सोमवार को सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र की जारी रिपोर्ट में भारत में मातृत्व स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई गई है, इसमें कहा गया है कि मातृत्व मृत्युदर को घटाने के मोर्च पर प्रगति हुई है, लेकिन जो लक्ष्य तय किया गया था, वह अब भी बहुत दूर है, रिपोर्ट में वर्ष 2015 तक हासिल किए जाने वाले आठ विकास लक्ष्यों के सिलसिले में क्षेत्रीय प्रगति पर भी चर्चा की गई है.
संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या कोष की भारत में प्रतिनिधि फ्रेडरिका मेइजर ने कहा, भारत मातृत्व मृत्यु दर को कम करने की दिशा में प्रयासरत है, वर्ष 1999 से वर्ष 2009 के बीच मां बनने के दौरान होने वाली मौतों में 38 फीसद की कमी आई है, लेकिन हम अपने लक्ष्यों तक नहीं पहुंच पाए हैं, उन्होंने कहा कि सरकार को मां बनने जा रही महिलाओं के घर के आसपास सहायक नर्से या दाईयों की सहायता उपलब्ध करानी चाहिए.
मेइजर ने बताया कि वर्ष 2010 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर रोज 150 महिलाओं की मौत मां बनने के दौरान हो जाती है, सरकार को इस स्थिति को रोकना होगा और महिलाओं को गर्भ निरोधक के बारे में जागरुक करना होगा, जिन महिलाओं की गर्भावस्था या फिर बच्चे को जन्म देने के 42 दिन के भीतर मृत्यु हो जाती है उसे मातृत्व मृत्यु दर कहा जाता है, भारत में वर्ष 1999 में प्रति एक लाख जन्मों पर एमएमआर जहां 437 था वहीं अब यह घटकर 212 रह गया है, रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 2010 में दो लाख 87 हजार मातृत्व मौतें हुई थी, वर्ष 1999 के आंकड़ों से तुलना करें, तो इसमें 47 फीसद की कमी आई है.
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