बाबा भीम राव आंबेडकर साहिब की एक ग़लती को आज तक मुस्लिम ढो रहा है यह क्यूँ भूलते हैं हम मुस्लिम को इन जनाब ने ही सारी सहूलियतों से दूर रखा था और वो भी इस बात को नज़र अंदाज़ करके जो देश छोड़कर पाकिस्तान नहीं गए उनको देश से कितनी मुहब्बत होगी और उनको कितना इनाम मिलना चाहिए जो अपने भाई और रिश्तेदारों को भी देश पर कुर्बान कर गए ? आज सचिन को भारत रतन देने की बात की जाती है, मगर उन मुस्लिमों को परेशानियाँ
और ग़द्दार की निगाह से देखा जाता है झूंठे वादे पिछले ५५ सालों से सरकार कर रही है और कांग्रेस इतनी बेशर्म हो जाएगी यह मैं या कोइ मुस्लिम सोच भी नहीं सकता के वो भूल गए है के रफ़ी अहमद किदवाई साहिब ने किस तरहां देश को संघ के चुंगल मैं जाने से बचाकर देश को कांग्रेस की विरासत बना दिया था और आज तक संघ उस बात को नहीं भुला है और इतनी नफरत मुस्लिम से करता है जितनी वो अपने खुदके दुश्मन से भी नहीं करता होगा ? और इस बात को शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं ?
आज देश मैं सचिन को भारत रतन देने की बात चल रही है, कभी कोइ सचिन को सोने के सिक्के देता है कोइ, कोइ करोड़ों का फ्लैट,कोइ ज़मीन, कोइ कुछ तो कोइ कुछ वोह भी किस लिए इस लिए कि सचिन ने क्रिकेट मैं १०० शतक लगाये, मैं जानना चाहता हूँ क्या सचिन को यह सब करने के लिए पैसा नहीं मिला, क्या सचिन बिना पैसे के ही खेलता है, क्या सचिन को पैसे कि कमी है ? या भारत रतन इतना सस्ता हो गया के अब खेल वाले भी भारत रतन बन्ने लगे हैं और उन शहीदों से आगे या उनके बराबर आगये जिन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ?
वाह रे मेरे हिंदुस्तान तेरी जनता कि किस्मत खेल का मुकाबला देश के शहीदों के खून और ग़रीब कि भूख से वाह सलाम तेरे चलने वालों को, हिदुस्तान कि शान और सचिन कि महानता तब होती जब सचिन के हाथों ग़रीबों को कुछ दिया जाता मगर अभी तो सचिन का खुद का पेट खाली है और अभी उस मैं इतनी जगह है के वोह जो अब तक मिला है उससे भी कई गुना समां जायेगा.
अम्बेडकर साहिब ने यह भी नहीं सोचा के जो मुस्लिम अपने सगे खून से जुदा होकर देश मैं रुके हैं वोह कितने बड़े देश भक्त हैं और उस वक़्त वही सबसे ज़यादा कमज़ोर भी थे क्यूंकि कुछ ऐसे भी थे जो अपनों को हमेशा के लिए गवां चुके थे ? क्या उस वक़्त मुस्लिम को देश के सविधान मैं जगह (आरक्षण) का हक नहीं था काश अगर उस वक़्त यह समझकर मुस्लिम को आरक्षण दिया जाता तो आज मुस्लिम इस हाल मैं न होता... आज देश मैं मुस्लिम अगर कहीं कामयाब भी हैं तो वोह अपनी मेहनत और लगन से हैं सरकार जो योजनायें मुस्लिम के लिए चलती है उसको संघ के चुंगल मैं फंसे कुछ लोग ही लागु होने से पहले या मुस्लिम तक पहुँचने से पहले ही दफ़न कर देते हैं ?
और ग़द्दार की निगाह से देखा जाता है झूंठे वादे पिछले ५५ सालों से सरकार कर रही है और कांग्रेस इतनी बेशर्म हो जाएगी यह मैं या कोइ मुस्लिम सोच भी नहीं सकता के वो भूल गए है के रफ़ी अहमद किदवाई साहिब ने किस तरहां देश को संघ के चुंगल मैं जाने से बचाकर देश को कांग्रेस की विरासत बना दिया था और आज तक संघ उस बात को नहीं भुला है और इतनी नफरत मुस्लिम से करता है जितनी वो अपने खुदके दुश्मन से भी नहीं करता होगा ? और इस बात को शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं ?
