एस एम फ़रीद भारतीय
अपने आलस्य को दूर करें-पंडित नेहरू...?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद व्यापक रूप से आधुनिक भारत की सबसे बड़ी शख्सियत के रूप में पहचाने जाने वाले, नेहरू को राष्ट्र निर्माण, लोकतंत्र को सुरक्षित करने और एक जातीय गृहयुद्ध को रोकने में उनके योगदान के लिए "आधुनिक भारत के वास्तुकार" के रूप में भी जाना जाता है। उनके जन्मदिन को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
पंडित नेहरू ने कहा, "मैं चाहता हूं कि जब मेरी मृत्यु हो तो मेरे शरीर का दाह संस्कार कर दिया जाए यदि मेरी मृत्यु विदेश में होती है तो मेरा दाह संस्कार वहीं कर दिया जाए और मेरी अस्थियां इलाहाबाद भेज दी जाए. इसमें से मुट्ठी भर अस्थियां प्रयागराज के संगम नदी में बहा दी जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुनते हुए समंदर में जा मिले".
पंडित नेहरू अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए, जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया, मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया.
देश की आजादी की लड़ाई के वक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ डिफेंस ऑफ इंडिया रेगुलेशन एक्ट 1915 के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया था, बरेली के जेल के दस्तावेजों के अनुसार, पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम कैदी नंबर 582 के रूप में दर्ज है. केंद्रीय जेल में कुल 592 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद किया गया था.
क्या आपको मालूम है आज़ाद भारत के लिए पंडित नेहरू ने क्या कहा था...?
पंडित नेहरू ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान नेताओं देश और देश के लोगों के भविष्य निर्माण के लिए कई वादे किए थे, उन सभी वादों को पूरा करने के लिए अथक परिश्रम की जरूरत थी, यह परिश्रम केवल उन नेताओं को ही नहीं करना था बल्कि देश के हर व्यक्ति को करना था, इसलिए नेहरू ने कहा था कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है, बल्कि देश को आगे ले जाने का वक़्त है ओर अपने वादे पूरे किये...!
क्या आपको मालूम है पंडित नेहरू का असली नाम क्या था, नेहरू नाम कैसे पड़ा...?
गंगाधर नेहरू जी के तीन पुत्र थे, सबसे बड़े बंशीधर नेहरू भारत में विक्टोरिया का शासन स्थापित होने के बाद तत्कालीन न्याय विभाग में काम करने लगे एवं निरन्तर भारत के विभिन्न स्थानों पर नियुक्त हुए, इसी कारण वे परिवार से थोड़ा दूर रहे, उनसे छोटे नन्दलाल नेहरू थे जो लगभग दस वर्ष तक राजस्थान की एक रियासत खेतड़ी के दीवान रहे, बाद में उन्होंने आगरा लौटकर कानून की शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं वकालत करने लगे, उनकी गणना आगरा के सफल वकीलों में की जाती थी, बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बन जाने के कारण उन्हें मुकदमों के सिलसिले में अपना अधिकांश समय वहीं बिताना पड़ता था इसलिए वे अपने परिवार को लेकर स्थायी रूप से इलाहाबाद आ गये और वहीं रहने लगे, वे इलाहाबाद व कानपुर दोनों जगह वकालत करते थे, तीसरे पुत्र मोतीलाल नेहरू थे, उन पर अपने बड़े भाई नन्दलाल नेहरू का गहरा प्रभाव पड़ा था, नन्दलाल नेहरू की गणना कानपुर के अच्छे वकीलों में की जाती थी इसलिए मोतीलाल नेहरू ने अपनी वकालत उनके सहायक के रूप में कानपुर में ही आरम्भ की, मोतीलाल बाद में प्रसिद्ध वकील बने, उनके पुत्र और गंगाधर के पौत्र जवाहर लाल नहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री बने.
नहर के किनारे बस जाने के कारण उनका परिवार नेहरू के नाम से मशहूर हो गया। अपने दादा गंगाधर के विषय में नेहरू ने लिखा है कि वे अठारह सौ सत्तावन के गदर के कुछ पहले दिल्ली के कोतवाल थे। गदर में हुई भयंकर मारकाट की वजह से उनका परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया और खानदान के तमाम कागज़-पत्र और दस्तावेज़ तहस-नहस हो गये.
गंगाधर नेहरू (1827 – 4 फरवरी 1861) वह 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान दिल्ली के कोतवाल (मुख्य पुलिस अधिकारी) थे, वे स्वतंत्रता सेनानी एवं कांग्रेस नेता मोतीलाल नेहरू के पिता और स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के दादा थे.
आज ही के दिन यानि 27 मई 1964 की तारीख भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि होती है, 1964 में 27 मई की सुबह ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और उनकी मौत हो गई थी, आधा देश उनकी अंतिम यात्रा मैं शरीक था, वहीं पूरे देश की आंखों मैं आंसू...!!
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