Thursday 16 September 2021

बुलंदशहर यानि बरन शहर या इतिहास क्या है...?

बुलन्दशहर देश के उत्तर प्रदेश राज्य के बुलन्दशहर ज़िले में स्थित एक नगर है, यह नगर बुलंदशहर ज़िले का मुख्यालय भी है.

बुलंदशहर निर्देशांक: 28°24′N 77°51′E / 28.4°N 77.85°E
देश भारत INDIA, राज्य उत्तर प्रदेश, ज़िला बुलन्दशहर
क्षेत्रफल कुल 4441 किमी2 (1,715 वर्गमील),
ऊँचाई 195 मी (640 फीट),
जनसंख्या (2011) कुल 2,22,826,
घनत्व 788 किमी 2 (2,040 वर्गमील),
भाषाएँ उर्दू, हिन्दी, जिसे फ़िल्मी दुनियां मैं इस्तेमाल किया जाता है, और खड़ीबोली,
समय मण्डल IST (यूटीसी+5:30),
पिन कोड  203001, टेलीफोन कोड +91 (05732)
वाहन पंजीकरण UP-13- 1234
लिंगानुपात 892 ♂/♀

काला आम चौराहा, जिसका आम-रूपी शिल्प एक ऐसे आम्रवृक्ष का प्रतीक है जहाँ स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को फांसी दी जाती थी

बुलंदशहर के पास बहती गंगनहर
बुलन्दशहर का प्राचीन नाम बरन था। इसका इतिहास लगभग 1200 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना अहिबरन नाम के राजा ने की थी। बुलन्दशहर पर उन्होंने बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है इस किले के चारों ji ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी था जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था। ब्रिटिश काल में यहाँ राजा अहिबरन के वंशज राजा अनूपराय ने भी यहाँ शासन किया जिन्होंने अनूपशहर नामक शहर बसाया उनकी शिकारगाह आज शिकारपुर नगर के रूप में प्रसिद्ध है। मुगल काल के अंत और ब्रिटिश काल के उद्भव समय में जनपद में ही मालागढ़ रियासत, छतारी रियासत व दानपुर रियासत की भी स्थापना हो चुकी थी जिनके अवशेष आज भी जनपद में विद्यमान है। दानपुर रियासत का नबाब जलील खान था और छतारी रियासत ब्रिटिश परस्त रही।

बुलन्दशहर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के ठीक पश्चिम में स्थित है, पूर्व में गंगा नदी व पश्चिम में यमुना नदी इसकी सीमा बनाती है, वहीं शहर को बीचों बीच एक नदी बहती है जिसको काली नदी कहा जाता है, बुलन्दशहर के उत्तर में मेरठ तथा दक्षिण में अलीगढ़ ज़िले हैं, पश्चिम में राजस्थान राज्य पड़ता है, इसका क्षेत्रफल 1,887 वर्ग मील है, यहाँ की भूमि उर्वर एवं समतल है, गंगा की नहर से सिंचाई और यातायात दोनों का काम लिया जाता है, निम्न गंगा नहर का प्रधान कार्यालय नरौरा स्थान पर है, वर्षा का वार्षिक औसत 26 इंच रहता है, पूर्व की ओर पश्चिम से अधिक वर्षा होती है.

बुलंदशहर, अनूपशहर, बुगरासी, औरंगाबाद, खुर्जा, पहासु, स्याना, खानपुर, डिबाई, सिकंदराबाद, जहांगीराबाद व शिकारपुर इसके प्रमुख नगर हैं व बुलन्दशहर नगर इस जनपद का मुख्यालय है, बुलंदशहर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिल्ली से ६४ किलोमीटर की दूरी पर बसा शहर है, साथ ही बहती है काली नदी, यह शहर मुखयतः सड़कों से मेरठ, अलीगढ़, खैर, बदायूं, गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद से जुडा हुआ है, बुलंदशहर जनपद के नरौरा में गंगा के किनारे भारत वर्ष में विद्यमान परमाणु विद्युत संयंत्र में से एक विद्युत ताप गृह स्थापित व सुचारू रूप से प्रयोग में है।

वायु मार्ग मैं सबसे निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो बुलन्दशहर से दिल्ली 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

रेल मार्ग भारत के कई प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा बुलन्दशहर रेलवे स्टेशन जो नगर के निकट ही है, पहुँचा जा सकता है, यह हापुड़ व खुर्जा के बीच ब्रांच लाइन है, रेलवे लाइन के ऊपर बिजली के तार बिछ चुके है शीघ्र ही यह ब्रांच लाइन से मेन लाइन हो जाएगी.

