Monday, 22 February 2021

बेटी की शादी हो या वलीमा दिखावा पड़ रहा है भारी...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
अभी कुछ दिन पहले कुछ शादियों मैं जाने का मौका मिला, वहां के बदलते हालातों को देख जहां कुछ ख़ुशी का अहसास हुआ तो कुछ पल अफ़सोस के भी रहे, ख़ुशी इसलिए कि जाति प्रथा को लोग छोड़कर अब धर्म के आधार पर शादियां कर रहे हैं, वहीं अफ़सोस इस बात का कि दिखावा इन ख़ुशियों पर भारी पड़ रहा है, ये अंर्तजाति शादियां जहां ख़ुशी का सबब बन रही हैं वहीं दिखावा इन शादियों की ख़ुशियों पर कुछ भारी पड़ रहा है, आज नज़र डालते हैं इन बदलते हालातों पर कि कैसे इन रिश्तों की खटास को रोकने की कोशिश की जा सकती है.

बात शुरू करते हैं लॉक डाउन मैं हुई बिन भीड़ भाड़ वाली

Thursday, 4 February 2021

किसान क्या हैं, आतंकवादी या ख़ालिस्तानी या असल किसान...?

"एस एम फ़रीद भारतीय"
सम्पादक- एनबीटीवी इंडिया रजि०
आईये समझते हैं कौन हैं ये आन्दोलनकारी, देश के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को कुल 17.16 करोड़ वोट मिले थे लेकिन इस बार यह आंकड़ा 33.45 प्रतिशत बढ़कर 22.90 करोड़ को पार कर गया, यानि 23 करोड़ मान सकते हो.

अब अगर हम देखें तो इस आन्दोलन मैं अधिकतर किसान पहले भाजपा के समर्थक थे और

सेबी चेयरमैन माधवी बुच का काला कारनामा सबके सामने...

आम हिंदुस्तानी जो वाणिज्य और आर्थिक घोटालों की भाषा नहीं समझता उसके मन में सवाल उठता है कि सेबी चेयरमैन माधवी बुच ने क्या अपराध ...