत है...?

"मेरे मन की बात"
एस एम फ़रीद भारतीय
सवाल नम्बर एक औरत यानि बेटियों को मां की कौख मैं मारने वाला कौन,
इस्लाम या कोई ओर...?

इस्लाम ने बेटियों को जीने का हक़ ही नहीं दिया बल्कि
मां-बाप की दौलत मैं उसको बराबर का हक़ भी दिया है तीसरा हिस्सा मां-बाप की जायदाद मैं बेटी का होता है...!
सवाल नम्बर दो अगर पेट मैं बच भी गई तब दहेज की बलि चढ़ाने वाला कौन...?
इस्लाम या कोई ओर...?
इस्लाम मैं बेटी जब बाप के घर मैं होती है तब भी वो जायदाद की मालकिन होती है ओर जब मां-बाप के घर से विदा होकर ससुराल आती है तब जहां उसकी ज़िम्मेदारी बढ़ती है वहीं उसका रूत्बा भी बढ़ता है ओर हक़ हलाल की कमाई से औरत को पालना शौहर का फ़र्ज़ है वहीं औरत घर की जीनत है इसलिए इस्लाम मैं औरत की आवाज़ का भी ग़ैर मर्द से पर्दा बताया गया है, बेटी जन्नत का दरवाज़ा है वहीं मां बनने पर पैरों के नीचे जन्नत बताई गई है ज़िक्र मां ओर बेटी शब्द का है...
सवाल नम्बर तीन योगि संत ओर साधू का भेष बनाकर हमेशा औरतों से दूर रहने का बहाना बनाने वाले कौन...?
औरतों के हमदर्द ओर उनके सुख दुख को जानने वाले या औरतों को घर की ज़ीनत बताकर घर मैं औरत को रानी बनाने वाले...!
सुना ओर देखा ही होगा कि औरत के हुकूक का पता तभी चलता है जब औरत साथ हो वो भी समाज औरत धर्म की मर्यादओं के बंधन को स्वीकार कर हज़ारों लोगों के बीच बंधन मैं बंधकर ख़ुशी ख़ुशी अपने मां-बाप के घर को छोड़कर शौहर के साथ उसके घर मैं ख़ाली हाथ आये ओर घर को अपनी समझ लग्न ओर मेहनत के साथ अपने प्यार से शौहर के परिवार के घर वालों के दिलों को जीत ले ओर उस घर को ख़ुशियों से भर दे वहीं औरत कहलाने के लायक है वरना बेज़रूरत घर से निकलने वाली औरतों को बाज़ारू कहा जाता है...
सवाल नम्बर चार सबसे बड़ा मज़ाक़ मुल्क मैं इसलिए भी कहा जा सकता है जो आदमी औरतों के हुकूक की बात कर रहा है वही मुल्क मैं प्रधानपद पर आसीन होने के साथ ही औरत यानि पत्नि को दूर रख उसपर ज़ुल्म करने वाला इंसान ख़ुद है...?
अब हमारे पीएम साहब की सोच को देखें वो आज मुल्क मैं एक नया शोर मचाये हुऐ हैं ओर घरों की औरतों को घर से बाहर निकालकर सड़कों पर लाने की बात कर रहे हैं यानि मर्द सब नकारा हैं औरतें कामयाबी की बुलंदियों को छूयेंगी कैसे...?
होगा ये कि इन्टरनेशनल बाज़ार मैं सामान अपनी ख़ूबी से जहां कम बिकता है वहीं ख़ूबसूरत औरत का चेहरा दुकान पर दिख जाये तब ख़रीदार मर्द सामान को कम बेचने वाली के चेहरे को देखकर सामान को ख़रीदता है.
मिसाल सामने है मुल्क मैं जहां डांसबारों मैं औरतों के डांस करने के लिए नियम कानून हैं वहीं आज आईपीएल मैं औरतों के बेहुदा ठुमके आपके हर चौके छक्के पर देखने को मिल जायेंगे ओर ये भी कडवा सच है कि आज अधिकतर लोग मैच को कम देखने जाते हैं ज़्यादातर बेहुदा ठुमकों को देखने जाते हैं.
इस्लाम औरतों को बिन मजबूरी को मोहरा बनाकर बाज़ार मैं उतारने की कतई इजाज़त नहीं देता ओर मर्द को हुकुम देता है कि वो घर के कामों मैं औरतों के हाथ बटाये वहीं पहले की हिन्दु औरतों को भी देखें वो लम्बा घूंघट लगाकर घर से बाहर निकला करती थीं लेकिन आज...?

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