बुलन्दशहर सड़कमार्ग एनएच 24 द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ खैर, आगरा, अलीगढ़ कानपुर और जयपुर आदि शहरों से सड़कमार्ग द्वारा जुड़ा है।

बुलंदशहर उद्योग और व्यापार, कुछ स्थानों पर किसानों के परिश्रम से भूमि कृषि योग्य कर ली गई है, यहाँ की मुख्य उपजें गेहूँ, चना, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा, कपास एव गन्ना आम आदि हैं, कस्बा बुगरासी में आम के बाग विदेशों तक मशहूर है, सूत कातने, कपड़े बनाने का काम जहाँगीराबाद में, बरतनों का काम खुर्जा, लकड़ी का काम बुलंदशहर व शिकारपुर में होता है, कांच से चूड़ियाँ, बोतलें आदि भी बनती हैं, करघे से कपड़ा बुना जाता है, नगर बुलन्दशहर में पानी के हेंडपम्प बनाने की भी कई ईकाई लगी है, खुर्जा व बुलन्दशहर नगर में कई नामी आयुर्वेदिक चिकित्सक भी रहे हैं, खुर्जा चीनी मिट्टी के काम व बिजली के विभिन्न उपकरण भी बनाने के लिए पहचाना जाता है.


शिकारपुर कस्बे का इतिहास...?
पुरातत्व विभाग में दर्ज करीब 700 वर्ष पुराने बसे नगर शिकारपुर का अपना इतिहास है। लोगों के दिलों में रहस्य और रोमांच जगाने के लिए अभी भी 'बारहखंभा' इमारत पर्यटन का केंद्र बनी हुई है। कुछ सुलझी और कुछ अनसुलझी कहानियां में समाई इस इमारत के निर्माण को लेकर तमाम तर्क हैं। रहस्य की चादर ओढ़े सदियों से खड़ी इस इमारत को देखने के लिए देशभर से पर्यटक हर मौसम में यहां पहुंचते हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी. की दूर पर बसा है शिकारपुर। कस्बे में मेरठ-बदायूं स्टेट हाईवे से मात्र चंद कदमों की दूरी पर स्थित बारहखंभा की इमारत है। इमारत के निर्माण को लेकर तमाम किस्से-कहानियां स्थानीय लोगों को कंठस्थ हैं। कुछ लोगों जहां इसे दूसरी दुनिया से आए जिन्न द्वारा निर्माण कराए जाने का दावा करते हैं तो कुछ लोग इसे सिकंदर लोधी के धर्मगुरु सैयद अब्दुल्ला कुतुब बुखारी की इबादत स्थली बताते हैं। इसके अलावा अन्य किवदंतियां भी इस इमारत को लेकर हैं। बारहखंभा इमारत का कुछ ग्रामीण अंचल के बनाए गए नाटकों में भी जिक्र है। मोहर्रम के अवसर पर बारहखंबा को देखने के लिए दिल्ली एवं दूर-दराज से शिया सैयद बिरादरी के लोग काफी आते हैं.

सदियों पुरानी इस इमारत में कुल 16 खंबे एवं 12 खन यानी दरवाजे हैं। जिसकी खासियत है कि हर तरफ से देखने पर 12 दरवाजे ही नजर आते हैं। सैंकड़ों साल पहले निर्माण होने से लेकर आज तक कई बार भयंकर आंधी तूफान आए, लेकिन बिना छत खड़े इन खंभों को नहीं हिला सके। ऐसा नहीं है कि इमारत को पूरा करने का प्रयास नहीं किया गया, लेकिन तमाम कारणों और हादसों के चलते कभी इमारत की छत पूरी नहीं हो पाई।

स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले काफी समय से बारहखंभा इमारत को पर्यटन स्थल घोषित कराने की मांग सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से की जाती रही है। पूर्व विधायक बासूदेव बाबा ने इस संबंध में प्रयास भी किए, लेकिन प्रयास अधूरा ही रहा। उधर, हर वर्ष इस रहस्यमयी इमारत को देखने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों की मांग हैं कि सरकार जल्द से जल्द इस इमारत को पर्यटन स्थल घोषित कर इसका विकास कराए।

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