दोस्तों आज मैं हिंदू मुस्लिम की बढ़ती नफ़रत की बढ़ती आग को जिसपर राजनैतिक पार्टियां अपनी रोटियां सेंकते हैं, एक नग्में के बोलों से आपके बीच रखने की कोशिश कर रहा हुँ, मैं एक लेखक हुँ ओर हमेशा देश ओर इंसानियत के बारे मैं सोचता रहता हुँ.
आज लिखने को कुछ नहीं था गाय भैंस बकरी कुतिया कुत्ते, लवजिहाद, आतंक इन पर लिखने को दिल नहीं था, ओर देश मैं इसके अलावा कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा तब इत्मिनान से आज पुराने गाने सुनने का मन हुआ दूसरा गाना सुन ही रहा था कि लगा ये तो आज के दौर मैं चल रही
वाहियात राजनीति के मुंह पर एक तमाचा है तब आपकी नज़र कर रहा हुँ पढ़ने के साथ समझने की कोशिश करें कि हमको जाना कहां था ओर हम जा कहां रहे हैं, पसंद आये तो कमैंटस से मुझे भी बतायें क्या नसीहत दी है लेखक ने अपने इस पूरे नग़में के बोलों मैं, मेरा ये अंदाज़ नया है लेकिन मक़सद वही इंसानियत कैसे बचाई जाये ?
इक प्यार का नग़मा है, मौजों की रवानी है ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है,
ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं,
तेरी मेरी कहानी है.
कुछ पाकर खोना है, कुछ खोकर पाना है जीवन का मतलब तो, आना और जाना है, दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है,,
ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है.
तू धार है नदिया की, मैं तेरा किनारा हूँ तू मेरा सहारा है, मैं तेरा सहारा हूँ आँखों में समंदर है, आशाओं का पानी है,
ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है.
तूफ़ान तो आना है, आ कर चले जाना है बादल है ये कुछ पल का, छा कर ढल जाना है परछईयाँ रह जाती, रह जाती निशानी है.
ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं,
तेरी मेरी कहानी है....2
एस एम फ़रीद भारतीय
+919997554628
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