एस एम फ़रीद भारतीय,
जो काम देश के बेगुनाहों को परेशान करके लाईन मैं लगाकर किया जा रहा है ना, अगर वही काम शुरू मैं ही देश के कुछ टैक्स रूपी दलाल वकीलों के आफिस मैं छापा मारकर किया जाता तो बड़ी कामयाबी ही नहीं वाहवाही ओर सुकून
मिलता...?
लेकिन #साहब_फ़कीर_प्रधानसेवक_चौकीदार
साहब की सोच क्या है ये कोई नहीं जानता, साहब एकदम से ईमानदार कैसे ओर कब से बन गये नहीं मालूम.
आज देश के लोग जो भी बुरा भला कह रहे हैं वो जनाब की पिछली पृष्ठभूमि की वजह से ओर काम करने के तरीके से कह रहे हैं.
करना ये चाहिए था कि साहब पहले टैक्स विभाग मैं ईमानदार युवाओं की टीम की भर्ती करते उसको ट्रैंड करते ओर शुरूआत टैक्स विभाग की फ़ाईलों से ही करते, क्या देश को लुटवाने वाले बेईमान अधिकारी किसी भी मुहिम को ईमानदारी से अंजाम दे सकते हैं...?
हां मजे की बात देश की जनता को कागज़ के चन्द टुकड़ों के लालच मैं दलाल रूपी वकीलों से लुटवाने वाले टैक्स विभाग के अधिकारी आज कितने ईमानदार बनकर लोगों के घरों मैं घुस रहे हैं, क्या ये मेरी तरहां अपने सीने पर हाथ रखकर कह सकते हैं कि मेरे पास बेईमानी का कोई पैसा नहीं है.
जिस मुल्क की अदालतों मैं खुलेतौर पर सुविधा शुल्क लेकर कानून ओर इंसाफ़ को बेचा जाता हो ओर तारीख़ पर तारीख़ पड़ती हों तब उस मुल्क मैं ईमानदारी की कसम लेना या ईमानदारी की दलील देना कितना सही है....?
सोचना होगा जनाब आपको फिर से, आपके इस क़दम से उन्ही की चांदी हुई है जिनको आपने इस क़दम मैं शरीक किया है ओर आपका क़दम कितना गोपनीय ओर सही है वो नये नोट छापने वालों को देखकर ओर जिनपर नोट पकड़े जा रहे हैं उनको देखकर समझ मैं आ रहा है, आप मैं भी खु़द के सीने पर हाथ रखकर कसम खाने की हिम्मत नहीं है....!
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