भ्रष्ट हूं लेकिन त्रस्त हूं. मैं अपना नाम नहीं बताऊंगा लेकिन मैं कुछ कहना चाहता हूं - ये वाक्य अक्सर सुनने को मिलता है लेकिन ये व्यक्ति कुछ अलग सा लगा. मैंने माइक आगे कर दिया तो इस गुमनाम व्यक्ति ने बड़ी ही ईमानदारी से अपनी कहानी सुनाई मैं एक केबल ऑपरेटर हूं. नाम नहीं बता सकता वरना फंस जाऊंगा. हम सब बड़ी मुसीबत में हैं. हमें हर महीने
बसपा सरकार को हज़ार रुपए देना पड़ता है. पिछले पांच साल से यही हाल है.
लेकिन क्यों देते हैं वो पैसे- देखिए, केबल ऑपरेटर जितने कनेक्शन देता है, उस पर उसे मनोरंजन कर देना पड़ता है. जैसे अगर मैने 200 कनेक्शन दिए तो सब पर कर देना होगा. हम लोग 200 कनेक्शन देते हैं लेकिन कर सिर्फ 150 पर देते थे. कुछ पैसा बचा लेते थे. अब टाटा-बिड़ला भी तो पूरा टैक्स नहीं देते.
ये तो टैक्स की चोरी हुई न - बिल्कुल टैक्स की चोरी हुई लेकिन पहले चोरी करके पैसा बचता था. जबसे बसपा सरकार आई तो हम लोगों को नोटिस आया कि हम लोग महीने में हज़ार रुपया नगद जमा कराएं वरना जांच शुरू हो जाएगी. क्या करते हमने पैसा देना शुरू किया. आप समझिए कि अगर हमारा 1500 रुपया बचता तो अब 500 ही बचता है.
तो आप 200 कनेक्शन पर पूरा टैक्स देकर ईमानदारी से क्यों नहीं रहते- हम लोग बड़े आदमी तो हैं नहीं. महीने में पांच-दस हज़ार की कमाई है. पाई-पाई जोड़ना पड़ता है. अगर 200 पर मनोरंजन कर देने लगते तो भी जान नहीं छूटती क्योंकि बहुत पेंच हैं. रजिस्टर में एंट्री करना पड़ता है हर कनेक्शन का. अब आप बताइए कि इतना नियम-क़ानून से कौन सा धंधा चलता है.
मतलब ये कि आपकी टैक्स चोरी पर सरकार चोरी कर रही है - हां यही समझिए. ये व्यवस्था सही नहीं है. आप जानते हैं देश में ज़िंदगी कैसे चलती है. हम भ्रष्ट इसलिए हैं क्योंकि कमाई बहुत कम है. उस पर भी सरकार पैसा ले लेती है. जबरन उगाही. मैं मानता हूं हम गलत करते हैं लेकिन सरकार उस गलती का ऐसा फा़यदा उठाए ये तो अदभुत है.
मैंने ऐसी बेबाक बात कम ही सुनी है. गलती तो केबल ऑपरेटर की थी ही लेकिन क्या सरकार भी ग़लती नहीं कर रही है ऑपरेटरों से बेवजह हज़ार रुपए लेकर.
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