Friday 24 November 2017

सच मैं भारत बदल रहा है चार साल के बच्चे ने किया बलात्कार ?

चार साल का बच्चा यौन हिंसा कर सकता है, ये सवाल अपने-आप में बहुत मुश्किल है लेकिन इसका जवाब ढूंढना बेहद ज़रूरी ?
दिल्ली में रहने वाली एक महिला का आरोप है कि उनकी चार साल की बच्ची के साथ स्कूल में यौन हिंसा हुई है. बच्ची का मां का कहना है कि एक हमउम्र बच्चे ने उनकी बेटी के प्राइवेट पार्ट पर पेंसिल से चोट पहुंचाई.
महिला ने इस बारे में पुलिस में शिक़ायत भी दर्ज कराई है. उनका कहना
है कि बच्ची के पेट और प्राइवेट पार्ट में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें इसका पता चला.
थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि बच्ची ने ख़ुद ये सारी बातें अपनी मां से बताईं.
क्या सचमुच ऐसा हो सकता है? चार साल के छोटे बच्चे का दिमाग़ किस तरह काम करता है?
'बच्चा ख़ुद नहीं कर सकता ऐसा अपराध'
जानी-मानी क्रिमिनल साइकॉलजिस्ट डॉ. अनुजा कपूर मानती हैं कि इस उम्र का बच्चा अपने-आप ऐसी हरकत नहीं कर सकता.

उन्होंने बातचीत में कहा, ऐसा मुमकिन ही नहीं है कि इतना छोटा बच्चा अपने-आप इस तरीके से यौन हमला करे, मुझे लगता है कि या तो उसने किसी को ऐसा करते देखा होगा या फिर किसी ने उसे पॉर्न देखने पर मजबूर किया होगा.
डॉ. अनुजा आशंका जताती हैं कि हो सकता है वो बच्चा खुद भी यौन शोषण का शिकार हो.
उन्होंने कहा, चार साल के बच्चे का दिमाग, इतना विकसित ही नहीं होता कि इतना सोच सके, बच्चे अपने आस-पास बड़ों को जैसा करते देखते हैं, वो ख़ुद भी वैसा ही करते हैं.
उनका मानना है कि यह स्थिति बहुत गंभीर है और दोनों बच्चों को साइकॉलजिस्ट की ज़रूरत है, डॉ. अनुजा बच्ची को 'पॉजिटिव काउंसलिंग' दिए जाने की सलाह देती हैं.
हौव्वा बनाने से बचें
उन्होंने कहा, उसे इस बात के लिए शाबाशी दी जानी चाहिए कि उसने सारी बातें मां से शेयर कीं, बच्ची से ये नहीं पूछा जाना चाहिए कि उसने पहले क्यों नहीं बताया.
डॉ. अनुजा कहती हैं कि बच्ची का भरोसा जीतना भी बेहद अहम है, उसे इस बात का अहसास कराया जाना चाहिए कि उसके मम्मी-पापा और दोस्त हमेशा उसके साथ हैं.
उन्होंने कहा, अभी बच्ची को इतना ही पता है कि उसे चोट लगी है जिसकी वजह से दर्द हो रहा है, मामला गंभीर है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन बच्ची के सामने इसका हौव्वा बनाने से बचने की ज़रूरत है.
यौन हिंसा के आरोपी बच्चे की बात करें तो डॉ. अनुजा का मानना है कि उसे भी इमोशनल सपोर्ट और काउंसलिंग की बहुत ज़रूरत है.
पता किया जाना चाहिए कि क्या उसने किसी को ऐसा करते देखा या मोबाइल, इंटरनेट पर इस तरह की कोई चीज देखी.
ये जानना भी ज़रूरी है कि बच्चे ने पहले भी ऐसा कुछ तो नहीं किया या कहीं वो ख़ुद यौन शौषण का शिकार तो नहीं हो रहा है.
डॉ. अनुजा ने कहा, "पता लगाया जाना चाहिए कि बच्चे के घर-परिवार का माहौल कैसा है, वो किसके साथ ज़्यादा वक़्त बिताता है, किस तरह के गेम खेलता है.
वो मानती हैं कि इस मामले में दोनों बच्चों को आरोपी और पीड़िता की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, दोनों सिर्फ़ और सिर्फ़ बच्चे हैं जिन्हें सही-ग़लत की बहुत कम समझ है.
उन्होंने कहा चूंकि दोनों बहुत छोटे हैं, उन्हें आमने-सामने लाया जा सकता है, बच्चे से कहा जा सकता है कि उसकी वजह से उसकी दोस्त को चोट लगी जोकि सही नहीं है.
क्या बच्चे पर कोई कानूनी कार्रवाई हो सकती है?
क्रिमिनल लॉयर रमेश गुप्ता ने इसके जवाब में कहा चूंकि बच्चे की उम्र सात साल से कम है, इसलिए उस पर किसी भी तरह क़ानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती.
उन्होंने बताया कि अगर बच्चा कबूल करे कि उसने ऐसा कुछ किया है तो भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती क्योंकि माना जाता है कि इतनी कम उम्र में बच्चे अपराध नहीं कर सकते.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में पॉक्सो एक्ट के तहत देश में बच्चों के साथ रेप के 8,00 मामले दर्ज किए गए थे, इनमें से 25.3% मामलों में यौन शौषण करने वाला जान-पहचान का या करीबी व्यक्ति था.
वैसे तो बच्चों के साथ यौन हिंसा की घटनाओं में पॉक्सो ऐक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफ़ेंसेज) के तहत मामला दर्ज होता है लेकिन सात साल से कम उम्र के बच्चों पर ये लागू नहीं होता.
डॉ. अनुजा जोर देकर कहती हैं कि इस केस में बच्ची को प्यार और फ़िक्र की ज़रूरत तो है ही, बच्चे का भी ध्यान रखा जाना उतना ही ज़रूरी है.

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