अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल सांसदों पर दिए अपने बयान पर कायम हैं. केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने जो कहा वो हकीकत है और इसके जो भी नतीजे हों, भुगतने को तैयार हैं, केजरीवाल ने एक बार फिर कहा है कि संसद और विधानसभाओं को अपराधियों ने बंधक बना रखा है. केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा है कि
उन्हें देशद्रोह और संसद के अपमान के मुकदमे की धमकी मिल रही है. लेकिन वे डरने वाले नहीं हैं.
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने एक सभा में सांसदों के लिए जो कुछ कहा उसे आपत्तिजनक कहा जा रहा है, लोकपाल के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले अन्ना हजारे और उनकी टीम को उनके समर्थकों ने हाथो हाथ लिया था. जो कुछ अन्ना या उनकी टीम बोलती उसे समर्थक आदेश समझते और जुट जाते पूरा करने पर. देश ने एक बेहद अजीब और नए किस्म का अनुभव पाया इस टीम के साथ, तिरंगे की रौनक और भारत माता की जय के नारों से माहौल गनगना जाता था. पर अब टीम अन्ना के सदस्य सियासी माहौल को गंदी जुबान से गरमा रहे हैं.
टीम अन्ना ये भी भूल गयी की उसकी लड़ाई संस्था या पद से नहीं बल्कि उसको खराब करने वाले व्यक्तियों से है. अरविंद केजरीवाल तो अब खुलेआम संसद को ही सबसे बड़ी समस्य़ा बताने लगे हैं, गांधीवादी आंदोलनकारी भूल गए गांधी जी का वचन-पाप से घृणा करो पापी से नहीं-वो भूल गए कि सांसदों की तरह ही उनकी टीम के सदस्यों पर भी आरोप लगे हैं. और जैसे वो आरोपों को साजिश बताते हैं वैसे ही उनके निशाने पर आए सांसद भी अपने ऊपर लगे आरोपों को साजिश ही कहते हैं. जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को आपत्तिजनक शब्दों से तौलना टीम अन्ना के खिलाफ जाएगा.
केजरीवाल से पहले टीम अन्ना के आंदोलन के दौरान उनके मंच से फिल्म अभिनेता ओमपुरी ने भी कुछ ऐसी बात कही थी और फिर दबाव पड़ने पर माफी मांग ली थी. खुद केजरीवाल पर संसद की सत्ता को अन्ना से कमतर बताने के आरोप लगे तो उन्होंने और अन्ना ने संसद को सर्वोच्च बताते हुए संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा था.
लोकतंत्र में संवाद का महत्व है पर उससे ज्यादा महत्व है संवाद की भाषा का दुरुस्त होना. क्योंकि उत्तेजक और अक्रामक होने का मतलब कहीं से गालीबाजी नहीं होता. लिहाजा अन्नागीरी करने वाले गालीगीरी न करें तो बेहतर होगा.
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