Saturday, 25 September 2021

बुरे फंसे मेरे यार जब नहीं रही ट्रम्प सरकार, अब कि बार ट्रम्प सरकार का नतीजा...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त अमेरिका के दौरे पर हैं जैसा कि भारतीय मीडिया से सभी लोग वाकिफ़ हैं प्रधानमंत्री के इस दौरे को भारतीय मीडिया में खूब हाई लाईट किया जा रहा है, दिन-रात मीडिया चैनलों में सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के ही चर्चे हो रहे हैं, देश मैं क्या हो रहा है इससे गोदी मीडिया को कोई मतलब नहीं, भारतीय पीएम की छवि अब अमेरिका मैं वो नहीं जो ट्रम्प सरकार के दौर मैं हुआ करती थी, वही मीडिया जबरदस्ती किराये के बैंड वालों से बाजा बजवा कर भाजपा आईटी सेल को ऊर्जा देने की नाकाम कोशिश कर रही है.

मीडिया की नज़र मैं असम में हुई हिंसा कोई मायने नहीं रखती, यही वजह है सभी चैनलों द्वारा वह कवरेज नहीं मिली जो इस ख़बर को मिलनी चाहिए थी, असम राज्य के अंदर वहां के नागरिक और पुलिस आपस में लड़ रहे हैं, वहीं राज्य में एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन मीडिया इन सब बातों से बेपरवाह होकर अमेरिका दौरे के बहाने प्रधानमंत्री मोदी का प्रचार प्रसार करने में जुटा हुआ है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह अमेरिका दौरा ऐसा है जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी याद नहीं करना चाहेंगे, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात के बाद पीएम साहब ने तो टवीट कर दिया, मगर अभी तक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कोई टवीट नहीं किया है.

इस बार अमेरिका में सत्ता का परिवर्तन हो चुका है, डोनाल्ड ट्रंप की जगह है जो बाईडेन अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले किसी भी राष्ट्राध्यक्ष से मिलते थे तो गर्मजोशी के साथ गले मिलते थे, लेकिन इस बार वह गर्मजोशी देखने को नहीं मिल रही है, डोनाल्ड ट्रंप, नेतनयाहू, पुतिन जैसे नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वह गले मिलती हुई तस्वीरें जो मीडिया द्वारा और बीजेपी आईटी सेल द्वारा वायरल की जाती थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार प्रसार किया जाता था, और ये जताने की कोशिश की जाती थी कि भारत की नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यहां पर्सनल दोस्ती स्वागत की सबसे बड़ी वजह है, इस बार के दौरे से गायब है.

यही वजह कि शायद इस बार वैसा कुछ करने का मौका बीजेपी आईटी सेल और गोदी मीडिया को ना मिल पाए, क्योंकि इस बार जो बिडेन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस गर्मजोशी के साथ गले मिलते हुए दिखाई नहीं दिए या फिर जो बाईडेन ने उन्हें उस गर्मजोशी के साथ मिलने ही नहीं दिया, इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं, पहली भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक़्त अमेरिका में जाकर डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार किया था, जिसकी भारत मैं विपक्ष ने कड़ी निंदा कर सवाल खड़े किये थे, तब एक बड़ा मंच तैयार किया गया था, जिसपर खड़े होकर पीएम ने कहा था अबकी बार ट्रंप सरकार...?

हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार के अमेरिकी दौरे को उस तरीके से शायद याद ना कर पाए जिस तरह वह डोनाल्ड ट्रंप से मिलकर याद किया करते थे इस बार, इस बार अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया और अपने ट्वीटर से प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात का वो वीडियो शेयर किया जिसमें वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डेमोक्रेसी यानि लोकतंत्र का पाठ पढ़ाते हुए नजर आ रही हैं.

