Thursday, 12 April 2012

लोकायुक्त से जुडी ख़बरें - लोकायुक्‍त के शिकंजे में ?

माया का एक और मंत्री लोकायुक्‍त के शिकंजे में

माया का एक और मंत्री लोकायुक्‍त के शिकंजे में लखनऊ, जिस क्रम में उत्तर प्रदेश का चुनाव नजदीक आ रहा है उसी क्रम में प्रदेश के मंत्रीयों की सच्‍चाई सामने आती जा रही है। माया सरकार में परिवहन मंत्री राम अचल राजभर भी लोकायुक्‍त के घेरे में घीरते नजर आ रहे है। परिवहन मंत्री राम अचल राजभर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकायुक्त ने जांच शुरु कर दी है। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन. के. मेहरोत्रा ने कल मंत्री राजभर के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरु कर दी और इसकी सूचना मुख्यमंत्री मायावती को भेज दी है तथा शिकायत की एक प्रति राजभर को भेजकर 15 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.
साक्ष्यों पर जिला प्रशासन से भी रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि परिवहन मंत्री के खिलाफ दो शिकायतें दाखिल हुई है और इन शिकायतों का परीक्षण करने के बाद लोक आयुक्त ने अंबेडकरनगर के आनंद कुमार द्विवेदी द्वारा तीन नवंबर की दाखिल नई शिकायत स्वीकार करते हुए लोक आयुक्त ने जांच शुरु करने का फैसला किया, जबकि दूसरे शिकायतकर्ता राम अरज वर्मा से और सूचनाएं मांगी है.
द्विवेदी ने लोकायुक्त के समक्ष दाखिल शिकायत में राजभर पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए शिकायत के समर्थन में 108 संपत्तियों का ब्योरा भी संलग्न किया है। उल्लेखनीय है कि उपाध्याय के अलावा लोकायुक्त के सामने पहले से ही प्रदेश के छह मंत्रियों एवं दस विधायकों के विरुद्ध आयी शिकायतों की जांच विभिन्न स्तरों पर चल रही है, जबकि ऐसी ही शिकायतों पर लोकायुक्त की संस्तुति पर प्रदेश के चार मंत्री राजेश त्रिपाठी, अवध पाल सिंह यादव, रंगनाथ मिश्र और बादशाह सिंह अपना पद गंवा चुके है.

लोकायुक्त को खलने लगी कर्मचारियों की कमीं

लखनऊ, उत्‍तर प्रदेश सरकार में भ्रष्टाचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कई मंत्री इसमें लिप्त है और स्थिति यह है कि लोकायुक्त कार्यालयों में राजनीतिज्ञों व नौकरशाहों के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है, स्टाफ की कमी के कारण उन पर कार्रवाई मुश्किल हो रही है। मायावती सरकार के चार मंत्री भ्रष्टाचार की जांच में दोषी पाये जाने के बाद सरकार से निकाले जा चुके हैं.
लोकायुक्त को खलने लगी कर्मचारियों की कमीं
इस कार्रवाई के बाद लोकायुक्त संगठन की विश्वसनीयता इतनी बढ़ गयी है कि हर रोज बड़ी संख्या में शिकायतें आ रही है। लोकायुक्त कार्यालय में अचानक इतनी शिकायतों के मिलने के बाद स्टाफ की कमी महसूस की जा रही है और कार्रवाई मुश्किल होती जा रही है। प्रदेश के लोकायुक्त ने बुधवार को एक और मंत्री रतन लाल अहिरवार को भ्रष्टाचार व आय से अधिक स पति के मामले में नोटिस जारी की। अंबेडकर ग्राम विकास विभाग मंत्री अहिरवार को 14 नवंबर तक जबाव देने के लिए कहा गया है.
सूत्रों के अनुसार लोकायुक्त कार्यालय में प्रतिदिन 25 से 30 शिकायतें मिल रही है जिसमें मंत्रियों व अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गयी है। लोकायुक्त कार्यालय के अनुसार किसी-किसी दिन तो शिकायतों की सं या 80 तक पहुंच जाती है जिन पर तुरन्त कार्रवाई स्टाफ की कमी की वजह से मुश्किल हो जाती है। फिलहाल लोकायुक्त कार्यालय में प्रदेश के उर्जामंत्री रामवीर उपाध्याय, संसदीय कार्यमंत्री लालजी वर्मा, कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, उद्यानमंत्री नारायण ङ्क्षसह तथा खेल मंत्री अयोध्या प्रसाद पाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों की जांच चल रही है.
इससे पहले मुख्‍यमंत्री मायावती लोकायुक्त जांच में दोषी पाये गये चार मंत्रियों राजेश त्रिपाठी, अवधपाल यादव, रंगनाथ मिश्र तथा बादशाह सिंह को मंत्री पद से हटा चुकी है। चार मंत्रियों को हटाये जाने के बाद ही अनेक मंत्रियों व वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ शिकायतें नियमित रुप से की जा रही हैं। सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त कार्यालय से स्टाफ की कमी के बारे में मुख्‍यमंत्री व राज्यपाल को अनेक पत्र लिखे जा चुके हैं। इन पत्रों में स्टाफ बढ़ाने के अलावा किसी जांच एजेंसी को लोकायुक्त कार्यालय से संबद्ध करने की भी मांग की गयी 

