Sunday 11 December 2011

टीवी पत्रकारिता सच दिखाने को ही नहीं, सच सुनने को भी तैयार नहीं ?


प्रियदर्शन
टीवी पत्रकारों के बारे में जस्टिस मार्कंडेय काटजू की राय पर हो रहा बवाल बताता है कि टीवी पत्रकारिता सच दिखाने को ही नहीं, सच सुनने को भी तैयार नहीं है. जस्टिस काटजू का लहजा जैसा भी हो, लेकिन उन्होंने जो बातें कही हैं उनमें ज्यादातर – दुर्भाग्य से सत्य हैं. जस्टिस काटजू की मूलतः तीन शिकायतें हैं- एक तो यह कि मीडिया अक्सर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाता है. दूसरी यह कि मीडिया मनोरंजन के नाम पर परोसे जा रहे कूड़े को सबसे ज्यादा जगह देता है. और तीसरी यह कि मीडिया अंधविश्वास को बढ़ावा देता है. इन सबके बीच एक बड़ी शिकायत की अंतर्ध्वनि यह निकलती है कि मीडिया कई तरह के गर्हित गठजोड़ों और समझौतों का शिकार है जिसके तहत खबरों को तोड़ा-मरोड़ा और मनमाने ढंग से पेश किया जाता है.



मीडिया के सरोकारों को समझने की जरूरत ? 

भारतीय प्रेस परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए प्रेस परिषद के विस्तार और उसे ताकतवर बनाने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने मीडिया के व्यवहार और मीडियाकर्मियों के बौद्धिक स्तर को लेकर भी अपनी राय जाहिर की है। इसे लेकर संपादकों की जमात बेहद नाराज है। काटजू ने मीडिया के व्यवहार से जुड़े कुछ तथ्य पेश किए हैं। इन्हीं तथ्यों के आधार पर उन्होंने परिषद को ताकतवर बनाने की मांग की है। मीडिया के मालिक और संपादक उन तथ्यों को लेकर खामोश हैं।

काटजू ने मीडिया के सामाजिक सरोकार से विचलन और उसके सांप्रदायिक चरित्र पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने उदाहरण के रूप में देश भर में अब तक हुए बम विस्फोटों की खबरों को लेकर मीडिया के रुख पर सवाल खड़े किए हैं। ‘देश भर में जहां कहीं बम विस्फोट की घटनाएं होती हैं, फौरन चैनल उनमें इंडियन मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद, हरकत उल-अंसार जैसे संगठनों का हाथ होने या किसी मुसलिम नाम से इ-मेल या एसएमएस आने की खबरें चलाने लगते हैं। इस तरह चैनल यह जाहिर करने की कोशिश करते रहे हैं कि सभी मुसलमान आतंकवादी या बम फेंकने वाले हैं। इसी तरह मीडिया जानबूझ कर लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने का काम करता रहा है। ऐसी कोशिशें राष्ट्रविरोधी हैं।’

No comments:

Post a Comment

अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !

सेबी चेयरमैन माधवी बुच का काला कारनामा सबके सामने...

आम हिंदुस्तानी जो वाणिज्य और आर्थिक घोटालों की भाषा नहीं समझता उसके मन में सवाल उठता है कि सेबी चेयरमैन माधवी बुच ने क्या अपराध ...