हम हमेशा ही अपनी आवाज़ को उठाते उठाते हुए उस रस्ते पर चल देते हैं जो रास्ता हमको सिर्फ परेशानी के सिवा कुछ नहीं देता और अक्सर ऐसे लोग उस घटना के शिकार हो जाते हैं जो किसी भी कीमत पर उसको पसंद नहीं करते ? हमेशा ही हमारे साथ ऐसा हुआ है ?
दिल्ली बलत्कार ने
सरे समाज को जहाँ हिल दिया है वहीँ कुछ सवाल हमारे लिए भी हैं और खास कर उन लड़कियों के लिए जो यह जानते बुझते हुए के हमको क्या करना क्या नहीं करना और क्या पहनना है क्या नहीं ? सवाल हमेशा ही एक है के क्या हम जो कर रहे हैं वोह सही है ?
हेमेशा ही हर घटना के बाद राजनेतिक पार्टियाँ हमदर्दी से ज़ियाद अपनी रोटियां सकने लग जाते हैं, यहाँ मैं मीडिया की तारीफ करना चाहूँगा आज जो आवाज़ जनता उठा रही है वोह इस मीडिया का ही कमाल है वरना न जाने कितने केस रोज़ ही होते हैं लेकिन इन्साफ के लिए पीड़ित हमेशा ही भटकते देखे गए हैं!
आज भी दिल्ली मैं बलात्कार की घटना को लेकर बराबर हंगामा किया जा रहा है और और हमारे लोग साथी जो काफी पढ़े लिखे भी हैं वोह उस तरीके से हंगामा कर रहे हैं जैसे उनका पढाई लिखी से कोई वास्ता नहीं है, यह हमारे लिए एक दुखद है, क्यूंकि गुस्सा हमेशा अकाल को खा जाता है और इंसान हमेशा ही गुस्से मैं अपने रस्ते से भटक जाते हैं ?
मेरी सरकार से गुज़ारिश है के सरकार को इस पर भी गंभीरता से इसके लिए कुछ करना होगा और हमको हमारी माँ बहनों को भी यह सोचना होगा के कहीं न कहीं हमारी भी ग़लती होती है जिससे ऐसी घटनाएँ जनम लेती हैं क्या यह हमारे सोचने का मुद्दा नहीं है ?
और हमको कितना भी गुस्सा हो हमको कभी भी अपने रस्ते से नहीं भटकना चाहिए क्यूँ की हिंसक होने पर हमेशा ही नुक्सान हमारा है और अपराधी को हमेशा ही इसका फ़ायदा हुआ है आज जो कुछ दिल्ली मैं हो रहा है वोह मेरी नज़र मैं तो बिलकुल भी सही नहीं है क्या हमको हक है के हम अपने गुस्से से किसी बेगुनाह को अपना शिकार बनायें जैसा अभी दिल्ली मैं एक राज्यपाल साहिब के साथ हमारी आन्दोलन करी भेह्नो ने किया है उनकी कार को रोककर उनके साथ बदतमीज़ी की गयी क्या वोह इस घटना के ज़िम्मेदार हैं या इस घटना मैं दोषियों के साथ शामिल हैं ? क्या है हमारे पास कोई जवाब ?