एस एम फ़रीद भारतीय
"सच की जीत"
"सच की जीत"
ये भी कड़वा सच है दोस्तों ?
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पक्ष विपक्ष, सरकार, मीडिया सब वहीं
Camp किये हैं, अस्पताल का पूरा प्रशासन, जिला प्रशासन, राज्य सरकार यानि सब ओर चाक चौबंद हैं...?
Camp किये हैं, अस्पताल का पूरा प्रशासन, जिला प्रशासन, राज्य सरकार यानि सब ओर चाक चौबंद हैं...?
फिर भी बच्चे मर रहे हैं, क्यूं ?
क्या अब भी ऑक्सीजन की ही कमी है, या समस्या कुछ और है ?
समस्या की जड़ में जाने के लिए किसी गांव में जाना
होगा, धान का season है, चारों ओर खेतों में पानी लगा है, इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है, वो मच्छर यदि पहले किसी सूअर को काट ले और उसके बाद किसी मनुष्य को काटे तो उसे ये JE यानि जापानी encephilitis होता है, बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर chhote बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है.
होगा, धान का season है, चारों ओर खेतों में पानी लगा है, इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है, वो मच्छर यदि पहले किसी सूअर को काट ले और उसके बाद किसी मनुष्य को काटे तो उसे ये JE यानि जापानी encephilitis होता है, बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर chhote बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है.
फ़ौरन Diagnose कर प्रारंभिक अवस्था मे ही यदि इलाज शुरू हो जाये तो रोगी ठीक हो जाता है,
गांव में समस्या ये है कि पहले एक दो दिन तो मरीज के परिजनों को पता ही नही चलता कि उनका बच्चा बीमार है...?
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वहां से Dr उसे Referral hospital यानी BRD medical College refer कर देते हैं, ओर यहां तक आते आते बच्चा Critically ill होता है, यानि बहुत बहुत बीमार.
इसीलिए BRD जैसे hospitals में मृत्यु दर इतनी ज्यादा है, कोई झोला छाप या private अस्पताल अपने यहां मरीज को मरने नही देना चाहता, कुछ दिन पैसा बनाकर case खराब करके चलो referral hospital और referral हॉस्पिटल बेचारा तो किसी को refuse कर ही नही सकता.
उसको तो सबको लेना ही है, चाहे कितना ही बीमार मरणासन्न क्यों न हो ?
BRD में पूर्वांचल के 10 जिले , बिहार के 10 जिले और नेपाल की तराई से मरीज आते हैं, जिनमे सबसे ज़्यादा प्रकोप नेपाल की तराई वाली paddy belt में है,
ऐसे में आप सिर्फ med School के doctors को ही दोषी नही ठहरा सकते...!
पूरी व्यवस्था ही दोषी है, बेशक इसमे भयंकर भ्रष्टाचार भी एक पहलू है, पर अन्य systematic failures भी हैं, ज़रा गांव में घूम कर देखिये, झोला छाप डॉक्टर को आप यूँ ही नही भगा सकते, अगर वो ना रहें तो आपकी पूरी स्वास्थ्य सेवा ही भरभरा कर बैठ जाएगी ये भी सच है.
तब फिर आखिर क्या है इसका सही हल ?
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भारत को भी JE जैसी बीमारियों से निपटने के लिए अपने झोला छाप डॉक्टरों को ही तैयार करना पड़ेगा जिससे वो बीमारी की प्रारंभिक अवस्था मे ही बीमारी को पहचान कर मरीज को सही जगह अस्पताल तक भेज दें.
झोला छाप डॉक्टर को स्वास्थ्य मित्र बनाओ और अपने इलाके की स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेवार भी बनाना होगा तभी इस बीमारी या बाकी बीमारियों का इलाज कर सकते है.
जयहिन्द जयभारत
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