Tuesday 12 September 2017

हमसे नहीं, ये अपनों से कैसा प्यार है प्रधानमंत्री जी ?

एस एम फ़रीद भारतीय
"क़लम उठाई है तो चलेगी भी"

मुसलमान/ अल्पसंख्यक/ दलितों के बारे में मोदी जी ने कब क्या कहा, क्यूं कहा समझने वाले समझ गये ओर फ़ुल बहुमत से सत्ता की बागडौर आपके हाथों मैं सौंप दी, तब आपने देश के बाईस करोड़ मुस्लमानों ओर बारह करोड़ दलितों को सबक सिखाने के लिए अपने
सत्तर करोड़ लोगों की हवा निकाल दी, जबकि मुस्लिम ओर दलितों का कुछ नहीं बिगाड़ सके ?
कुछ आपके बोलों के ख़ास उदाहरण यहां पेश कर रहा हुँ कब क्या कहा जनाब ?
आपने 2002 की गुजरात हिंसा के तुरंत बाद हिंसा के पीड़ित मुसलमानों के लिए बनाए गए कैंम्पों को बच्चे पैदा करने वाले कारखाने कहा था याद है ? उसी भाषण में आपने हम पाँच, हमारे पच्चीस शब्दों का भी  इस्तेमाल किया था ये भी याद होगा यानि मतलब यह कि मुसलमान परिवार में एक आदमी, चार बीबी और पच्चीस बच्चे होते हैं, और मुसलमानों की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है (जबकि सच्चाई यह है कि गुजरात में 1951 में 8.9% मुसलमान थे और नए आंकड़े के अनुसार आज 9.1% हैं, ओर यहां भी आपने अपनों ही को उल्लू बनाया साहेब !
2002 की एक और घटना मोदी जी आपको याद होगी जब आपने जे एम लिंगडोह (भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त) के बारे में यह संकेत किया कि वह गुजरात विधानसभा चुनाव में देरी कर रहे है क्योंकि वह ईसाई है, यह भी संकेत किया कि वह भारतीय नहीं है लिंगडोह मेघालय का है, यानि मेघालय को आप तब भारत का हिस्सा नहीं मानते थे ओर अब मेघालय के आप पर बहुत अहसानात हैं क्यूं ?
ओर जनाब जुलाई 2013 में 2002 हिंसा के बारे में पूछे जाने पर आपने कहा अगर कोई कुत्ते का बच्चा भी आपकी कार के नीचे आकर मारा जाता है तो आपको दुख होता है, मगर आज बच्चों पर आफ़त सी आई हुई है आक्सीजन की कमी के साथ रेप ओर हत्या का शिकार बच्चे हो रहे हैं कहां सोया है आपका ज़मीर ओर वो बोल सर, बात मुस्लिमों या दलितों के बच्चों की होती तो चलो आपकी चुप्पी ठीक थी लेकिन आज 90% बच्चे ओर महिलाएं आपकी सपोर्ट करने वालों के हैं ?
वहीं नवसर्जन ट्रस्ट द्वारा 2009 में किए गए जाँच में यह पाया गया कि गुजरात में दलितों के साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव होता है, और उनके खिलाफ़ आम तौर पर हिंसा होती है, लेकिन मोदी जी आपके अनुसार दूसरों का मल ढोने, और पाखाना साफ करने वाल्मिकी समुदाय के लिए आध्यात्मिकता का अनुभव' है.
आपका कहना था कि किसी वक्त उन्हें यह प्रबोधन हुआ होगा कि वाल्मिकी समुदाय का काम है कि समूचे समाज की खुशी के लिए काम करना, इस काम को उन्हें भगवान ने सौंपा है ओर आज क्या कहते हैं वंदेमातरम का पहला हक़ सफ़ाई करने वालों को है क्यूंकि चुनाव नज़दीक आ रहा है ओर स्वच्छता के नाम पर सैंकड़ों करोड़ का चूना लग चुका है हालात जस के तस हैं !
