*कॉफी, कैमरा, एक्सपेरीमेंटल फीजिक्स, चेस, साबुन, शैंपू, परफ्यूम/इत्र, सिंचाई, क्रैंक-शाफ्ट, आंतरिक दहन इंजन, वॉल्वस, पिस्टंस, और कॉम्बिनेशन ताले.*
आर्किटेक्चरल इनोवेशन (यूरोपियन गोथिक कैथेड्रल्स ने इस टेक्नीक को अपना लिया क्योंकि इससे बिल्डिंग ज्यादा मजबूत बन गई, खिड़कियां बनने लगीं, गुबंद वाली बिल्डिंग्स और राउंड टावर्स आदि बनने लगे)
*सर्जिकल यंत्र, एनेस्थेसिया, विंडमिल, ट्रीटमेंट ऑफ काउपॉक्स, फाउंटेन पेन, गिनती प्रणाली, अल्जेबरा/ट्रिग्नोमेट्री, आधुनिक क्रिप्टोलॉजी, तीन नियमित भोजन (सूप, मांस/मछली, फल/नट्स), क्रिस्टल ग्लास, कारपेट, चेक, बगीचे का आयुर्वेद और किचेन के बजाय खूबसूरती और मेडिटेशन के तौर पर प्रयोग, यूनवर्सिटी, ऑप्टिक्स, म्यूजिक, टूथब्रश, हॉस्पिटल्स, नहाना (गुस्ल), रजाई ओढ़ना, समुद्र यात्रियों का कंपास, सॉफ्ट ड्रिंक, पेंडुलम, ब्रेल, कॉस्मेटिक्स, प्लास्टिक सर्जरी, हस्तलिपि, पेपर और कपड़े की मैन्युफैक्चरिंग वगैरह.*
ये सब कुछ बनाने वाले मुस्लिम ही थे, ये मैं नहीं कह रहा इसको पूरी दुनियां कहती है सर्च करो, इसके अलावा मुसलमान जिन्होंने बताया कि रोशनी हमारी आंखों में प्रवेश करती है, जबकि ग्रीक लोगों का मानना था कि हमारी आंखें रोशनी निकालती हैं, और इस खोज से कैमरे का आविष्कार हुआ, सबसे पहले 852 में उड़ने की कोशिश एक मुस्लिम ने ही की थी, भले ही इसका श्रेय राइट ब्रदर्स ने लिया हो, मगर सच कभी छुपता नहीं है.
मुसलमानों का विरोध करने वाले और पंचर वाला कहकर तंज़ करने वाले क्या ये सबकुछ जानकर इनका इस्तेमाल करना छोड़ देंगे या फिर फैलाई जा रही नफ़रत को छोड़ मिलकर काम करेंगे...?
ये सोचना ज़रूर, मुसलमानों ने कोई अहसान नहीं किया, ये वक़्त की ज़रूरत थी जिसे पूरा किया, मगर इस्लाम के दुश्मनों ने हज़ारों मुसलमान वैज्ञानिकों को शहीद कर कुछ अधूरे कामों को अपने नाम से दुनियां के सामने रखा और मशहूर हो गये, मगर इतिहास मैं शहीदों के नाम आज भी दर्ज हैं और हमेशा रहेंगे.
भारत एक अद्भुत देश है, पूरी दुनियां पर हुकूमत करने की ताक़त भी है, मगर कुछ अंग्रेज़ों के पिठ्ठू और दलाल उनके इशारे पर एकता को ख़त्म कर देश को फिर ग़ुलाम बनाना चाहते हैं, इससे हमारे युवाओं को सावधान रहने के साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है.
जय हिंद जय भारत
हमारी एकता ज़िंदाबाद.
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