Friday 24 November 2017

दिल्ली में महिलाओं के उत्पीड़न का आज ज़िम्मेदार कौन ?

क्या यही होना चाहिए देश की राजधानी दिल्ली मैं ?
मैं बात कर रहा हुँ एक गैर-सरकारी संगठन एनजीओ की ओर से सूचना का अधिकार आरटीआई के तहत दायर अर्जी पर मिले जवाब से खुलासा हुए सवाल पर कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर रोज औसतन 11 महिलाओं का अपहरण हुआ.
दिल्ली में 'अपराध एवं पुलिसिंग की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में प्रजा फाउंडेशन ने कहा कि 2016 में शहर में दर्ज अपहरण के 50 फीसदी से ज्यादा मामले महिलाओं से जुड़े हुए थे, एनजीओ ने कहा कि पिछले साल दर्ज अपहरण के 6,707 मामलों में से 4,101 मामलों में महिलाएं पीड़ित थीं, इसके अलावा, अपहरण के 75 फीसदी से ज्यादा मामले महिलाओं से जुड़े हुए थे.
      
रिपोर्ट के मुताबिक,'पिछले साल दर्ज अपहरण के 699 मामलों में से 524 में महिलाएं पीड़ित थीं, साल 2015 में दिल्ली में 7,937 मामले दर्ज किए गए थे, इनमें से 792 मामले बालिग लोगों के अपहरण से जुड़े थे और कुल मामलों के 52.78 फीसदी में महिलाएं पीड़ित शामिल थीं.

एनजीओ की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में हर रोज औसतन दो बच्चों का यौन उत्पीड़न हुआ, प्रजा फाउंडेशन ने कहा कि यह आंकड़ा दिखाता है कि इस शहर में बच्चे कितने असुरक्षित हैं, एनजीओ ने कहा कि पिछले साल बलात्कार के कुल 2,181 मामले दाखिल किए गए थे, उनमें से 977 मामले यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत दर्ज किए गए थे.
      
पिछले साल की तुलना में 2015 में बलात्कार के 2,338 मामले दर्ज किए गए थे जिनमें से 1,149 में पीड़ित नाबालिग थे, एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि दिल्ली में पिछले साल महिलाओं से छेड़खानी की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं, प्रजा फाउंडेशन ने अपने श्वेत-पत्र में कहा कि पिछले साल छेड़खानी के 3,969 मामले दर्ज किए गए जिनमें 590 मामले दक्षिण दिल्ली में सामने आए, साल 2015 में दक्षिण जिला में छेड़खानी के 485 मामले सामने आए थे, साल 2014 में यह संख्या 862 थी, साल 2015 की तुलना में पिछले साल मध्य, बाहरी, नई दिल्ली, उत्तर, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व जिलों में छेड़खानी की घटनाएं बढ़ीं, साल 2016 में 11 ऐसे मामले दिल्ली हवाई अड्डे पर दर्ज किए गए थे.

अब सवाल ये पैदा होता है कि एक बलात्कार पर दिल्ली ही नहीं पूरे देश को सर पर उठाने वाले आज सत्ता मैं हैं, लेकिन अपराध का गिराफ़ गिरने के बजाये बढ़ता ही जा रहा है तब आज इसका जिम्मेदार कौन है ?
पहले सरकार ज़िम्मेदार थी तब आज की सरकार ज़िम्मेदार क्यूं नहीं ?
पहले भी उसी सरकार की पुलिस थी आज भी उसी सरकार की पुलिस है ?

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