Friday 21 December 2012

सो मैं निनानवे बेईमान फिर भी मेरा देश महान ?

कानून क्या कहता है और कानून को चलने वाले क्या कहते हैं ?
सवाल आज देश मैं एक सबसे बड़ा है के हमारे देश का कानून किसी भी घटना के लिए क्या कहता है और हमारे कानून के रखवाले क्या कहते और करते हैं ? दस दिन पहले एक बलात्कार की कोशिश को लेकर पुलिस के सिपाही के खिलाफ एक लड़की ने आवाज़ उठाई लेकिन वोह पुलिस और थानों को चक्कर लगते लगते थकने ही वाली थी के बरेली के जिला अधिकारी और मीडिया ने इस घटना को जब उठाया तो पुलिस के आला अधिकारीयों ने दोषी सिपाही को सिर्फ बर्खास्त करके आगे जाँच कर कार्रवाही करने की बात कही है ?

अब सवाल यह पैदा होता है हमारे देश का कानून इस बारे मैं वोह भी देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ऐसे कैस मैं क्या कहती है, देश की सबसे बड़ी अदालत का कहना है के ऐसे केस मैं लड़की या महिला का आवाज़ उठाना ही काफी है और
उसकी आवाज़ पर पुलिस को सबसे पहले रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए और उसके बाद बाकि कार्रवाही !
लेकिन हमेशा ही देखा गया है के देश मैं जिस मामले को जाँच के लिए सोंपा गया है वोह मामला आगे जाकर दम ही तोड़ता है क्यूंकि ज़यादातर मामलों मैं जाँच करने वाले अधिकारी और कर्मचारी दोषी को बचाने के लिए पीडित को डरते नज़र आयेंगे !
पीडित को जाँच के नाम पर इतना प्रेषण और मजबूर कर दिया जाता है के वोह अधिकारी के चक्कर लगाकर और एक ही सवाल का जवाब बार बार देकर थक जाती है लेकिन जाँच अधिकारी को उसके सवाल का जवाब आखिर तक नहीं मिलता और आखिर मैं वोह अपनी रिपोर्ट मैं लिखता है  के यह घटना किसी के उसकाने पर की गयी लगती है और सच इस मैं बहुत कम नज़र आता है !
अब क्या हो बल्कि इसका असर बाकी उन लोगों पर भी होता है जो इससे पीडित हैं और अधिकारी जनता के देश मैं अधुकारी ही बने हैं !
मगर एक कड़वा सच और भी है अगर देश मैं कानून सरकारी अधिकारीयों के हक मैं बनता है तब बात इससे अलग होती है और तब आदेश सामने आने का भी इंतज़ार नहीं होता बल्कि मीडिया की खबर को ही सच मानकर अधिकारी और कर्मचारी उसको अपने लिए लागु कर लेते हैं और हमेशा ही वोह दिन उनको ज़ुबानी याद रहता है और अगर कोई कानून जनता के हक मैं बनता है तो उसको यह कहकर ताल दिया जाता है के अभी हमारे पास ऐसा कोई आदेश नहीं है !
 वाह रे देश के रखवालों क्या नीति है आपकी जनता की हिफाज़त की कसम खाकर जानते के ही पैसे पर पलने वाले जानते के सेवक के बजाये जनता के अधिकारी बने हैं वाह भारत वाह सो मैं निनानवे बेईमान फिर भी मेरा देश महान वाह ? जुबान खोल बिंदास बोल  

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