भिखारी से भी बदतर हैं भ्रष्टाचारी: लोकायुक्त

भिखारी से भी बदतर हैं भ्रष्टाचारी: लोकायुक्तकरनाल- रिश्वतखोर अधिकारी, कर्मचारी या चुने हुए प्रतिनिधियों का निर्भय होकर मुकाबला करो, मैं आपके साथ हूं। ऐसे लोग जो किसी कार्य को करने के लिए रिश्वत लेते हैं वे भ्रष्टाचारी हैं तथा उनकी हालत एक भिखारी से भी बदतर है। यह बात हरियाणा के लोकायुक्त प्रीतम पाल सिंह ने कही। लोकायुक्त करनाल के जिलाधिकारियों, एन.जी.ओ. व पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा मीडियाकर्मियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जहां से भी भ्रष्टाचार की बू आए उसका विरोध करो। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जनता का सहयोग जरूरी है, क्योंकि जनशक्ति ही सबसे बड़ी ताकत है.
लोकायुक्त ने कहा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ही हरियाणा में लोकायुक्त की नियुक्ति की गई है। इस संस्थान का एकमात्र उददेश्य समाज और प्रशासन में किसी भी स्तर पर होने वाली अनियमितता और भष्ट्राचार पर कड़ी निगरानी और उसके विरूद्ध कठोर कार्यवाही करना है। उन्होंने बताया कि आई.पी.सी. 1860 की धारा 21 के अन्तर्गत वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधान मंडल के सदस्य, निकायों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, हरियाणा पंचायती राज अधिनियम के तहत गठित जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, विश्वविद्यालयों के उप-कुलपति तथा समस्त उच्चाधिकारी व कर्मचारी को लोक सेवक के रूप में परिभाषित किया गया है.
गैर राजनैतिक सिविल सोसायटी का गठन होना चाहिए
उन्होंने कहा कि हरियाणा का लोकायुक्त संस्थान देश के विभिन्न राज्यों की तुलना में श्रेष्ठ संस्थान है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर लोगों की शिकायतों का निवारण करने के लिए गैर राजनैतिक सिविल सोसायटी का गठन होना चाहिए इसमें अच्छे व ईमानदार लोग शामिल किये जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे संगठन के गठन के बाद 90 प्रतिशत शिकायतें जिला स्तर पर ही हल हो जाएगी। मैंने सरकार के पास कई रेफे्रंश भेजे हैं जिन पर अमल भेजा है.
ऐसे करें भ्रष्टाचार की शिकायत
उन्होंने कहा कि केवल दुखी व्यक्ति को ही शिकायत करने का अधिकार नहीं है बल्कि किसी भी व्यक्ति को जहां भी भ्रष्टाचार होने का आभास हो वह भी शिकायत कर सकता है और उस शिकायत में अपना नाम, सरकारी कर्मचारी या अधिकारी का नाम तथा मूल शिकायत की विस्तृत बात लिखी गई हो। शिकायत पत्र के साथ हल्फिया ब्यान व एक हजार रुपये की जूडिसियल स्टैम्प लगानी जरूरी है लेकिन यदि कोई निर्धन या बी.पी.एल. व्यक्ति एक हजार रुपये की टिकटे लगाने में असमर्थ हो तो वह अपनी मजबूरी भी प्रमाण सहित लिख सकता है। ऐसे व्यक्ति की शिकायत पर भी कार्यवाही की जायेगी.
अवैध रूप से सम्पत्ति बनाने वाले राजनैतिक व्यक्ति की शिकायत मिलने पर उसकी जांच के बाद उसके बैंक खाते बिना बताए अपने कब्जे में लिए जा सकते है। इसी प्रकार कोई पीडि़त कर्मचारी जिसके साथ सरकारी लाभ देने के मामले में उच्च अधिकारी की ओर से अन्याय हुआ हो उसके खिलाफ भी कार्यवाही करने का प्रावधान है। हालांकि उन्होंने कहा कि शिकायत कर्ता की ओर से शिकायत सत्य होनी चाहिए और वह पूर्ण साक्ष्यो पर आधारित हो। झूठी शिकायत करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध 3 साल की कैद और 10 हजार रुपये की जुर्माने का प्रावधान है.

