नई दिल्ली. संसद में लोकपाल बिल पर बहस पूरी हो गई है। बहस के अंत में वित्र मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सराकार की ओर से विपक्ष और अन्य दलों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब दिए। सरकार पर जल्दबाजी में बिल पास करने के आरोप का जवाब देते हुए प्रणब ने कहा, सरकार जल्दबाजी में बिल नहीं ला रही है। इस बिल पर सरकार में लंबे समय से काम किया जा रहा है।
...लोकपाल बिल को लेकर जब सिविल सोसाटी ने मांग की तो प्रधानमंत्री ने फैसला लिया और सही फैसला लिया कि सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ बैठकर बिल पर चर्चा की जाए और एक प्रभावी बिल बनाया जाए। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री ने पांच मंत्रियों, जिन में मैं भी शामिल था चुने। सिविल सोसायटी और सरकार के मंत्रियों के बीच नौ बैठके हुईं। हमने मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक पार्टियों को पत्र लिखकर उनका भी रूख मांगा।
...प्रणब ने कहा, हमने बिल बनाया और हम फिर से संसद में आए। तीन जुलाई को हमने सर्वदलीय बैठक बुलाई और सभी की राय मांगी। कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने हमें पत्र भी लिखे। मैं यह कहना चाहता हूं कि अप्रैल से लेकर दिसंबर तक इस बिल पर गहन चर्चा हुई है और काफी वक्त बिताया गया है। इसलिए यह बिल जल्दबाजी में नहीं लाया जा रहा है।
...अपने भाषण में प्रणब ने कहा, सदन में बिल भी लाया गया लेकिन सिविल सोसायटी का विरोध जारी रहा। राजनेताओं ने संसद में यह कहा कि सिर्फ संसद ही कानून बना सकती है। कुछ पार्टियों ने संसद में तो कहा कि सिर्फ संसद ही कानून बना सकती है जबकि उन पार्टियों के कुछ सदस्यों धरना प्रदर्शनों में भी पहुंचे। मैं ये नहीं कहता कि किसी धरने में शामिल होना गलत है या फिर सिविल सोसायटी के लोगों से बात करना गलत है।
...इसके बाद सरकार को सिविल सोसायटी ने फिर चुनौती दी कि 15 अगस्त तक बिल पास किया जाए नहीं तो फिर से धरना होगा। प्रधानमंत्री ने अन्ना को पत्र लिखा लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। फिर से धरना शुरु हुआ। 24 पार्टी को हमने बैठक की, सर्वदलीय बैठक भी हुई।
...सदन में बहस के बाद मेरे द्वारा लिखे गए पत्र को सेंस ऑफ द हाउस कहा गया, लेकिन वो मेरा पत्र नहीं था, वो पूरे सदन का पत्र था, सभी पार्टी अध्यक्षों की राय उसमें शामिल थी। पत्र में संसद ने अन्ना हजारे की मांगों को मानने का वादा किया था। हम अन्ना की तीन मांगों पर राजी हुए थे कि पहला लोकपाल बिल पास हो, दूसरा सिटिजन चार्टर, और तीसरा निचले स्तर के कर्मचारी लोकपाल के दायरे में आएं।
...हमने सदन में बिल इसलिए पेश किया क्योंकि हम देश को यह संदेश देना चाहते थे कि यह बिल लाने के लिए सही वक्त है।
हम जल्द ही संशोधन ला रहे हैं।
...यशवंत सिन्हा द्वारा प्रधानमंत्री के भाषण को विदाई भाषण कहे जाने पर जवाब देते हुए प्रणन ने कहा कि प्रधानमंत्री विदाई भाषण नहीं दे रहे हैं, उन्होंने सरकार के फैसलों में सिविल सोसाइटी की बात को जगह देकर नई शुरुआत की है।
विपक्ष को अभी प्रधानमंत्री की विदाई देखने के लिए इंतेजार करना चाहिए।
...लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के चलते संसद की कार्रवाई कई बार स्थगित किए जाने पर बोलते हुए प्रणब ने कहा, मेरी बात से कोई कितना भी इंकार करे, लेकिन मैं मरते वक्त तक ये मानता रहूंगा कि संसद का स्थगित होना समाधान नहीं हो सकता। संसद चर्चा के लिए हैं, यहां चर्चा होनी चाहिए।
...लोकपाल पर प्रणब ने कहा, मैं मानता हूं कि जो बिल सरकार ला रही है वो सर्वश्रैष्ठ नहीं है, लेकिन ये खराब भी नहीं है। ये देश की बहुत सी समस्याओं को सुलझाने में सक्षम है। हम बिल में सुधार करते रहेंगे। देश के कानून में जनता की आवाज शामिल होगी लेकिन कानून संसद में ही बनेंगे, सड़क या चौराहों पर नहीं।
...भाजपा द्वारा सर्वश्रैष्ठ बताए जा रहे उत्तराखंड के लोकायुक्त बिल पर टिप्पणी करते हुए प्रणब ने कहा, उत्तराखंड बिल को सर्वश्रैष्ठ बताया जा रहा है लेकिन वो बिल कहता है कि मुख्यमंत्री को तब तक जांच के दायरे में नहीं लाया जा सकता जब तक पूरा सदन उसकी मंजूरी न दे। प्रणब ने यह भी कहा कि सेना का कोई भी अंग लोकपाल के दायरे में नहीं आएगा।
..अंत में प्रणब ने कहा, मैं सदन से आग्रह करता हूं कि वो इस बिल को स्वीकार करे, यह जल्दबाजी में नहीं लाया गया है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि सरकार जानबूझकर जल्दबाजी कर रही है।
No comments:
Post a Comment
अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !