Friday 12 August 2016

जय प्रकाश नारायण ?

जयप्रकाश नारायण जीवनी
By Gyani Pandit - September 6, 2015
   

पूरा नाम   –   जयप्रकाश नारायण
जन्म        –   11 अक्टूबर 1902
जन्मस्थान – सिताबदियारा, सारण, बिहार
पिता        –  हरसू दयाल श्रीवास्तव
माता       –   फूल रानी देवी

Jayprakash Narayan
कार्य जेष्ठ स्वातंत्रता सैनिक समाजवादी और सर्वोदय आंदोलन के प्रमुख नेते जयप्रकाश नारायण / Jayprakash Narayan इन्होंने इ.स. 1975 में भारत में इंदिरा गांधी ने लगाये हुये आणीबाणी के खिलाफ आंदोलन का सफलता पूर्वक नेतृत्व किया. आणीबाणी के बाद जनता सरकार सत्ता पे लाने के उनका बहोत बड़ा योगदान था. सत्याग्रह रास्ते का अवलंब करके जनता का व्यापक संघटन करनेवाले जयप्रकाश नारायण इनको ‘लोकनायक’ ये उपाधी मिली है.
उच्च शिक्षा के लिये अमेरिका गये हुये जयप्रकाश नारायण साम्यवादी विचारो की तरफ झुके. भारत वापस आने के बाद उन्होंने ‘व्हाय सोशॅलिझम’ ये किताब लिखी. इस समय में कॉग्रेस पक्ष के समाजवादी विचारो के नेतओको एकत्रित करके उन्होंने कॉग्रेस पक्ष के बाहर जाकर 1948 में अलग से समाजवादी पक्ष स्थापित किया. 1953 में जयप्रकाश इन्होंने रेल और टपाल के कर्मचारीओं की हड़ताल का नेतृत्व किया. उसके बाद वो समाजवादी पक्ष के सक्रीय राजकारण से बाहर निकल कर आचार्य विनोबा भावे इनके ‘भूदान आंदोलन’ में शामिल हुये. इस आंदोलन का वैचारिक आधार रहने वाले ‘सर्वोदयवाद’ का उन्होंने पुरस्कार किया.
लेकीन समाज का मूल परिवर्तन करने के लिये सर्वोदयी तत्त्वज्ञान कम पड़ रहा है ये ध्यान में आने के बाद उन्होंने 1974 में ‘पूरी क्रांती’ की भूमिका रखी. अपना सपना पूरा करने के लिये जयप्रकाश ने ‘छत्रयुवा संघर्ष वाहीनी’ की स्थापना करके समाज परिवर्तन के लढाई में युवको को आगे का स्थान दिया. राजकीय और आर्थिक सत्ता का विकेद्रिकरण की बाजु लेते हुये जयप्रकाश ने अहिंसक रास्ते से भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन का नेतृत्व किया.
1975 में पंतप्रधान इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता राहने के लिये अंतर्गत आणीबाणी देशपर लगाई और जयप्रकाश के साथ अनेक विरोधी नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नीचे स्थानबद्ध किया. तब लोकशाही संरक्षण की पुकार लेके जयप्रकाश इन्होंने आणीबाणी के खिलाफ लढाई शुरू की. भारतीय जनताने जयप्रकाश के लढाई को साथ देकर इंदिरा गांधी की सत्ता गिराई और जनता पक्ष की सरकार स्थापन हुआ. लेकिन जयप्रकाश के सपनो का भारत खड़ा करने के लिये ये पक्ष पूरी तरह असफल रहा जनता सरकार सत्ता पे थी उसी समय में ही जयप्रकाश नारायण / Jayprakash Narayan का देहांत हुआ.

देश में संपूर्ण क्रांति की अलख जगाने वाले थे? 
लोकनायक जयप्रकाश नारायण कभी घोर मार्क्‍सवादी हुआ करते थे, लेकिन महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से मिलने एवं आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद उनकी विचारधारा में बदलाव आया।

इसके बाद जब उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अहिंसक संघर्ष की पुरजोर पैरवी की और उनके क्रान्तिकारी नेतृत्व ने 1970 के दशक में भारतीय राजनीतिक की दशा-दिशा ही बदल दी। वरिष्ठ पत्रकार और उनके साथ लंबे समय तक जुड़े रहे रामबहादुर राय कहते हैं कि अमेरिका से पढ़ाई करने के बाद जेपी 1929 में स्वदेश लौटे। उस वक्त वह घोर मार्क्‍सवादी  हुआ करते थे। वह सशस्त्र क्रांति के जरिए अंग्रेजी सत्ता को भारत से बेदखल करना चाहते थे हालांकि बाद में बापू और नेहरू से मिलने एवं आजादी की लड़ाई में भाग लेने पर उनके इस दृष्टिकोण में बदलाव आया.
जेपी का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार में सारन के सिताबदियारा में हुआ था। पटना से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद वह शिक्षा के लिए अमेरिका भी गए हालांकि उनके मन में भारत को आजाद देखने की लौ जल रही थी। यही वजह रही कि वह स्वदेश लौटे और स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय हुए। राय ने कहा कि जेपी अपनी पत्नी प्रभावती के कहने पर गांधी से मिलने साबरमती आश्रम गए। यह इत्तेफाक था कि वहां उस वक्त नेहरू भी मौजूद थे। यहीं से नेहरू और जेपी के बीच नजदीकीया बढ़ी। नेहरू के कहने पर जेपी कांग्रेस के साथ जुड़े हालांकि आजादी के बाद वह आचार्य विनोभा भावे से प्रभावित हुए और उनके सर्वोदय आंदोलन से जुड़े। उन्होंने लंबे वक्त के लिए ग्रामीण भारत में इस आंदोलन को आगे बढ़ाया। उन्होंने आचार्य भावे के भूदान के आह्वान का पूरा समर्थन किया.

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