Wednesday, 19 April 2023

भूख से मौत, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर अनाज बांटने पर गर्व क्यूं...?

एस एम फ़रीद भारतीय 
2001 के सुप्रीम आदेश के बाद 29 मार्च 2011 को फिर सर्वोच्च न्यायलय में न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी की खंडपीठ के सामने पीयुसीएल के वकील कॉलिन गोंसाल्वेज़ ने अदालत का ध्यान मीडिया की रिपोर्टों की तरफ आकृष्ट किया जिनमे कहा गया है कि दंतेवाड़ा के मोरपल्ली में 6 आदिवासियों की कथित रूप से भूख के कारण मौत हो गयी है, आज तक नहीं मिली किसी ज़िम्मेदार को सज़ा, उल्टा भूख पर राजनीति आज चर्म पर है...!

देश को शर्मसार कर रही है 81 करोड़ लोगों को मुफ़्त अनाज योजना, देते क्या हो ये भी खुलासा करो, किसका आदेश था ये अनाज बांटने का और किसने 74 पन्नों की याचिका दायर की थी...??

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 

हाल ही में यूएन की एक रिपोर्ट में पता चला है कि दुनिया में नौ में से एक शख्स को भरपेट खाना मिल पाता है.

यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार, 828 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो हर रोज रात में भूखे पेट सोते हैं. यह दुनिया की पूरी जनसंख्या का 10 फीसदी है.

 इसमें 345 मिलियन लोग तो ऐसे हैं, जो खाने के लिए काफी तरस रहे हैं और उन्हें मुश्किल से खाना मिल पाता है.

 संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल एड्स, टीबी और मलेरिया से ज्यादा लोग भूख से मरते हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में हर साल 90 लाख लोग भूख से मर जाते हैं.

 हाल ही में वैश्विक भूख संकट को खत्म करने करने की मांग करते हुए 200 से अधिक गैर सरकारी संगठनों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हर 4 सेकेंड में एक व्यक्ति भूख से मर रहा है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ कदम उठाने चाहिए.

 बता दें कि 2019 के बाद से 34.5 करोड़ लोग भुखमरी का अनुभव कर रहे हैं. दुनिया भर में, 45 देशों में 5 करोड़ लोग भुखमरी के कगार पर हैं.

 बताया जाता है कि दुनिया में हर रोज 19,700 लोगों की मौत भुखमरी की वजह से हो जाती है. इसका मतलब हर 4 सेकेंड में एक व्यक्ति भूख के चलते मर रहा है.

अगर भारत की बात करें तो हंगर इंडेक्स में भारत 121 देशों में से 107वें नंबर है.

ये वाकई चौंकाने देने वाला है कि भारत में हर रोज 20 करोड़ लोग अच्छे से खाना नहीं खा पाते हैं.

साल 2020 में साउथ एशिया में 1331.5 मिलियन लोग ऐसे थे, जैसे हेल्दी डाइट नहीं मिल पाई और उसमें से 973.3 मिलियन तो भारत के लोग थे.

भारत में हर साल 7 हजार से 19 हजार लोग हर भूख से मर जा रहे हैं. यानी पांच से 13 मिनट में एक आदमी बिना खाने के मर जाता है.

इंडिया फूड बैंकिंग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 189.2 मिलियन लोग कुपोषित हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में 14% जनसंख्या कुपोषित है

वहीं इसी सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि इस दौरान लगभग 71 फीसदी लोगों के भोजन में पौष्टिकता की भी कमी देखी गई थी. यहां तक की 45 फीसदी लोगों को अपने खाने के इंतजाम के लिए कर्ज तक लेना पड़ा.

देश की सर्वोच्च अदालत के सामने 18 जनवरी, 2022 को जब भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, "भारत में एक भी मौत भुखमरी से नहीं हुई है." उसी वक्त मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना के साथ पीठ में शामिल जस्टिस एस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, "क्या हम इस बात का पूरी तरह से यकीन कर लें कि भारत में एक भी मौत भुखमरी से नहीं हुई है?"

प्रधान पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा, "क्या इस कथन को रिकॉर्ड में लिया जाए?" इस सवाल का स्पष्ट जवाब सुप्रीम कोर्ट को नहीं मिल सका. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल बोले कि राज्यों ने भुखमरी से होने वाली मौत के आंकड़े नहीं दिए हैं लिहाजा उन्हें इसके लिए जानकारी लेनी होगी. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से भी भुखमरी व कुपोषण से मौत के आंकड़े देने का आदेश दिया है.

नई याचिका भूख के मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशिमा मंडला, मंदाकिनी सिंह, फुजैल अहमद अय्यूबी, इबाद मुश्ताक, एसएम अहमद पेश हुए.

याचिकाकर्ता के वकील, एडवोकेट आशिमा मंडला ने कोर्ट को अवगत कराया कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भूखे सोने वाले भारतीयों की संख्या 2018 में 19 करोड़ से बढ़कर 2022 में 35 करोड़ हो गई है.

यानि ग़रीब को क्या मिल सिर्फ़ मौत, सुप्रीम कोर्ट मांग रही है आज भी हलफ़नामे आखिर कब तक भूखों की मौत पर सत्ता चलेगी कब तक...?

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