एक और साक्षात्कार में मोदी जी आपने कहा था कि मैं हिंदु-सिख को नहीं बाँटना चहता हूँ, हिंदू-इसाई को नहीं बाँटना चाहता हूँ, ओर यहां मुसलमानों का ज़िक्र तक नहीं किया क्यूं इशारा साफ़ था ओर समझने वाले समझ गये ?
2012 में ही मोदी जी आपने उर्दू साप्ताहिक नई दुनिया के संपादक से एक इन्टरव्यूह में ये भी कहा था कि आज कल आप लोगों के मुँह में भी पानी आ रह है, वो इसलिए के आप अखंड भारत के नाम पर मुस्लिम अकसीरियती देश बनाना चाहते हैं.
आने वाले चुनाव में बीजेपी मुस्लिम मतों को जीतने की कोशिश कर रही है, सवाल है कि इस में सचमुच उनका रुख बदला है या सिर्फ़ गठबंधन की राजनीति का एक उपाय है, और मुस्लिम और दलित वोट जीतने की कोशिश भर है ?
मधु किश्वर जैसे मोदीवादियों के अनुसार मोदी जी आप कभी भडकाऊ भाषण नहीं देते है, लेकिन यहाँ दिए गए मिसाल और अन्य जगहों पर भी किए गए जाँच से यह पता चलता है कि मोदी शब्दों का सोचकर इस्तेमाल करते हो ओर इस कला मैं आप माहिरों का साथ लिए थे !
लेकिन मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के बारे में उनकी राय उसके साथियों को अच्छे से समझ में आती ही नहीं है वो उसको समझकर अमल भी ख़ूब करते हैं !
अब आते हैं आपकी लोकलुभावन योजनाओं पर जिनको नाम बदलकर आपने पेश कराया है ?
आपकी केंद्र सरकार उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रूपये की राशि बतौर शादी शगुन देगी जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी.
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (एमएईएफ) ने मुस्लिम लड़कियों की मदद के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया है, एमएईएफ का कहना है कि इस योजना का मकसद सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम लड़कियों और उनके अभिभावकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें, इस कदम को अभी आरंभिक तौर पर शादी शगुन नाम दिया गया है.
मुस्लिम बच्चियों को मिलेगी 10 हजार की राशि जब ये ऐलान हुआ ?
हाल ही में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में हुई एमएईएफ की बैठक में लड़कियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के संदर्भ में कुछ फैसले किए गए जिनमें ये फैसला भी प्रमुख है, इसके अलावा अब नौंवी और 10वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाली मुस्लिम बच्चियों को 10 हजार रूपये की राशि दी जाएगी, ये अब तक 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाली मुस्लिम लड़कियों को 12 हजार रूपये की छावृत्ति मिल रही थी, मक़सद था मुस्लिम बच्चियां कम से कम स्नातक की पढ़ाई पूरी करे सकें.
वहीं शादी शगुन के तौर पर 51,000 रूपये की राशि का फैसला भी किया गया है, उन्होंने ये भी कहा कि यह राशि बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन हमें उम्मीद है कि इससे मुस्लिम लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए लोगों का हौसला बढ़ेगा, कोषाध्यक्ष ने कहा कि इस संदर्भ में वेबसाइट तैयार की जा रही है और इस पूरा ब्यौरा दिया जाएगा.
शादी का शगुन चाहिए तो यह शर्तें ?
बता दें कि शादी शगुन की यह राशि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाली उन्हीं मुस्लिम लड़कियों को मिलेगी जिन्होंने स्कूली स्तर पर एमएईएफ की ओर से मिलने वाली छात्रवृत्ति हासिल की होगी, अंसारी ने एमएईएफ के इस नए कदम का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मुख्तार अब्बास नकवी के प्रयासों को देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को सच करने का काम किया है.
आपके समर्थकों का क्या कहना है?
आपके प्रशंसक आजकल मीडिया और इंटरनेट पर सब जगह दिखते हैं, उसके कुछ समर्थक जैसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले में जेल से रिहा वरिष्ठ पुलिस अफ़सर डी जी वंज़ारा आपको भगवान तक मानते हैं, जब कि आप भगवान नहीं, तो फिर भी प्रभावशाली नेता सक्षम मुख्यमंत्री कुशल प्रशासक दूरदर्शी, आदर्शवादी, देशभक्त, ईमानदार वगैरा, विशेषकर अक्सर विकास पुरुष कहकर गुजरात के विकास के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है, जो आपके समर्थकों के अनुसार किसी चमत्कार से कम नहीं है.
