एस एम फ़रीद भारतीय
दुनियां मैं कुछ कट्टरपंथी लोगों ने कोहराम मचा दिया था कौन हैं वो सच्चाई क्या है नहीं मालूम बस लिबास ओर हरकतों से बोल दिया कि ये मुस्लिम हैं ओर साथ ही नाम भी दे दिया आतंकवादी ?
जानते हैं क्यूं हम ख़ामोशी के साथ दुनियां के बहत्तर से भी ज़्यादा मुल्कों मैं रह रहे हैं लेकिन अमेरिका से लेकर आज मेरे मुल्क भारत तक हम मुस्लिमों को ख़िलाफ़ साज़िशें रची
जा रही हैं मुझे नहीं मालूम ऐसा क्यूं हो रहा है ओर अगर मालूम भी है तब मैं कहना नहीं चाहता क्यूंकि मेरे कहने ओर सुनने से कोई फर्क पड़ेगा ऐसा मुझको नहीं लगता, बस मैं इतना कहना चाहुंगा कि जो कुछ दुनियां में मुस्लिमों के नाम पर हो रहा है वो मुस्लिमों को एक करने के लिए किया जा रहा है हम सोते हुए लोगों को जो सियासत के मुकाम पर सोए हैं उनके जगाया जा रहा है ओर बताया जा रहा है कि सियासत मैं ये सब भी जायज़ है.
मैं मुल्क ओर दुनियां के ठेकेदारों से जानना चाहता हुँ ओर जानते हुए बताना चाहता हुँ कि जो आप दुनियां मैं मुस्लिम का रूप दिखा रहे हो वो क्या है ? क्या सच मैं ये मुसलमान हैं ? अगर हां तब इनकी तादाद क्या है कितने हैं ये लोग जो दुनियां को नचा रहे हैं ?
मैं आपके कहने पर मान लेता हुँ कि ये सबके सब मुस्लिम हैं ओर ये दुनियां मैं आतंक मचा रहे हैं, लेकिन क्यूं भाई ये भी तो बताओ कि ये आतंक क्यूं मचा रहे हैं क्यूं शरई लाईन से हटकर मज़लूमों का ख़ून बहा रहे हैं, इनकी मांग क्या है, क्या इनके सवाल हैं वगैरा नहीं बता सकते ना ?
बस आपको तो मुस्लिमों को दुनियां मैं बदनाम करना है ओर बेगुनाहों को मारने का बहाना तलाश करना है जिससे ये अपनी तादाद ओर ताक़त को ना बढ़ा पायें, क्यूंकि आप आज के लिए परेशान नहीं हैं आप परेशान हैं आगे आने वाले वक़्त के लिए कि अगर इसी तरहां मुस्लिमों की तादाद बढ़ती रही तब दुनियां का क्या होगा हमारे मुल्क का क्या होगा, हमारी गंदी सियासत का क्या होगा जो आज तक हम चंद टुकड़ों के लिए जनता का ख़ून चूसकर करते आये हैं ?
लेकिन आपने इसका उल्ट नहीं सोचा जनाब मैं बता दूं आईने के दो रूख होते हैं लेकिन आप अभी तक आईने को एक ही रूख पर पकड़े खड़े हो ओर दुनियां को दिखा रहे हो कि मुस्लिम ये है, ऐसा ज़ालिम है, कट्टर है, आतंकवादी है ? जहां तुम दिखाते हो वो कानून ओर अदालते ओर गवाह भी सब तुम्हारे ही तो हैं, ओर हमने देखा है तुम्हारे लालची इंसाफ़ को भी जो एक चुने हुए सदर को भी अपनी अदालत मैं मुलज़िम बनाकर पेश करता है ओर मुजरिम घोषित कर मौत की सज़ा सुनाता ही नहीं देता भी है, बताने की ज़रूरत नहीं मैं सद्दाम हुसैन जैसों की बात कर रहा हुँ !
तब समझ लो आईने का दूसरा रूख भी तुम जिहाद जिहाद चिल्लाते हो कि हम जिहाद करते हैं जिहादी हैं ? ये सच है हम जिहादी हैं लेकिन जो परिभाषा तुम बता रहे हो वो जिहाद की परिभाषा नहीं है ओर तुम क़ुरआन को नाऊज़ुब्बिलाह झुंठलाने की कोशिश कर रहे हो ये कहकर कि हमने जिहादी तैयार किये हैं ओर हम जिहाद कर रहे हैं ग़रीब ओर मज़लूमों की जान लेकर, तब जनाब समझ लो ये जिहादी हम नहीं हैं ओर ना ही ये जिहाद का फ़तवा हमारे किसी लीडर ने दिया है क्यूंकि दुनियां मैं हमारा कोई लीडर है ही नहीं लीडर का मतलब है ख़लीफ़ा से तुम लीडर कहते हो हम ख़लीफ़ा कहते हैं ओर तुम हम से बेहतर जानते हो इस्लाम मैं ख़लीफ़ा का क्या रोल है ?
जिस तरहां तुम अपनी गंदी चाल चलकर दुनियां मैं मुस्लिमों को बदनाम कर रहे हो ओर मारकाट रहे हो वो एक तरहां से मुस्लिमों को एक प्लेटफ़ार्म पर लाने का काम भी है, क्यूंकि कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है अब में जो ऊपर अधूरी बात रह गई उसको पूरा करता हुँ कि पूरी दुनियां मैं मुस्लिम आतंकवादियों की तादाद कितनी होगी तुम्हारी निगाह मैं ?
पचास हज़ार ? एक लाख? दो लाख? पांच लाख? दस लाख ? या फिर पचास लाख ?
बोलो ना कितनी होगी ?
चलो मान लेते हैं पचास लाख होगी !
अब दुनियां मैं मुस्लिमों की आबादी भी बता दो कितनी होगी वो भी ईमानदारी से से यहां झूंठ नहीं चलेगा क्यूंकि यही तुम्हारी सोच ओर सवाल का जवाब है !
मैं बता देता हुँ दुनियां के 71 मुल्कों मैं कुल आबादी 6,425,958,040 ओर इसमें मुस्लिम 1,519,747,019 की तादाद में रहते हैं, अब आप सोचें अगर इनमें से पचास लाख भी आतंकवादी हैं तब आतंकवाद का प्रतिशत क्या हुआ, हिसाब लगा लेना जो तुम दुनियां मैं मुसलमान को बदनाम करने पर तुले हो, ऊपर वाला ना करे अगर दस फ़ीसद मुस्लमान भी अगर इस रास्ते पर आ गया जिसपर तुम सोते हुए को जगाकर लाना चाह रहे हैं तब दस फ़ीसद के हिसाब से हुआ लगभग सोलह करोड़ मुस्लिम, तब दुनियां का क्या हाल होगा सोचा है कभी ?
दिमाग लगाकर सोचना कि तुम क्या बोने जा रहे हो क्या करना चाहते हो, मुस्लिम बड़े आराम से अपने कामों से मुल्कों की खिदमत करने उनको बनाने मैं लगा है ये राजनीति ओर फ़साद की तरफ़ से सोया हुआ है इसको मत जगाओ बस मैं यही कहूंगा, दुनियां ओर मेरे मुल्क को सुकून से रहने दो बस, क्यूंकि दुनियां का इंसान अगर ताज है तब मुस्लिम इस ताज का नायाब हीरा है.
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