मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की नैया पार लगाने की ज़िम्मेदारी दी गई है, नवंबर 2004 में दिल्ली में पार्टी की एक बैठक के दौरान सार्वजनिक तौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर अनुशासनहीनता को रोक पाने में असफल रहने का आरोप लगाते हुए उमा
भारती बैठक से वॉकआउट कर गई थी़
उनके इस व्यवहार के कारण उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. आरएसएस के दबाव के कारण मई 2005 में उनके निलंबन को रद्द कर दिया गया था लेकिन उसी साल शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध करने के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
नितिनगडकरी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद 2011 में उमा भारती की भाजपा में दोबारा वापसी हुई. लेकिन इस बार उन्हें मध्यप्रदेश की सियासत से दूर उत्तर प्रदेश में पार्टी के खोए हुए जनाधार को वापस लाने की ज़िम्मा सौंपा गया है, पार्टी की सोच है कि उमा भारती के ज़रिए पार्टी ग़ैर-यादव पिछड़ी जाति के लोगों को अपने साथ दोबारा जोड़ सकती है. 53 वर्षीय उमा भारती ख़ुद लोध समाज से आती हैं और उत्तर प्रदेश में इस जाति के अच्छे ख़ासे मतदाता है.
पार्टी ने शायद इसीलिए उन्हें बुंदेलखंड इलाक़े में महोबा ज़िले के चरख़ारी चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ाने का भी फ़ैसला किया है. हालाकि ख़ुद भाजपा के अंदर उनको लेकर लोगों की राय बटी हुई है और पार्टी का एक बड़ा हिस्सा उन्हें बाहरी मान रहा है, इसलिए उमा भारती अपनी सीट शायद भले ही आसानी से जीत जाएं लेकिन पूरे राज्य में खिसक चुके जनाधार को वापस लाना शायद उनके लिए आसान नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सबकी आकर्षण का केंद्र हैं. पार्टियाँ जीत हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं. कुछ प्रमुख उम्मीदवारों पर एक नज़र.
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