सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यूं मायने नहीं रखते...?
एक कड़वा सच मैं आपके सामने रखने जा रहा हुँ और ये बाख़ूबी जानते हुए कि शायद मैं वो पहला इंसान हुँ जो ये बात पहली बार खुलकर लिखने की हिम्मत के साथ सुप्रीम कोर्ट को एक सलाह भी देने की कोशिश कर रहा हुँ, मेरा मक़सद ये बिल्कुल नहीं है कि मैं सुप्रीम कोर्ट से ज़्यादा समझदार हुँ या उनके किये फ़ैसलों पर ऊंगली उठा रहा हुँ, बल्कि मेरा मक़सद आज सुप्रीम कोर्ट की गिरती साख़ को बचाना है, साथ ही उन सबके दिलों मैं सुप्रीम कोर्ट का डर और सम्मान पैदा करना है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अन्देखी करते हैं.
दोस्तों, एक नहीं हज़ारों ऐसे फ़ैसले सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर दिये हैं जो सीधे देश की करोड़ों जनता की रोज़ी रोज़गार से जुड़े हैं, लेकिन आज तक उन पर शासन प्रशासन ने अमल नहीं किया है, बल्कि वो सरासर कानून की धज्जियां उड़ाकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों को मज़ाक बना चुके हैं.
ऐसे ही एक बड़ा फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट ने पीयूसीएल की याचिका पर देते हुए कहा था कि अब से भारत में भूख से कोई मौत नहीं होनी चाहिए, क्या इस बड़े फ़ैसले पर अमल हुआ, क्या देश मैं आज भूखे नहीं हैं...?
नहीं ऐसा नहीं है इस फ़ैसले पर कोई अमल नहीं हुआ बल्कि देश मैं लाखों जानें भूख की वजह से इस फ़ैसले के बाद जा चुकी हैं और करोड़ों जाने जाने के कगार पर खड़ी हैं, देश के नेता और अधिकारी मिलकर इस फ़ैसले को खुले तौर पर अपने क़दमों तले रौंध रहे हैं, एक आंकड़ा बताता है कि भारत मैं आज भी करीब तीस करोड़ लोग भूखे सोते हैं, अमीर और अमीर हो रहा है और ग़रीब को और ग़रीब किया जा रहा है.
आज मुल्क मैं लाखों टन अनाज को ख़ुद पानी डालकर सड़ाया जा रहा है, क्यूंकि सड़ने के बाद वो इंसान नहीं जानवरों के खाने लायक बनेगा, जिसका अनाज माफ़िया मिलकर बंदर बांट करेंगे, ग़रीब को ना के बराबर अनाज दिया जा रहा है, वहीं कागज़ों मैं ये अनाज पूरी तरहां ग़रीब जनता मैं बंटा दिखाया जाता है.
इसकी या इस जैसे सैंकड़ों हज़ारों फ़ैसलों की असल वजह क्या है ये आज सुप्रीम कोर्ट को ग़ौर करना चाहिए।
मेरी नज़र मैं सुप्रीम कोर्ट जब फ़ैसला सुनाती है तब उसको अमल मैं लाने शासन प्रशासन का काम है और प्रशासन आज ज़्यादातर जनता नहीं नेताओं का ग़ुलाम बना हुआ है, ऐसे फ़ैसलों को अमल मैं लाना या सख़्ती से लागू कराना पुलिस का काम होता है और पुलिस राज्य सरकारों के अधीन काम करती हैं इसलिए चाहकर भी पुलिस ऐसे कानूनों पर अमल नहीं करा पाती.
अब आपको एक उदाहरण देते हैं भारत मैं ही एक ऐसा मंत्रालय और विभाग है जहां चोरी नाम मात्र को होती है और वो अगर कोई कानून पास करता है तब उस पर अमल करने की पूरी कोशिश की जाती है, जानते हैं वो विभाग कौनसा है जिसका अपना मंत्रालय होने के साथ पुलिस और न्याय व्यवस्था अपनी है जिससे लोग काफ़ी डरते हैं...?
वो विभाग है रेल मंत्रालय जी हां रेल मंत्रालय यहां आपने देखा होगा रेल मंत्रालय की अपनी पुलिस और अपनी अदालतें हैं और इसके ज़्यादातर फ़ैसले तुरंत निबटा दिये जाते हैं वहीं रेल मंत्रालय के आदेशों को रेलवे पुलिस और अदालत पूरा कराने की पूरी कोशिश करती है.
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों पर सही से अमल इसीलिये नहीं हो पाता क्यूंकि उसके पास ऐसा अपना कुछ भी नहीं है, काश अगर हमारी सुप्रीम कोर्ट की पुलिस भी अलग से होती जो सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को सख़्ती से लागू कराने मैं काम करती तब मेरे देश की हालत शायद आज कुछ और होती, अभी भी वक़्त है सुप्रीम कोर्ट को इस पर अमल करना चाहिए, जिससे लोगों को रोज़गार के साथ कानून का डर भी बना रहेगा, सुप्रीम कोर्ट सुपर रहेगी...!
जय हिंद जय भारत
लेखक- एस एम फ़रीद भारतीय
सम्पादक- एनबीटीवी इंडिया डॉट इन
+919808123436
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