Thursday, 16 March 2017

क्या आप जानते हैं ईवीएम की सच्चाई क्या है...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
चुनाव आयोग ने ईवीएम के बारे में कब सोचा? – चुनाव आयोग ने पहली बार 1977 में इलेक्ट्रानिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ईसीआईएल) से ईवीएम को प्रोटोटाइप (नमूना) बनाने के लिए संपर्क किया, छह अगस्त 1980 को चुनाव आयोग ने प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को ईवीएम
का प्रोटोटाइप दिखाया, उस समय ज्यादातर पार्टियों का रुख इसे लेकर सकारात्मक था, उसके बाद चुनाव आयोग न भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (बीईएल) को ईवीएम बनाने का जिम्मा दिया.
मतदान में ईवीएम का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ?- चुनाव आयोग ने 1982 में केरल विधान सभा चुनाव के दौरान पहली बार ईवीएम का व्यावहारिक परीक्षण किया, जनप्रतिनिधत्व  कानून (आरपी एक्ट) 1951 के तहत चुनाव में केवल बैलट पेपर और बैलट बॉक्स का इस्तेमाल हो सकता था इसलिए आयोग ने सरकार से इस कानून में संशोधन करने की मांग की, हालांकि आयोग ने संविधान संशोधन का इंतजार किए बगैर आर्टिकल 324 के तहत मिली आपातकालीन अधिकार का इस्तेमाल करके केरल की पारावुर विधान सभा के कुल 84 पोलिंग स्टेशन में से 50 पर ईवीएम का इस्तेमाल किया, इस सीट से कांग्रेस के एसी जोस और सीपीआई के सिवान पिल्लई के बीच मुकाबला था.
ईवीएम के सामने पहली चुनौती कब खड़ी हुई?– सीपीआई उम्मीदवार सिवान पिल्लई ने केरल हाई कोर्ट में एक रिट पिटिशन दायर करके ईवीएण के इस्तेमाल पर सवाल खड़ा किए, जब चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट के मशीन दिखायी तो अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया, लेकिन जब पिल्लई 123 वोटों से चुनाव जीत गए तो कांग्रेसी जोस हाई कोर्ट पहुंच गए, जोस का कहना था कि ईवीएम का इस्तेमाल करके आरपी एक्ट 1951 और चुनाव प्रक्रिया एक्ट 1961 का उल्लंघन हुआ है, हाई कोर्ट ने एक बार फिर चुनाव आयोग के पक्ष में फैसला सुनाया, जोस ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी, सर्वोच्च अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दोबारा बैलट पेपर से चुनाव कराने का आदेश दिया, दोबार चुनाव हुए तो जोस जीत गए.
सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया, 1988 में आरपी एक्ट में संशोधन करके ईवीएम के इस्तेमाल को कानूनी बनाया गया, नवंबर 1998 में मध्य प्रदेश और राजस्थान की 16 विधान सभा सीटों (हरेक में पांच पोलिंग स्टेशन) पर प्रयोग के तौर पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, वहीं दिल्ली की छह विधान सभा सीटों पर इनका प्रयोगात्मक इस्तेमाल किया गया, साल 2004 के लोक सभा चुनाव में पूरे देश में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ.
हैकिंग की आशंका पर क्या कहता है चुनाव आयोग?– ईवीएम के इस्तेमाल पर उठने वाले सवालों के जवाब में चुनाव आयोग का कहना है कि जिन देशों में ईवीएम विफल साबित हुए हैं उनसे भारतीय ईवीएम की तुलना “गलत और भ्रामक” है, आयोग ने कहा, “दूसरे देशों में पर्सनल कम्प्यूटर वाले ईवीएम का इस्तेमाल होता है जो ऑपरेटिंग सिस्टम से चलती हैं इसलिए उन्हें हैक किया जा सकता है, जबकि भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले ईवीएम एक पूरी तरह स्वतंत्र मशीन होते हैं और वो किसी भी नेटवर्क से नहीं जुड़े होते और न ही उसमें अलग से कोई इनपुट डाला जा सकता है.” आयोग ने कहा, “भारतीय ईवीएम मशीन के सॉफ्टवेयर चिप को केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है और इसे इस तरह बनाया जाता है कि मैनुफैक्चरर द्वारा बर्नट इन किए जाने के बाद इन पर कुछ भी राइट करना संभव नहीं. ”
किन देशों ने छोड़ दिया है ईवीएम का इस्तेमाल?– जर्मनी और नीदरलैंड ने पारदर्शिता के अभाव में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगा दी, इटली को भी लगता है कि ईवीएम से नतीजे प्रभावित किए जा सकते हैं, आयरलैंड ने तीन सालों तक ईवीएम पर शोध में पांच करोड़ 10 लाख पाउंड खर्च करने के बाद इनके इस्तेमाल का ख्याल छोड़ दिया, अमेरिका समेत कई देशों में बिना पेपर ट्रेल वाले ईवीएम पर रोक है. हालांकि इन सभी देशों में मतदाताओं की संख्या भारत की तुलना में बहुत कम है, चुनाव में होने वाले खर्च होने वाले धन, समय और ऊर्जा के मामले में भी यही हाल है.
साल 2010 का ईवीम मशीन हैकिंग विवाद क्या है?– ईवीएम से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद साल 2010 में हुआ, तीन वैज्ञानिकों ने दावा किया है उन्होंने ईवीएम को हैक करने का तरीका पता कर लिया है, इन शोधकर्ताओं ने इंटरनेट पर एक वीडियो डाला जिसमें कथित तौर पर ईवीएम को हैक करते हुए दिखाए जाने का दावा किया गया, इस वीडियो में भारतीय चुनाव आयोग की वास्तविक ईवीएम मशीन में एक देसी उकरण जोड़कर इसे हैक करने का दावा किया गया, इस रिसर्च टीम का नेतृत्व मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जे एलेक्स हाल्डरमैन ने किया था.
प्रोफेसर एलेक्स ने दावा किया कि वो एक मोबाइल फोन से मैसेज भेजकर ईवीएम को हैक कर सकते हैं, इस वीडियो के सामने आने के बाद भारतीय चुनाव आयोग ने सभी आरोपों को खारिज किया, बाद में इस रिसर्च टीम में शामिल भारतीय वैज्ञानिक हरि के प्रसाद को मुंबई के कलेक्टर कार्यालय से ईवीएम मशीन चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया...

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