अवधपाल पर कार्रवाई के लिये सीएम को रिमाइडंर

लखनऊ, पिछली माया सरकार के दौरान लोकायुक्त की जांच में पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री अवधपाल सिंह यादव दोषी पाए गए थी उस वक्त उन्होंने मंत्री के खिलाफ कार्यवाही के लिए सीएम को पत्र भी लिखा था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इसी मामले को लेकर लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने पूर्व मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये मुख्यमंत्री कार्यालय को रिमाइडंर भेजा है.
अवधपाल पर कार्रवाई के लिये सीएम को रिमाइडंरलोकायुक्त न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) एन के मेहरोत्रा ने रिमाइंडर भेजकर यादव के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है। ज्ञात हो कि लोकायुक्त को हुई शिकायत में उन पर सरकारी जमीन पर कब्जे और भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। आरोपों की लम्बी जांच के बाद आरोप सही पाए गए और उन्होंने मायावती को कार्यवाही के लिए सिफारिश कर दी.
लोकायुक्त की सिफारिश पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गत 17 अगस्त को उनसे इस्तीफा ले लिया लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अवधपाल यादव और उनके बेटे तथा अन्य रिश्तेदारों पर पूर्व में आपराधिक मामले दर्ज किये गये थे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एटा जिले के अलीगंज क्षेत्र में उनके रिश्तेदारों द्वारा दंगा करने का भी आरोप लगा था.
बाद में उन्हें बहुजन समाज पार्टी से निलम्बित कर दिया गया था। यादव ने लोकायुक्त की रिपोर्ट के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में याचिका दायर कर रखी है। लोकायुक्त कार्यालय के अनुसार मुख्यमंत्री को भेजे रिमाइंडर में यादव के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की संस्तुति की गयी है.
इस बीच लोकायुक्त कार्यालय लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के एक नये भवन में आज चला गया है। लोकायुक्त ने तो मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्यवाही की संस्तुति कर दी लेकिन सपा सरकार फिलहाल जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाह रही है। सूत्रों की माने तो अवधपाल ने सपा सरकार में घुसपैठ शुरू कर दी है जिसके बलबूते वह खुद पर होने वाली कार्यवाही से बच सकते हैं यदि यादव अपने मकसद में कामयाब हो गए तो उनके खिलाफ लोकायुक्त द्वारा भेजा गया पत्र ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाएगा.