अमेरिका मैं मौजूदा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार पर हमेशा आरोप लगते रहे हैं कि इस सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में लोकतंत्र लगातार कमजोर हो रहा है, मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है, साथ ही संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, सरकार संवैधानिक संस्थाओं को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है, विपक्ष की आवाज को नज़रांदाज़ कर कुचलने की कोशिश की जा रही है, पार्टी या पीएम सी एम की आलोचना करना जुर्म हो गया है, आलोचना करने वालों को डराया धमकाया जा रहा है, उनपर एफआईआर कर उन्हें चुप कराने की कोशिश की जा रही है.

अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों को याद दिलाना इशारा कर रहा है कि अमेरिका की बारीक नज़र भारत पर है, तभी तो लोकतंत्र की परिभाषा बताना अपने आप में बहुत कुछ बयां कर जाता है, कहीं ना कहीं यह दिखाई दे रहा है कि अमेरिका जैसे देश को भी लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में लगातार लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, शायद इसीलिए अपने ट्विटर हैंडल से जो वीडियो कमला हैरिस ने शेयर किया है, उसमें भी वही हिस्सा उन्होंने शेयर किया है जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने लोकतंत्र के बारे में बात कर रही हैं या तूं कहें कि उन्हें लोकतंत्र याद दिलाकर पाठ पढ़ाया जा रहा है.

वहीं जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात हुई उस दौरान भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने महात्मा गांधी की बात की अहिंसा के बारे में बात की उन्होंने कहा कि, हमारे संबंध पारिवारिक हैं, चार मिलियन भारतीय मूल के लोग यहां है जो अमेरिका को और मज़बूत बनाते हैं, अगले सप्ताह जब हम महात्मा गांधी जी का जन्मदिन मनाएंगे तो हमें याद रखना है कि उनके बनाए जो मूल्य हैं अहिंसा, सहिष्णुता और आदर की आज की दुनिया को पहले से ज़्यादा ज़रुरत है, गांधी जी को याद करना ही अमेरिका की सोच को सामने लाता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान सभा को संबोधित करते हुए, ना तो जनसंघ, ना ही हिंदू महासभा और ना ही आरएसएस से जुड़े हुए किसी अपने नेता को याद किया, यानि वहां वो गोलवलकर को भी याद नहीं कर पाये जिनका डंका भारत मैं भक्तों के सामने पीटा जाता है क्यू...? भारत मैं तो गोंड से को बहुत याद किया जाता है अमेरिका मैं क्यूं गोडसे को याद नहीं किया गया, गौंडसे तो गौंडसे प्रधानमंत्री ने तो अपने महान नेता सावरकर तक को भी याद नहीं किया, जब हमारे प्रधानमंत्री के सामने दूसरे देश एक महा शक्ति का मज़बूत राष्ट्रपति महात्मा गांधी के मूल्यों को याद कर रहा है जिसे हमारे प्रधानमंत्री के समर्थक भारत के अंदर नफ़रत करते हैं गालियां देते हैं, तस्वीर लगाकर गोलियां बरसाते हैं और फिर भी आज़ाद घूमते हैं.

लगता है कि प्रधानमंत्री को इस दौरे से खुद प्रधानमंत्री के साथ उनके समर्थकों, बीजेपी टीम और मोदी का दिन-रात प्रचार करने वाली मीडिया, बीजेपी आईटी सेल को गहरा झटका लगा है, क्यूंकि इस दौरे पर वह सब कुछ हुआ जिसकी उम्मीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, आने वाले राज्यों मैं चुनावों को लेकर अपनी टीम और गोदी मीडिया मैं जोश भरना चाहते थे, मगर नहीं ऐसा नहीं हो सका, ये उम्मीद गोदी मीडिया और मोदी समर्थकों ने नहीं की थी, मोदी का प्रचार करने वाली मीडिया तो बहुत बैचेन है कि ये हुआ क्या, यही वजह है कि अब ये सब और पीएम ख़ुद शायद इस दौरे को भूलना ही चाहेंगे, पहले जिस तरहां पीएम के विदेशी दौरों को लंबे समय तक प्रचारित किया जाता था अब नहीं होगा...!!

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