आज देश मैं सचिन को भारत रतन देने की बात चल रही है, कभी कोइ सचिन को सोने के सिक्के देता है कोइ, कोइ करोड़ों का फ्लैट,कोइ ज़मीन, कोइ कुछ तो कोइ कुछ वोह भी किस लिए इस लिए कि सचिन ने क्रिकेट मैं १०० शतक लगाये, मैं जानना चाहता हूँ क्या सचिन को यह सब करने के लिए पैसा नहीं मिला, क्या सचिन बिना पैसे के ही खेलता है, क्या सचिन को पैसे कि कमी है ? या भारत रतन इतना सस्ता हो गया के अब खेल वाले भी भारत रतन बन्ने लगे हैं और उन शहीदों से आगे या उनके बराबर आगये जिन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ?
वाह रे मेरे हिंदुस्तान तेरी जनता कि किस्मत खेल का मुकाबला देश के शहीदों के खून और ग़रीब कि भूख से वाह सलाम तेरे चलने वालों को, हिदुस्तान कि शान और सचिन कि महानता तब होती जब सचिन के हाथों ग़रीबों को कुछ दिया जाता मगर अभी तो सचिन का खुद का पेट खाली है और अभी उस मैं इतनी जगह है के वोह जो अब तक मिला है उससे भी कई गुना समां जायेगा.
कुछ लोग सवाल करते हैं अम्बेडकर साहिब की वो कौन सी ग़लती थी ?
तो अम्बेडकर साहिब की वोह ग़लती थी ? जब उन्होंने मुस्लिमों को नज़र अंदाज़ कर सिर्फ अपनी कोम के लोगों के लिए देश के संविधान मैं (आरक्षण) जगह दी और आज तक दबे कुचलों के नाम पर तमाम दलित फ़ायदा उठा रहे हैं ? आज मायावती जैसे भी अरबों खरबों की वैध अवैध संपत्ति होने के बाद भी आरक्षण के मैं आते है क्या यह सही है ?अम्बेडकर साहिब ने यह भी नहीं सोचा के जो मुस्लिम अपने सगे खून से जुदा होकर देश मैं रुके हैं वोह कितने बड़े देश भक्त हैं और उस वक़्त वही सबसे ज़यादा कमज़ोर भी थे क्यूंकि कुछ ऐसे भी थे जो अपनों को हमेशा के लिए गवां चुके थे ? क्या उस वक़्त मुस्लिम को देश के सविधान मैं जगह (आरक्षण) का हक नहीं था काश अगर उस वक़्त यह समझकर मुस्लिम को आरक्षण दिया जाता तो आज मुस्लिम इस हाल मैं न होता... आज देश मैं मुस्लिम अगर कहीं कामयाब भी हैं तो वोह अपनी मेहनत और लगन से हैं सरकार जो योजनायें मुस्लिम के लिए चलती है उसको संघ के चुंगल मैं फंसे कुछ लोग ही लागु होने से पहले या मुस्लिम तक पहुँचने से पहले ही दफ़न कर देते हैं ?
रही बात देश को कांग्रेस की विरासत बनाने की तो शायद यह बहुत ही कम लोग जानते हैं के आज़ादी के बाद अभी देश सँभालने की कोशिश कर ही रहा था तब संघ ने नेहरु सरकार (कांग्रेस) के खिलाफ एक चाल चली जब उन्होंने सारा अनाज अपने गोदामों मैं भर कर देश की जनता और सरकार को उँगलियों पर नचाने की सोची तब उस संकट से बाहर सरकार और देश की जनता को बचने वाले सिर्फ और सिर्फ रफ़ी अहमद किदवाई साहिब ही थे और उनको नेहरु जी ने राम मनोहर लोहिया जी और किर्प्लानी जी से अलग कर कांग्रेस मैं शामिल किया था ...
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