लखनऊ, कांग्रेस नेता व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल लगातार उप्र में पार्टी के चुनाव अभियान से जुड़े हैं, मंगलवार को वे लखनऊ में थे, इस दौरान उनसे लंबी बातचीत की, इस दौरान वे अपने टैबलेट पर केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के भेजे ई-मेल भी चेक करते रहे, प्रस्तुत है उसके अंश...
उप्र में कांग्रेस का भविष्य किस रूप में दे रहे हैं ? उप्र में कांग्रेस सिर्फ खड़ी नहीं है बल्कि आगे बढ़ रही है। २०07 व २०12 में जमीन-आसमान का अंतर है। जनता बदलाव चाह रही है.
राहुल गांधी के करिश्मे को किस रूप में देखते हैं ? इसमें शक नहीं है कि उप्र में राहुल जी का करिश्मा है। इसके साथ-साथ उनका संघर्ष भी है.
और कामयाबी ? राहुल जी उप्र में 22 साल से छाए अंधेरे को उजाले की ओर ले जाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जनता उनकी बातों को सुन और समझ चुकी है। कांग्रेस को कामयाबी मिलेगी.
उप्र की जनता बदलाव चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने मायावती व मुलायम सिंह के विकल्प के रूप में कोई चेहरा पेश नहीं किया, राहुल जी तो सीएम बनेंगे नहीं ? दोनों चेहरे नाकाम हैं, जनता इन्हें नकार रही है। चुनाव हो जाने दीजिए पार्टी उप्र को एक अच्छा चेहरा देगी, जिसकी सोच राहुल जैसी होगी.
नाम का खुलासा करना चाहेंगे, कौन-कौन विकल्प में हैं ? अभी उसका समय नहीं है.
लेकिन, चेहरा सामने होता तो कांग्रेस को ज्यादा लाभ होता ? क्यों होता, 2004 में कांग्रेस ने किसको प्रोजेक्ट किया, क्या पहले से पता था कि पीएम कौन होगा, नहीं न, फिर। जनता ने कांग्रेस को चुना.
इस बार बढ़े हुए वोट से किसका लाभ देख रहे हैं ? यह 'यंग' लोगों का वोट है, नौजवान हमेशा सत्ता विरोधी रुझान दिखाता है, मै 'यंग' और यूपी में होता तो सरकार को वोट नहीं करता। जाहिर है यह वोट राहुल जी के साथ है.
क्यों राहुल के नाम पर वोट करेगा नौजवान ? साफ है बदलाव के लिए। उसकी सोच राहुल जी के साथ और राहुल की सोच युवाओं के साथ है.
कांग्रेस उप्र में बदलाव का नारा बुलंद कर रही है ? जनता चाहती है बदलाव, कांग्रेस उसकी भावनाओं को आवाज दे रही है, जनता चाहती है उसकी समस्याओं का समाधान हो, जो पिछले 22 सालों से नहीं हो रहा है, यहां की सरकारें नहीं कर रही हैं.
भाजपा कह रही है उप्र में कांग्रेस जिस सपा-बसपा के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, वे दिल्ली में केन्द्र सरकार को समर्थन दे रही हैं ? बाहर से कोई भी दे सकता है, राहुल जी ने साफ कह दिया है कि उप्र में कांग्रेस किसी के साथ नहीं जाएगी.
लेकिन, विरोधी दलों ने मुद्दा बनाया है ? बिल्कुल नहीं है। इस बार कोई 'कंफ्यूजन' नहीं है, जिनती 'क्लियरटी' इस बार है, पहले कभी नहीं थी.
कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती देख रहे हैं ? देखिए भविष्यवाणी नहीं करूंगा, हम बहुमत के लिए लड़ रहे हैं, हमारा गठबंधन है.
फिर भी उन सीटों की संख्या तो पता होगी, जहां पार्टी पहले नंबर की लड़ाई में है ? हमारा काम जनता के सामने अपना काम रखना है। जनता ने कांग्रेस को समर्थन का मन बना लिया है.
उप्र में कांग्रेस का भविष्य किस रूप में दे रहे हैं ? उप्र में कांग्रेस सिर्फ खड़ी नहीं है बल्कि आगे बढ़ रही है। २०07 व २०12 में जमीन-आसमान का अंतर है। जनता बदलाव चाह रही है.
राहुल गांधी के करिश्मे को किस रूप में देखते हैं ? इसमें शक नहीं है कि उप्र में राहुल जी का करिश्मा है। इसके साथ-साथ उनका संघर्ष भी है.
और कामयाबी ? राहुल जी उप्र में 22 साल से छाए अंधेरे को उजाले की ओर ले जाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जनता उनकी बातों को सुन और समझ चुकी है। कांग्रेस को कामयाबी मिलेगी.
उप्र की जनता बदलाव चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने मायावती व मुलायम सिंह के विकल्प के रूप में कोई चेहरा पेश नहीं किया, राहुल जी तो सीएम बनेंगे नहीं ? दोनों चेहरे नाकाम हैं, जनता इन्हें नकार रही है। चुनाव हो जाने दीजिए पार्टी उप्र को एक अच्छा चेहरा देगी, जिसकी सोच राहुल जैसी होगी.
नाम का खुलासा करना चाहेंगे, कौन-कौन विकल्प में हैं ? अभी उसका समय नहीं है.
लेकिन, चेहरा सामने होता तो कांग्रेस को ज्यादा लाभ होता ? क्यों होता, 2004 में कांग्रेस ने किसको प्रोजेक्ट किया, क्या पहले से पता था कि पीएम कौन होगा, नहीं न, फिर। जनता ने कांग्रेस को चुना.
इस बार बढ़े हुए वोट से किसका लाभ देख रहे हैं ? यह 'यंग' लोगों का वोट है, नौजवान हमेशा सत्ता विरोधी रुझान दिखाता है, मै 'यंग' और यूपी में होता तो सरकार को वोट नहीं करता। जाहिर है यह वोट राहुल जी के साथ है.
क्यों राहुल के नाम पर वोट करेगा नौजवान ? साफ है बदलाव के लिए। उसकी सोच राहुल जी के साथ और राहुल की सोच युवाओं के साथ है.
कांग्रेस उप्र में बदलाव का नारा बुलंद कर रही है ? जनता चाहती है बदलाव, कांग्रेस उसकी भावनाओं को आवाज दे रही है, जनता चाहती है उसकी समस्याओं का समाधान हो, जो पिछले 22 सालों से नहीं हो रहा है, यहां की सरकारें नहीं कर रही हैं.
भाजपा कह रही है उप्र में कांग्रेस जिस सपा-बसपा के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, वे दिल्ली में केन्द्र सरकार को समर्थन दे रही हैं ? बाहर से कोई भी दे सकता है, राहुल जी ने साफ कह दिया है कि उप्र में कांग्रेस किसी के साथ नहीं जाएगी.
लेकिन, विरोधी दलों ने मुद्दा बनाया है ? बिल्कुल नहीं है। इस बार कोई 'कंफ्यूजन' नहीं है, जिनती 'क्लियरटी' इस बार है, पहले कभी नहीं थी.
कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती देख रहे हैं ? देखिए भविष्यवाणी नहीं करूंगा, हम बहुमत के लिए लड़ रहे हैं, हमारा गठबंधन है.
फिर भी उन सीटों की संख्या तो पता होगी, जहां पार्टी पहले नंबर की लड़ाई में है ? हमारा काम जनता के सामने अपना काम रखना है। जनता ने कांग्रेस को समर्थन का मन बना लिया है.
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