माया के करीबी नसीमुद्दीन भी लोकायुक्त के घेरे में

लखनऊ- माया सरकार के सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी भी लोकायुक्त जांच के घेरे में आ गये हैं। इन पर पहाड़ खनन, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार, नजूल भूमि पर कब्जा, सहित अकूत सम्पत्ति जमा करने के साथ अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। शिकायतकर्ता ने आरटीआई के जरिए मिले तथ्य और अन्य तमाम कागजात भी लोकायुक्त को सौंपा है। लोकायुक्त को शिकायत मिली है कि नजूल भूमि पर 450 अवैध कब्जाधारकों में ज्यादातर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी के भाई, कुटुंबी नाते-रिश्तेतार और करीबी हैं.
Nasimuddin Siddiqui under Lokayuktaमंत्री के बड़े भाई जमीरुद्दीन सिद्दकी के दामाद फिदा हुसैन जो पहले कबाड़ का धंधा करते थे, वह अब करोड़ों की ठेकेदारी कर रहे हैं। अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए इस मंत्री ने फ्री-होल्ड किये जाने का प्रस्ताव पारित कराया और फ्री-होल्ड की कार्रवाई शुरू कर दी। कबीना मंत्री पर यह भी आरोप हैं कि उन्होंने बुंदेलखण्ड को अवैध कारोबार की मंडी बना दिया। अवैध खनन, लोक निर्माण विभाग की सड़कों, पुलों, बुंदेलखण्ड पैकेज, कांशीराम शहरी गरीब आवसीय योजना आदि में लूट व केन्द्रिय विकास बजट में धन की बंदरबाट कर उन्होंने धन अर्जित किया.
लोकायुक्त को यह भी शिकातय मिली है कि कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी ने वर्ष 1970 के दशक के अंतिम वर्ष और 1980 के दशक में प्रारंभिक तीन वर्षों के मध्य अवधि में होमागार्ड के पद से अपने भविष्य की शुरुआत की थी। वर्ष 1988-89 में बांदा नगर पालिका के अध्यक्ष पर पर चुनाव लड़ा था पर जीत नहीं सके थे। इसके बाद इन्होंने नगर पालिका में ठेकेदारी करनी शुरू कर दी। बसपा नेता बाबू सिंह कुशवाहा इन्हें बसपा में लेकर आये। बांदा विधानसभा से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ाया और जिताया.
वर्ष 1995 में सपा-बसपा गठबंधन की सरकार में मंडी परिषद के अध्यक्ष बनाये गये। उसी समय उन्नाव मंडी जमीन घोटाले में गबन को लेकर इनकी आरसी जारी की गयी जिसमें इनकी अकूत सम्पत्ति की कुर्की की गयी थी। वर्ष 2011 में इनकी पत्नी हुसना सिद्दकी एमएलसी निर्वाचित हुईं। कैबिनेट मंत्री बनने के बाद श्री सिद्दकी ने अपने पैतृक गांव में आलीशान मकान बनवाया। धीरे-धीरे अकूत सम्पत्ति जमा कर इन्होंने करीब नौ आलीशान कोठियां बनवा लीं.

