Thursday, 30 September 2021

अल्लाह की चार आसमानी किताबों के नाम और वो कब किसपर नाज़िल हुई...?


एस एम फ़रीद भारतीय 
दोस्तों अल्लाहतआला ने अपने बंदों को सीधा रास्ता दिखाने के लिए समय-समय पर अपने पैगंबरों और संदेष्टाओं को दुनिया में भेजा, दुनिया में करीब 1,24,000 नबी भेजे गए यह सभी इंसानों में से थे और लोगों को एक अल्लाह की तरफ बुलाते थे, उनमें से कुछ नबी ऐसे थे जिनको अल्लाह ने धार्मिक पुस्तकें प्रदान की थी जिनके मुताबिक वह अपने अनुयायियों को सत्य मार्ग दिखाते थे, जिन नबियों को यह ईश्वरीय ग्रंथ मिलते थे उन्हें रसूल कहा जाता है, हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी एक रसूल थे जिन्हें अल्लाह ताला ने कुरान जैसी मुक़द्दस किताब अता फ़रमाई, कुरान में 25 नबियों का ज़िक्र मिलता है.

अल्लाह ने समय-समय पर अपने बंदों को सही मार्ग पर लाने के लिए नबी और रसूल भेजें जिन्हें समय-समय पर कई किताबें प्रदान की गई जिनमें से चार प्रसिद्ध किताबों का जिक्र कुरआन में मिलता है.

सहूफे इब्राहिमी- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई थी यह किताब अब लुप्त हो चुकी है लेकिन इतिहास में इसका कहीं कहीं जिक्र मिल जाता है, ये हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का दीन था.

तौरात- इस पाक किताब को अल्लाह की तरफ से हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल किया गया था यह किताब अब अपनी असल हालत में मौजूद नहीं है लेकिन इसमें भी एकेश्वरवाद की शिक्षा और इस्लाम धर्म का जिक्र मिल जाता है, इसको हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का दीन कहा गया.

ज़ुबूर- यह पाक किताब हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को प्रदान की गई यानि नाज़िल की गई थी, जिससे वह आपने कबीले और मुल्क के लोगों की रहनुमाई करते थे, ये हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का दीन था.

इंजील- इस पाक किताब को वर्तमान में बाइबिल के नाम से जाना जाता है इसे हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल किया गया था इस किताब में हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से लेकर बहुत से नबियों का जिक्र मिल जाता है और इसमें भी हर किताब की तरह एकेश्वरवाद और इस्लाम की मूलभूत शिक्षाओं का जिक्र किया गया है हालांकि इस किताब में भी अब बहुत तब्दीली हो चुकी है और यह अपनी असल हालत में आज मौजूद नहीं है, ये हज़रत ईसा अलैहि सलाम का दीन था.

आख़िरी किताब क़ुरआन

सवाल- आसमानी किताबें कैसे और क्यूं नाज़िल हुई...?
यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये होता है की आसमानी किताबें कब, क्यूं और कैसे अवतरित की गई, जब किसी समाज या देश में अधर्म का बोलबाला हो जाता और लोग पथ भ्रष्ट हो जाते तो अल्लाह आपने संदेश को पहुंचाने के लिए एक पैगंबर या रसूलों को भेजता और उसे एक किताब या कुछ बुनियादी बातें बताई जाती जिन्हें वह अपने समाज कि लोगों को बताता और उन्हें सीधी रास्ते पर लाने की कोशिश करता, जो रास्ता वक़्त के हिसाब से अल्लाह तय करता.

जिब्रील अलैहिस्सलाम नबी और रसूलों को ईश्वर का संदेश लाकर देते थे और वह संदेश नबी और रसूल अपने कबीले और लोगों तक पहुंचाते थे, हजरत मोहम्मद सल्ला वसल्लम को भी जिब्रील अलैहिस्सलाम पैगाम लाकर देते थे जिसे वह अपनी कौम तक पहुंचा देते और इस तरह धीरे-धीरे अल्लाह के पैगाम का एक बड़ा जखीरा जमा हो गया जिसे आज अल्लाह की आख़िरी किताब क़ुरआन के नाम से जाना जाता है, ये अल्लाह का आख़िरी कानून है.


सवाल- क्या मुसलमान चारों आसमानी किताब पर यकीन रखते हैं...?

बेशक मुसलमानों के लिए अल्लाह की तरफ से नाज़िल की गई हर किताब पर यकीन रखना जरूरी है, अगर कोई अल्लाह की तरफ से नाज़िल की गई इन किताबों का इनकार करता है तो वह इस्लाम अल्लाह के दीन के साथ उन नबियों और पैग़म्बरों का इनकार करता है जिनका ज़िक्र अल्लाह ने आख़िरी किताब क़ुरआन ए पाक मैं किया है, इसीलिए हर मुसलमान तौरात, ज़ुबूर, इंजील और कुरआन चारों ही पाक किताबों पर यक़ीन रखते हैं और यह भी मानते हैं कि समय के साथ कुरान के अलावा अन्य सभी किताबों में तब्दीलियां हो चुकी है.

कुरान की रक्षा की जिम्मेदारी स्वयं अल्लाह ने ली है इसलिए उसमें तब्दीली नहीं की जा सकती आज दुनिया में लाखों करोड़ों मुसलमान क़ुरआन को कंठस्थ (हिव्ज़) किए हुए हैं और इस तरह कुरान पूर्ण रूप से सुरक्षित है.

अल्लाह हमको सहीह समझकर अमल की तौफ़ीक अता करे, आमीन

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