Tuesday, 13 March 2012

अमेरिका चाहता है कि भारत इस प्रतिबंध को हटा ले ?


नई दिल्ली, बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा) की आशंका से अमेरिका के जीवित मुर्गों को देश में आने नहीं दिया जाएगा, केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सूत्रों ने बताया कि हमारे देश में पहले से ही बर्ड फ्लू के मामले लगातार मिल रहे हैं, जनवरी फरवरी माह में तीन मामले ओडिसा में और एक-एक मामले मेघालय और त्रिपुरा में मिले हैं, ऐसे में हम ऐसा कोई काम नहीं
करेंगे जिससे अपने देश के आर्थिक व सामाजिक हितों को नुकसान पहुंचे.
क्या है मामला:- कृषि मंत्रालय के अनुरोध पर वाणिज्य मंत्रालय ने 5 साल पहले उन देशों से जीवित मुर्गे, बतख आदि जीवित पक्षियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था जहां बर्ड फ्लू की शिकायतें मिलीं थीं, अब अमेरिका चाहता है कि भारत इस प्रतिबंध को हटा ले जिससे कि अमेरिका के व्यापारी भारत में निर्यात करके लाभ उठा सके, दरअसल भारत का तर्क है कि लो पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा (एलपी एआई) के मामले हाई पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा में तब्दील हो सकते हैं, अमेरिका में एलपी एआई की शिकायतें मिली हैं, सूत्रों ने बताया कि हमारे पास इससे संबंधित प्रमाण हैं, सूत्र मानते हैं कि अमेरिका के पास इस तर्क के विपरीत कोई प्रमाण हो, आगे होने वाली वार्ताओं में जब दोनों पक्ष अपना तर्क और प्रमाण एक दूसरे को देंगे तब सत्यता का पता चल पाएगा.
दूसरे भी हैं कारण :- सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश और नेपाल के साथ हमारी सीमा काफी खुली हुई हैं, हम चाह कर भी इन देशों से पक्षियों के प्रवास को रोक नहीं सकते, इसके अलावा हमारा देश 3 जंगली पक्षियों समूहों के 'माइग्रेटरी पाथ' के बीच में पड़ता है, इन पक्षियों की आवाजाही को भी रोका नहीं जा सकता है, देश में प्रवास के दौरान ये पक्षी देश के घरेलू पक्षियों और जानवरों की संगत में भी आते हैं.
भुगत चुके हैं आस्ट्रेलियन गायों का आना:- करीब 10-15 साल पहले आस्ट्रेलिया से आई जीवित गायों में बीमारी पाई गईं, जब वो आस्ट्रेलिया से जहाज द्वारा चली थीं तो पूरी तरह से स्वस्थ्य थीं, देश में आ जाने के बाद न तो इन गायों को वापस भेजा जा सकता था और न ही धार्मिक कारणों से मारा जा सकता था, मजबूरन देश को इन गायों की देखभाल तब तक करनी पड़ी जब तक एक-एक कर सारी गाएं स्वयं मर नहीं गईं, अब जानबूझ कर देश किसी दबाव में फिर ऐसी गलती नहीं करेगा.

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