वाशिंगटन. हाल ही में जारी किए गए कुछ दस्तावेजों के मुताबिक 18 मई 1974 को भारत के शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण ने अमेरिका को हैरत में डाल दिया था, क्योंकि उसकी खुफिया एजेंसियों को इसकी तनिक भी भनक नहीं लग पाई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा संग्रहालय द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक निक्सन प्रशासन के नीति निर्माताओं ने भारतीय कार्यक्रम को न्यूनतम प्राथमिकता दी थी और उन्हें यह जानने की कोई जल्दबाजी नहीं थी कि क्या भारत सरकार किसी प्रकार के परमाणु परीक्षण की तैयारी कर रही है।
परीक्षण से दो साल पहले 1972 की शुरुआत में हालांकि विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ इंटेलीजेंस एंड रिसर्च (आईएनआर) ने यह अनुमान जताया था कि भारत भूमिगत परीक्षण की तैयारी कर सकता है और इसका पता सम्भवत: अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को नहीं चल पाए।
रिपोर्ट पहली बार मंगलवार को जारी की गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि आईएनआर ने यह रिपोर्ट तब तैयार किया था, जब गोपनीय सूत्र बता रहे थे कि भारत एक परमाणु परीक्षण करने वाला है।
रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी अधिकारी हालांकि यह तय नहीं कर पाए कि भारत ने परीक्षण का वाकई फैसला किया है, जबकि खुफिया सूचनाएं इस सम्भावना की ओर इशारा कर रही थीं।
राष्ट्रीय सुरक्षा संग्रहालय द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक निक्सन प्रशासन के नीति निर्माताओं ने भारतीय कार्यक्रम को न्यूनतम प्राथमिकता दी थी और उन्हें यह जानने की कोई जल्दबाजी नहीं थी कि क्या भारत सरकार किसी प्रकार के परमाणु परीक्षण की तैयारी कर रही है।
परीक्षण से दो साल पहले 1972 की शुरुआत में हालांकि विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ इंटेलीजेंस एंड रिसर्च (आईएनआर) ने यह अनुमान जताया था कि भारत भूमिगत परीक्षण की तैयारी कर सकता है और इसका पता सम्भवत: अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को नहीं चल पाए।
रिपोर्ट पहली बार मंगलवार को जारी की गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि आईएनआर ने यह रिपोर्ट तब तैयार किया था, जब गोपनीय सूत्र बता रहे थे कि भारत एक परमाणु परीक्षण करने वाला है।
रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी अधिकारी हालांकि यह तय नहीं कर पाए कि भारत ने परीक्षण का वाकई फैसला किया है, जबकि खुफिया सूचनाएं इस सम्भावना की ओर इशारा कर रही थीं।
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