दोस्तों सभी के विचार में पढ़ रहा था, सच में आज हम हिंदोस्तानी जितनी मुहब्बत करते हैं दुनियां के किसी देश के नागरिक इतनी मुहब्बत नहीं करते होगें, वो भी तब जब हमारे
मुल्क के नेता अपना सारा ज़ोर हमको आपस में नफ़रत पैदा करने के लिए लगाते हैं।
वहीं मेरी सोच ये कहती है जो काम हम मुल्क को आगे बढ़ाने और ऊंचाई पर लेजाने के लिए आपस में मिलकर कर सकते हैं वो काम सरकार या सरकारी अमले पर निर्भर रहकर किसी हाल में नहीं कर सकते।
रही दलित और मुस्लिम की बात तब में बता दुँ ये आरक्षण का खेल खेला ही मुस्लिमों को राजनीति से दूर रखने के लिए है, आप सोचेंगे कि में कैसी बात कर रहा हुँ और क्या लिख रहा हुँ, इतना बड़ा आरोप तो में लगा रहा हुँ क्या इसका कोई सबूत आपके पास है क्या आप इस बात को साबित कर सकते हो...?
तब में अपने इस सवाल पर आपकी सोच जानना चाहता हुँ क्या मेरा सवाल जायज़ है और अगर हां तो कैसे जायज़ है, और अगर आपका जवाब ना में है तब क्यूं और कैसे...??
आपका दोस्त साथी
एस एम फ़रीद भारतीय
सम्पादक एनबीटीवी इंडिया डॉट इन
+919808123436
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