पूर्व मंत्री कुशवाहा पर फिर लोकायुक्‍त का शिकंजा

uttar pradeshलखनऊ- उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त ने राज्य के पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ बुंदेलखण्ड के कुछ जिलों में खनन सम्बन्धी ठेकों के आबंटन में कथित अनियमितताओं के आरोप में एक मामला दर्ज किया है। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि शिव पूजन सिंह और अरुण द्विवेदी ने कुशवाहा के खिलाफ अपनी-अपनी शिकायतों में उन पर खनन ठेकों के आबंटन में धांधली, काली कमाई का निवेश करने तथा चुनाव लड़ने के लिये अपना नाम बदलने के आरोप लगाये हैं.
उन्होंने बताया कि लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन. के. मेहरोत्रा ने कुशवाहा को आगामी 26 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने के आदेश दिये हैं। एक अन्य मामले में लोकायुक्त ने प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव कुंवर फतेह बहादुर को एक आईपीएस अधिकारी अमिताभ की पत्नी आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा लगाए गए आरोपों पर 28 दिसम्बर तक जवाब देने को कहा है.
नूतन ने आरोप लगाया था कि सरकार को विभिन्न चीजों की आपूर्ति में कथित रूप से अनियमितता बरतने वाली कम्पनियों को जांचकर्ता एजेंसी आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने फतेह बहादुर और ईओडब्ल्यू के तत्कालीन अपर महानिदेशक आर. एन. सिंह के कहने पर क्लीन चिट दी थी। नूतन के पति अमिताभ पूर्व में ईओडब्ल्यू में तैनात थे.

डॉक्‍टर दंपत्ति लेते थे इतनी घूस कि मशीन से गिनते थे नोट

उज्‍जैन- मध्‍य प्रदेश में सरकार विभागों में काम करने वालों की बल्‍ले-बल्‍ले है। ये इतना पैसा कमा रहे हैं कि जब इस पैसे का खुलासा होता है तो गिनती करते-करते थकान आ जाती है। वहां पहले ही कई क्‍लर्क करोड़पति निकल चुके हैं। अब सरकार महकमे के एक डॉक्‍टर दंपत्ति के घर से करोड़ों की संपत्ति बरामद की गई है। जब लोकायुक्‍त की विशेष टीम ने इन पैसों की गिनती की तो यह गिनती 25 करोड़ से भी ज्‍यादा जा पहुंची.
Money डॉक्‍टर दंपत्ति द्वारा ली गई घूस की कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घूस के पैसों की गिनती करने के लिए इन लोगों ने नोट गिनने की मशीन रखी हुई थी। कागजी संपत्ति के अलावा इनकी और भी काफी संपत्ति है। जिसमें इनके पास 2 गोदाम, 25 एकड़ जमीन, 1 कोल्‍ड स्‍टोरेज, एक पेट्रोल पंप, बड़ी मात्रा में जेवर और 4 कार बरामद की गई हैं.
यह संपत्ति डॉक्‍टर दंपत्ति की संपत्ति से कहीं ज्‍यादा है। लोकायुक्‍त की टीम ने बताया कि यह पूरी संपत्ति उनके अलावा उनके दो बेटों के नाम पर है। इस डॉक्‍टर दंपत्ति को अनिमि‍तताओं के चलते निलंबित किया जा चुका है। जिसके बाद उन्‍हें उज्‍जैन में ड्यूटी दी गई थी। फिलहाल उनकी संपत्ति की जांच की जा रही है। इसके मुताबिक यह संपत्ति और भी अधिक हो सकती है.
मध्‍य प्रदेश इस समय सरकार संपत्ति के दुरुपयोग का गढ़ बन गया है। राज्‍य में पिछले 6 महीने में सरकारी विभागों में जो छापे पड़े हैं उनमें अब तक लगभग 100 करोड़ से भी ज्‍यादा की संपत्ति जब्‍त की जा चुकी हे। फिलहाल राज्‍य में भ्रष्‍टाचार का बोलबाला चरम पर है.

