वोट नहीं तो चाट का मज़ा ?
उत्तर प्रदेश की जिन 56 विधान सभा सीटों पर बुधवार को मतदान हो रहा था, उनमे अमेठी चुनाव क्षेत्र भी शामिल है, अमेठी संसदीय क्षेत्र एक लंबे अरसे से गाँधी परिवार का गढ़ रहा है और इसपर ख़ास नज़र भी रही है और उम्मीद भी.
लेकिन मतदान के दिन इलाके में घूमने के बाद कई ऐसे मतदाता दिखे, जिनके पास वोटर कार्ड तो है लेकिन उनका नाम मतदाता सूची से गायब है. राम बहादुर एक ऐसे ही व्यक्ति हैं, जो अमेठी में पिछले 20 सालों से रह रहे हैं, ऐसा नहीं है कि राम बहादुर ने पिछले चुनावों में मताधिकार का प्रयोग नहीं किया है. उन्हें याद पड़ता है 2003 में अपने वोटर कार्ड बनने से पहले और उसके बाद के सभी चुनावों में उन्होंने अपने मत का प्रयोग किया है.
लेकिन बुधवार सुबह उन्हें हैरानी हुई जब वे अमेठी के मतदाता केंद्र पहुंचे और उनका नाम सूची में ही नहीं था, राम बहादुर कहते हैं, अब ये तो सरकार जाने और प्रशासन जाने कि मेरा नाम कहाँ गया. मुझे इस बात की बहुत निराशा है कि मैं दो किलोमीटर साइकिल चलाकर आने के बाद भी अपने वोट का प्रयोग नहीं कर सका,यह पूछने पर कि मतदान केंद्र पर मौजूद चुनाव कर्मियों ने कोई सहायता नहीं की क्या, राम नरेश ने बताया, "वे कर भी क्या सकते हैं." जब मैंने पोलिंग एजेंटों से बात की तो उनका भी जवाब यही था.
'नाम नहीं'
इसी चुनाव क्षेत्र से जुड़े हुए एक दूसरे क्षेत्र गौरीगंज में भी कई ऐसे युवा हैं, जिनका नाम मतदाता सूची से गायब है, सजीवन सिंह एक ऐसे ही युवक हैं जो दोपहर 12 बजे के क़रीब मतदान केंद्र पर पहुँचने के बाद दंग रह गए कि उनका नाम सूची से नदारद है, सजीवन ने बताया, "अब मुझे इतनी फ़ुर्सत कहाँ कि मैं जाकर अपना नाम ठीक करवाता रहूँ. अब मैं चाट के मजे लेकर घर लौट जाऊँगा."
जौनपुर से लेकर सुल्तानपुर तकमैं कई मतदान केंद्रों पर गया,लेकिन इस तरह के मामले कम ही मिले थे अब तक, यूपी में मतदान के तीसरे चरण में गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और सुल्तानपुर के अलावा कौशांबी,इलाहाबाद, जौनपुर, चंदौली, वाराणसी, संत रविदास नगर, मिर्ज़ापुर और सोनभद्र ज़िलों में भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच मतदान हुआ, अमेठी और सुल्तानपुर में चुनाव प्रचार की कमान प्रियंका गांधी ने संभाल रखी थी.
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