एस एम फ़रीद भारतीय
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाने और उनकी फ्लीट को रोकने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस ने संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस मामले में पुलिस ने 11 छात्रों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार इन छात्रों में पूर्व मिस
यूपी अपूर्वा वर्मा भी शामिल हैं। अपूर्वा पर सीएम योगी के फ्लीट को रोकने और काला झंडा दिखाने का आरोप है।
योगी आदित्यनाथ दरअसल, लखनऊ यूनिवर्सिटी के बाहर बुधवार को सीएम योगी की फ्लीट जैसे ही यूनिवर्सिटी के गेट नंबर एक पर पहुंची। समाजवादी छात्रसभा की नेता अपूर्वा वर्मा फ्लीट के आगे कूद गई। इस पर पूरी फ्लीट रूक गई। सीएम की फ्लीट रुकते ही समाजवादी छात्रसभा, आईसा, एसएफआई सहित अन्य छात्र संगठनों के छात्र नेता काले झंडे लेकर सीएम की गाड़ी के सामने आ गए। यहां तक की कुछ तो उनकी गाड़ी के बोनट पर भी चढ़ गए। यह देखकर हड़बड़ाए सिपाही छात्रों को पकड़ने में लग गए। काफी मशक्कत के बाद छात्रों को हिरासत में लिया गया और तब जाकर सीएम योगी का फ्लीट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम स्थल तक जा सका।
कौन हैं अपूर्वा वर्मा अपूर्वा वर्मा 2014 में मिस यूपी बनी थी। अपूर्वा लखनऊ के गुलिस्ता कालोनी में रहती हैं और लंबे समय से समाजवादी छात्र सभा से जुड़ी हैं। वर्तमान में अपूर्वा समाजवादी छात्र सभा की सचिव हैं। अपूर्वा लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों से जुड़े मुद्दों को उठाती रहती हैं। छात्रों ने क्या कहा प्रदर्शन की अगुवाई सपा छात्रसभा के सचिव व छात्र नेता अनिल यादव (मास्टर) ने की। अनिल ने बताया कि योगी का यह कार्यक्रम गरीब छात्रों के फीस से हो रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस कार्यक्रम के लिए करीब 25 लाख रुपए छात्रों के बजट से खर्च किए हैं। यह पूरी तरह से मिसयूज है।
जानकारी के बावजूद लचर सुरक्षा सूत्रों की माने तो छात्र नेताओं ने सीएम योगी की फ्लीट को काले झंडे दिखाने का कई दिन पहले कार्यक्रम बना लिया था। इस बात की पूरी यूनिवर्सिटी में खुलेआम चर्चा भी होती थी। सूत्रों की मानें, तो एलआईयू को इस बात की पहले से जानकारी थी।
इसके बावजूद जब सीएम का फ्लीट कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा तो वहां सुरक्षा के नाम पर मात्र दो चार सिपाही ही मौजूद थे। किसी बड़े अफसर ने इस घटना की पूर्व सूचना के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया था। इसके बावजूद जब यह घटना हुई तो इसका जिम्मेदार सिर्फ चंद सिपाहियों को ही माना गया और एलआईयू और जिले के प्रशासनिक अफसरों पर कोई कार्यवाही तक नहीं हुई।
इन्हें किया गया सस्पेंड सीएम योगी को स्टूडेंटस द्वारा काले झंडे दिखाने के मामले में एसएसपी दीपक कुमार ने एक उपनिरीक्षक वीरेंद्र यादव और पांच सिपाहियों को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया। जो लोग सस्पेंड हुए उसमें उपनिरीक्षक वीरेंद्र यादव थाना चिनहट, कॉन्सटेबल अलाउददीन, कॉन्सटेबल जीवन सहाय, कॉन्सटेबल आत्मेन्दर सिंह, कॉन्सटेबल विजेंदर कुमार और थाना मलिहाबाद से डयूटी पर आए कॉन्सटेबल देवेंदर सिंह शामिल थे।
वहीं ये छात्र हैं गिरफ्तार पुलिस का कहना है कि सात छात्र नेताओं को चिन्हित किया गया है जिन्होंने सुनियोजित तरीके से इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया है। पुलिस ने बताया कि मऊ निवासी अंकित, इटौंजा निवासी महेन्द्र यादव, मऊ निवासी अनिल यादव, लखीमपुरखीरी निवासी मधुर सिंह, मऊ निवासी विनित, सरोजनीनगर निवासी सत्यवन्त सिंह, बस्ती निवासी अशोक, देवरिया निवासी राकेश, राजाजीपुरम निवासी नितिन राय, गुलिस्ता कालोनी में रहने वाली अपूर्णा वर्मा, लालकुआं निवासी पूजा शुक्ला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
क्या है पूरा मामला बताते चले कि लखनऊ विश्वविद्यालय में बुधवार (7 जून) शाम को आयोजित हिंदवी स्वराजय समारोह में शामिल होने जा रहे सीएम योगी आदित्यनाथ और गवर्नर रामनाईक के काफिले को गेट नंबर एक पर समाजवादी छात्रसभा से जुड़े छात्रों ने रोककर जमकर नारेबाजी की काले झंडे दिखाए।
अचानक हुए बवाल से सकते में आई पुलिस ने आनन-फानन में उपद्रवी छात्रों को लाठियां फटकारते हुए खदेड़ दिया। दर्जनभर से अधिक छात्रों को हिरासत में भी लिया गया है।
अब सवाल ये है कि क्या हम आज भी आज़ाद नहीं हैं ग़ुलाम हैं जो सिर्फ काले झंडे वो भी मजबूर होकर दिखाने पर जेल मैं डाल दिया जाता है ओर देश के कानून की रक्षा करने वाली अदालत एक बेगुनाह तीन हफ़्ते जेल मैं रखती है क्यूं क्यूं क्यूं आखिर क्यूं....?
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