एमपी में एक और बाबू निकला करोड़पति

जबलपुर- मध्‍य प्रदेश्‍ा में लोकायुक्‍त की छापे में बाबुओं के करोड़पति होने के खुलासे का दौर निरंतर जारी है। मध्य प्रदेश में एक और लिपिक के करोड़पति होने का लोकायुक्‍त ने खुलासा किया है। जबलपुर में लोकायुक्त द्वारा छापे में जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के लिपिक मुकेश दुबे के पास कई करोड़ की सम्पत्ति होने का पता चला है.
लोकायुक्त के पुलिस अधीक्षक मनीष कथूरिया ने बताया कि जेडीए के लिपिक मुकेश दुबे के विजयनगर स्थित आवास पर छापा माया गया, उसके दौरान पता चला कि दूबे के पास तीन भव्‍य मकान, कई जगह जमीन और 6 कारों का पता चला है। उनके पास 20 बैंक खाते भी है। खातों में कितनी राशि है पुलिस इसका पता लगाने में लगी है.
अभी तब दूबें के पास से पांच करोड़ से ज्‍यादा की संपत्ति बरामद कर ली गयी है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में डॉक्‍टर दंपत्ति द्वारा ली गई घूस की कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घूस के पैसों की गिनती करने के लिए इन लोगों ने नोट गिनने की मशीन रखी हुई थी। कागजी संपत्ति के अलावा इनकी और भी काफी संपत्ति है। जिसमें इनके पास 2 गोदाम, 25 एकड़ जमीन, 1 कोल्‍ड स्‍टोरेज, एक पेट्रोल पंप, बड़ी मात्रा में जेवर और 4 कार बरामद की गई थी.

एमपी का पटवारी निकला 4 करोड़ का मालिक‍

उज्जैन- मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में फिर एक करोड़पति लोकायुक्‍त के शिकंजे में फंस गया। लोकायुक्त पुलिस के अनुसार सूचना मिलने पर एक पटवारी के यहां छापे मारने में तीन करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति बरामद हुई। लोकायुक्त पुलिस ने तराना तहसील में पदस्थ पटवारी बाबूलाल गोमें के आवास पर सोमवार सुबह छापा मारा। गोमें के पास दो मंजिला मकान, लगभग 30 बीघा से ज्यादा जमीन व लाखों रुपये के जेवरात निकले.
लोकायुक्त पुलिस के उपाधीक्षक ओ पी सागौरिया के अनुसार गोमें की कुछ संपत्ति उसके रिश्‍तेदारों के पास भी पड़ी है। कुछ जेवरात अपने रिश्तेदार के आवास पर छुपाकर रखा था। अभी तक तीन करोड़ से ज्‍यादा की संपत्ति का पता चला है। पुलिस की कार्रवाई अभी जारी है। गौरतलब है कि जबलपुर में लोकायुक्त द्वारा छापे में जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के लिपिक मुकेश दुबे के पास कई करोड़ की सम्पत्ति होने का पता चला था.
लोकायुक्त के पुलिस अधीक्षक मनीष कथूरिया ने बताया था कि जेडीए के लिपिक मुकेश दुबे के विजयनगर स्थित आवास पर छापा माया गया, उसके दौरान पता चला कि दूबे के पास तीन भव्‍य मकान, कई जगह जमीन और 6 कारों का पता चला था। उनके पास 20 बैंक खाते भी थे। खातों में कितनी राशि है पुलिस इसका पता लगाने में लगी थी.



हरियाणा सरकार को नहीं मिल पा रहे लोकायुक्‍त

पानीपत- अभी हाल ही में देश में भ्रष्टाचार पर के खिलाफ हुए बड़ा आंदोलन करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने राज्यों में लोकपाल व लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग उठाई गई थी। इस मांग पर हरियाणा की स्थिती कुछ विपरित नजर आ रही है क्योंकि यहां सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए लोकायुक्‍त तलाशे नहीं मिल रहे हैं.
Haryana government searching for Lokayuktयोजना की जिला स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए लोकपाल नियुक्त करने का प्रस्ताव है। हालात यह है कि दो बार आवेदन मांगने के बावजूद लोकपाल नहीं मिल पाया। केंद्र की सख्ती के बाद तीसरी बार राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 21 जिलों के लिए नए सिरे से आवेदन मांगे हैं। आवेदन के अनुसार लोकपाल का चयन प्रसिद्ध हस्तियों, ईमानदार छवि के, लोक प्रशासन, कानून, शैक्षणिक, सामाजिक कार्य अथवा प्रबंधन में कम से कम 20 वर्ष के अनुभवी व्यक्तियों में से किया जाएगा.
कार्य अवधि एक वर्ष तथा दो वर्ष तक विस्तार एवं आयु की अधिकतम सीमा 65 वर्ष होगी। कार्यस्थल जिला मुख्यालय होने के अतिरिक्त पारिश्रमिक के तौर पर प्रति बैठक 500 रुपए दिया जाएगा। महिला को वरीयता मिलेगी.

