Tuesday, 29 May 2012

मिलिए, ये हैं अपने घर की पहली पढ़ी-लिखी बेटी ?


जयपुर.घर की लड़कियां क्या करेंगी पढ़-लिखकर, अगर ज्यादा पढ़-लिख गई तो इनके दूल्हे कहां से आएंगे, ज्यादा ही पढ़ाने का शौक है तो घर के पास के किसी स्कूल में पढ़ा लो, हमारे घर में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर कुछ ऐसी ही सोच थी, लेकिन पापा ने पूरी फैमिली के खिलाफ जाकर मुझे पढ़ाने का फैसला लिया. 

कॉन्वेंट स्कूल में जब मेरा एडमिशन होने वाला था उस वक्त एडमिशन में सबसे बड़ी मुश्किल थी मेरे पेरेंट्स का पढ़ा-लिखा न होना, स्कूल वालों को लग रहा था कि इंग्लिश मीडियम स्कूल कैसे वो संभाल पाएंगे ? मेरे पापा ने उन्हें राजी कर ही लिया और घर की वो पहली लड़की बनी जो स्कूल गई वो भी शहर के एक बड़े स्कूल में, दादा को शुरू में बहुत डर लगता था कि स्कूल जा रही है कहीं बाहर जाने से यह बिगड़ न जाए, लेकिन बाद में तो वो भी इंग्लिश की बुक्स में से मेरी कहानियां सुना करते थे. 
आज जब रिजल्ट आया है तो दादा इस रिजल्ट को देखने के लिए मौजूद नहीं हैं, इस साल मेरे एग्जाम के दौरान ही उनकी डेथ हो गई थी, जब मेरा टेंथ का रिजल्ट आया था तब तो उनकी खुशी की कोई इंतिहा नहीं थी, कहते थे मैट्रिक पास करने वाली मेरी ये शहजादी तो सबसे प्यारी है, मैंने मम्मी को तो अब हिंदी में साइन करने भी सिखा दिए हैं और अब पापा को पढ़ाना मेरा नेक्स्ट टारगेट है, अच्छी बात यह है कि मेरे स्कूल जाने के बाद हमारे खानदान में अब लड़कियों को पढ़ाया जाने लगा है, मुझसे छोटी सारी कजंस स्कूल जा रही हैं, अब घर में किसी को फिक्र नहीं कि हमारे लिए दूल्हे कहां से आएंगे ? सना कुरेशी कहती है कि अब सभी को यही फिक्र है कि कहीं कोई बेटी अनपढ़ न रह जाए.

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