लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज राज्य विधान परिषद चुनाव के लिये अपना नामांकन दाखिल किया। आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि गत 15 मार्च को राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अखिलेश ने इस माह के अंत में होने वाले विधान परिषद चुनाव के लिये अपनी उम्मीदवारी का पर्चा
दाखिल किया। अखिलेश इस वक्त राज्य विधानमंडल दल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.
अखिलेश के अलावा सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी तथा बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह, डाक्टर विजय प्रताप तथा सुनील कुमार ने भी विधान परिषद चुनाव के लिये नामांकन दाखिल किया। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के आगामी चुनाव के लिये अपने तीन प्रत्याशियों के नाम तय कर लिये हैं, बसपा के सूत्रों ने आज यहां बताया कि पार्टी ने सुनील कुमार चित्तौड़, विजय प्रताप तथा ठाकुर जयवीर सिंह को विधान परिषद चुनाव का उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने बताया कि सुनील और विजय जहां दलित हैं, वहीं जयवीर ठाकुर जाति के हैं। इन तीनों के आज नामांकन दाखिल करने की सम्भावना है....
माया के सभी प्रोजेक्ट बंद करने की तैयारी में अखिलेश
इन योजनाओं के बदले सभी विभागों ने पांच-पांच नयी योजनाओं के नाम भी मांगें हैं। मुख्यसचिव जावेद उस्मानी ने आवास विभाग, नगर विकास विभाग, सिंचाई विभाग, ऊर्जा विभाग, ग्राम्य विकास विभाग सहित अन्य तमाम विभागों की उच्चस्तरीय बैठक में इन विभागों से पांच-पांच नयी योजनाओं के नाम मांगे हैं! अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सभी विभागों को अपने यहां नयी योजनाएं पूर्व की बसपा सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं को बंद करके शुरू करना होगा। इसके लिए इन सभी विभागों को बसपा सरकार की प्राथमिकता वाली उन योजनाओं का भी नाम देना होगा, जिन्हे बंद किया जा सकता है.
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार की माली हालत को देखते हुए मुख्यसचिव जावेद उम्मानी कोई नया वित्तीय भार बढ़ाने की बजाय पुरानी योजनाओं को बंद करके नयी सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं को शुरू कराना चाहते हैं। ऐसे में पुरानी योजनाओं के बंद होने से जो अतिरिक्त बजट विभागों के पास बचेगा, उसी से नयी सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं को शुरू कराया जाएगा.
माया ने दो यादवों को पार्टी से किया बाहर ?
उत्तर प्रदेश की सत्ता छीनने के बाद बहुजन समाज पार्टी हार के कारणों पर मंथन में जुटी है। पार्टी ने हार के लिए जिम्मेदार कार्यकर्ताओं व नेताओं पर अनुशासन का डंडा चलाना शुरू कर दिया है। पार्टी में चल रहे ऑपरेशन क्लीन के तहत बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी के पूर्व सांसद भाल चन्द्र यादव और जिला पंचायत अध्यक्ष उनके बेटे प्रमोद चन्द्र यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया.
इन नेताओं पर चुनाव के दौरान पार्टियों विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पूर्व सांसद और उनके बेटे को पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखाया गया है। पार्टी से निकाले गये पूर्व सांसद यादव पार्टी के डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र के प्रभारी थे। यादव के एक अन्य बेटे सुबोध चन्द्र यादव ने विधानसभा का पिछला चुनाव इटावा सीट से बसपा के टिकट पर लड़ा था लेकिन समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद से पराजित हो गये थे.
वहीं खलीलाबाद सीट से दो बार सांसद चुने गये यादव ने इसे षडयंत्र करार देते हुए कहा कि उनके खिलाफ साजिश रची गयी है। वह हमेशा से पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे हैं, लेकिन साजिशन उन्हें पार्टी के निकलवा दिया गया। उन्होंने कहा कि वह बसपा प्रमुख मायावती से मिलकर अपनी सफाई रखेंगे। इसके लिए उन्होंने मायावती से मिलने का समय मांगा है। उनका कहना है कि मायावती स्थितियों को समझेगी और उन्हें न्याय अवश्य दिलायेगी.
सीएम पद गंवाने के बाद माया की मुश्किलें बढ़ी
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद गंवाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पहले जहां बसपा मंत्रियों के खिलाफ जांच रुक-रुक कर होती थी, वही जांच अब तेज हो जायेगी। दो साल का सेवा विस्तार पाये जाने के बाद लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा बसपा सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ चल रही जांच को जारी रखेंगे.
मेहरोत्रा का कार्यकाल पिछले 15 मार्च को समाप्त हो गया था। राज्य सरकार ने उनका कार्यकाल दो साल बढ़ाने के लिये राज्यपाल के पास दो अध्यादेश भेजे। राज्यपाल बी.एल.जोशी ने दो दिन पहले 22 मार्च को अध्यादेश को मंजूरी दी, कार्यकाल बढ़ाये जाने के बाद मेहरोत्रा ने कहा कि करीब दस पूर्व मंत्रियों के खिलाफ जांच लंबित है.
उनका पहला काम इस जांच को पूरा कर अपनी सिफारिश मुख्यमंत्री को भेजना है। भ्रष्टाचार, आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति तथा सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर बसपा सरकार के मंत्रियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट की सिफारिश पर दस मंत्रियों को बर्खास्त किया जा चुका है। मेहरोत्रा ने कहा कि पूर्व के कई मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ उनके पास शिकायतें आयी हैं और इसका क्रम अभी भी जारी है। इनके खिलाफ चल रही जांच कई चरणों में है.
उन्होंनें कहा कि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय, अयोध्या प्रसाद पाल, लालजी वर्मा, जयवीर सिंह, दद्दू प्रसाद, राम अचल राजभर, फतेह बहादुर सिंह व धर्म सिंह सैनी के खिलाफ जांच लंबित है। बसपा विधायक त्रिभुवन दत्त और कलक्टर सिंह के खिलाफ भी जांच लंबित है क्योंकि 15 मार्च को कार्यकाल समाप्त होने पर उन्होंनें काम रोक दिया था.
लोकायुक्त ने कहा कि शुरूआती जांच में सामने आया है कि बसपा सरकार में कुछ मंत्रियों ने बड़ी मात्रा में आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति जमा की है। इसी तरह की कुछ और शिकायतें भी मिली हैं। उन्होंनें कहा कि बसपा सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच की सिफारिश की गयी थी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उसे नकार दिया.
यह सिफारिश अब समाजवादी सपा सरकार को भी भेजी जायेगी। वहीं पिछली सरकार के कार्यकाल में कुछ वरिष्ठ नौकरशाह के खिलाफ भी अकूत दौलत जमा करने की शिकायत मिली है जिनके खिलाफ जल्द जांच शुरू करने के संकेत लोकायुक्त ने दिये.
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