आपके लिए इतना प्यार कहाँ से आता है? गुजरात के विकास या आपके के नेतृत्व के उदाहरण माँगें तो आम तौर पर कुछ जवाब नहीं मिलते, मालूम पड़ता है कि इस प्यार का बड़ा कारण आपके चारों ओर पीआर मशीन द्वारा बनाया प्रचार तमाशा है, इंटरनेट, फ़ेसबुक, ट्विटर और पुराने मीडिया टीवी और अखबार यानि सब का इस्तेमाल अच्छे से करके ब्रांड मोदी बना दिया गया है, आपके इर्द-गिर्द अंबानी, अडानी जैसे अमीर और शक्तिशाली लोग देखकर कुछ लोग ज़रूर प्रभावित होते हैं.
लेकिन मोदी लहर और मोदी के लिए सच्चाई में कितना समर्थन है इनके बीच कुछ दूरी भी ज़रूर दिखती है, जैसे मालूम पड़ता है कि मोदी के ट्विटर फॉलोअर्स 69 फीसदी नकली हैं, हालांकि अक्सर कहा जाता है कि मोदी नौजवानों का बहुत प्रिय है गुजरात यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के 2014 चुनावों में एबीवीपी को एनएसयूआई ने जबर्दस्त हराया ओर अब दिल्ली के साथ बाकी राज्यों मैं क्या हो रहा है आप ख़ुद देख रहे होंगे ?
अब आते हैं गुजरात दंगों की शुरूआत पर जब सन 1969 मैं गुजरात का पहला दंगा हुआ तब प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी हुआ करती थीं ओर उन्होंने अपनी कार से दौरा किया ओर कार से  उतर कर उन्होंने कहा कि यहां एक पुलिस थाना है और वह भी 40 मीटर की दूरी पर, लेकिन एक मस्जिद और मुस्लिमों की दुकानों को जला दिया गया था.
जब वे अपनी गाड़ी से नीचे उतरीं, उन्होंने अपने संतरियों को बुलाया और उस दूरी को नापने को कहा जो दंगा स्थल से थाने की थी, गांधी का कहना था कि यह कैसे हो सकता है कि पुलिस थाने के ठीक सामने मुस्लिमों की दुकानें जला दी जाती हैं? वह भी तब जब राज्य में और केन्द्र में कांग्रेस की सरकार हो.
बेशक 1969 के दंगों में हजारों मुस्लिमों (लगभग 5000) को योजनाबद्ध तरीके से मारा गया था, पर किसी को याद है कि तब गुजरात में हितेन्द्र देसाई की कांग्रेस सरकार थी ?
जनाब हमको अहसास है कि मुस्लिमों की बात कोई भी ध्यान से नहीं सुनता है, हमने वर्ष 1969 में, 1985 में, 1987 और 1992 ओर 2002 में दंगे देखे हैं बहुत कुछ गंवाया है लेकिन देश की शान को बट्टा नहीं लगने दिया, हम अपने हिंदु-मुस्लिम भाई एक दूसरे की ढाल कल भी बने थे आज भी हैं ओर रहेंगे सियासत ओर झूंठ ज़्यादा नहीं चलता साहेब !
ऐसे मैं मेरी आपसे गुज़ारिश है कि आप बचे वक़्त हिन्दु-मुस्लिम को छोड़ देश ओर देश के ग़रीब बेरोज़गारों के लिए कुछ ठोस योजनाओं को अमल मैं लाकर देश को अफ़रा तफ़री ओर मारकाट की ओर जाने से बचा लें, मैं दूर से देख रहा हुँ देश का युवा किसान मज़दूर काफ़ी परेशान है, इनको गाड़ी बंगले नहीं दो वक़्त की चटनी रोटी का जुगाड़ चाहिए बस ?
जयहिन्द

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