Monday, 2 April 2012

शिकायतों पर सुस्ती बन सकती है मुसीबत ?


नई दिल्ली, सेना के लिए टाट्रा ट्रक खरीद से उठे घोटाले के बवंडर ने संप्रग सरकार की एक पुरानी बीमारी को फिर सामने ला दिया है.,2जी स्पेक्ट्रम से लेकर टाट्रा ट्रक सौदे तक अनियमितताओं की शिकायतों पर सुस्त रफ्तार से चलने का यह मर्ज हर बार दिखाई देता है, ऐसे में मामले को लेकर उठा विवाद अगर सरकार के 'मिस्टर क्लीन' रक्षा मंत्री एके
एंटनी के लिए मुसीबत का सबब बन जाए तो अचरज नहीं होगा.
एंटनी के लिए नई मुसीबतों की बानगी संसद के बजट सत्र के सत्रावकाश से पहले आखिरी कुछ बैठकों में दिखने भी लगी थी, मीडिया में सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के साक्षात्कार के जरिए टाट्रा ट्रक सौदों में घपले को लेकर बजी घंटी के बाद कुछ दिनों तक तो विपक्ष ने भी रक्षा मंत्री की दलीलों को स्वीकार किया, लेकिन जब यह तथ्य सामने आया कि रक्षा मंत्री को टाट्रा ट्रक सौदे को लेकर पार्टी के सहयोगी और मंत्रिमंडल में साथी गुलाम नबी आजाद से 2009 में ही शिकायत मिल चुकी थी तो विपक्ष ने एंटनी का इस्तीफा मांगने में देर नहीं लगाई.
दरअसल, सवाल उठ रहे हैं कि 2009 में जब रक्षा मंत्री को पार्टी की ओर से शिकायतें मिली थीं, तो कार्रवाई को उन्होंने कितनी गंभीरता से लिया, वहीं सेनाध्यक्ष ने सितंबर, 2010 में जब एक सेवानिवृत्त अधिकारी की ओर से टाट्रा ट्रक खरीद को लेकर रिश्वत की पेशकश की शिकायत की, तो भी एंटनी ने उसे पिछली शिकायतों से जोड़ते हुए गंभीरता से क्यों नहीं लिया ? अगर सेनाध्यक्ष ने आगे कार्रवाई से इन्कार किया, तो आखिर रक्षा मंत्री ने इस बारे में मंत्रालय के किसी अन्य अधिकारी से जांच कराने में तत्परता क्यों नहीं दिखाई.
ऐसे कई सवाल हैं जो जनरल वीके सिंह काकार्यकाल खत्म होने के बाद भी इस सरकार के सामने होंगे, वहीं इस संभावना को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता कि अगर किसी जनहित याचिका की शक्ल में सवालों की यह फेहरिस्त अदालत में पहुंची तो संप्रग सरकार के लिए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के अनुभव दोहरा सकती है, उल्लेखनीय है कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में भी सरकार को शिकायतों को नजरअंदाज करने और उन पर सुस्त चाल से कदम उठाने के लिए कठघरे में खड़ा किया गया था.

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