गर्म हुई गुजरात की सियासत, लोकायुक्‍त मुद्दे पर आडवाणी का विरोध

दिल्‍ली- गुजरात में राजनीति एक बार भी गर्मा गई है बीजेपी के नेताओं ने राज्‍यपाल द्वारा लोकायुक्‍त की नियुक्‍ति को पूरी तरह से असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया है। केंद्र सरकार ने बीजेपी के विरोध को नकारते हुए कहा कि कानून के मुताबिक राज्‍यपाल के मामले में केवल न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश से सलाह लेने की अपेक्षा की जाती है.
Advani do protest against Gujarat Governor on Lokayukta इस बीच बढ़ते हंगामें को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और प्रशनकाल चलने देने का आग्रह किया। लेकिन हंगामा शांत न होता देख सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। बीजेपी ने राज्यपाल कमला बेनीवाल पर संघीय ढांचे के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनके कदम को अलोकतांत्रिक बताया और उन्हें वापस बुलाने की मांग की.
बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि संघात्मक ढांचा हमारे संविधान का अहम हिस्सा है और गुजरात पर लगातार जिस तरह से केंद्र की ओर से प्रहार हो रहा है, वह बहुत खेद की बात है। उन्होंने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पार्टी ने कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है.
हाल ही में गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने कथित रूप से नरेंद्र मोदी सरकार से विचार विमर्श किए बिना आर ए मेहता को लोकायुक्त नियुक्त किया है। जिसे लेकर सदन में हंगामा हुआ, सदन की बैठक शुरू होने से पूर्व इस मुद्दे को लेकर आडवाणी ने गुजरात से 15 अन्य भाजपा सांसदों के साथ संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया.

राष्ट्रपति ने नकारा लोकायुक्त की सिफारिश

नई दिल्‍ली- दिल्ली सरकार के लिए निश्चय ही यह राहत देने वाली खबर है कि उसके एक बड़े नेता और लोक निर्माण विभाग मंत्री राजकुमार चौहान के बारे में लोकायुक्त की सिफारिश को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने खारिज कर दिया है। चौहान पर करवंचन के एक मामले में एक प्रमुख रिजार्ट को बचाने में संलिप्तता का आरोप होने के कारण लोकायुक्त ने उन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश की थी.
Pratibha Patil
आपको बता दें कि लोकायुक्त न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन ने चौहान को गंभीर प्रकृति के कदाचार का दोषी ठहराते हुए फरवरी में राष्ट्रपति से उन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति सरीन की यह सिफारिश उस मामले के सिलसिले में थी जिसके अनुसार, पिछले साल फरवरी में दक्षिण दिल्ली के तिवोली गार्डन रिजॉर्ट में सर्वे करने वाले कर अधिकारियों के एक दल को चौहान ने कथित तौर पर प्रभावित किया था.
वहीं खबर है कि तिवोली गार्डन मामले में दिल्ली सरकार के तत्कालीन राजस्व मंत्री राजकुमार चौहान को मंत्री पद से हटाने की दिल्ली के लोकायुक्त की सिफारिश को राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने के मामले में लोकायुक्त मनमोहन सरीन केंद्रीय गृहमंत्रालय को पत्र लिखने जा रहे हैं। पत्र के जरिए लोकायुक्त सरीन गृह मंत्रालय से सिफारिश खारिज किए जाने का कारण पूछेंगे.




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