ये उन ग़ैर किताब वालों के लिए सबक है जो इन ज़ालिमों की हिमायत करते हैं और ये ज़ालिम अपने ज़ुल्म की वजह से हर सदी मैं किसी ना किसी वजह से निशाना बने हैं, अब तक दुनियां मैं इन पर छह बार हमला हुआ है.
इजरायली या यहूदियों के धर्मिक बाइबल ग्रंथ तोराह में उनके पूर्वजों को इब्राहिम अलेयहि सलाम के पुत्र इसहाक अलेयहि सलाम के वंशज माना गया है, इसहाक अलेयहि सलाम की मां की नाम साराह था. और इसहाक अलेयहि सलाम के बेटे यानि इब्राहम अलेयहि सलाम के पोते जैकब के वंशज ही यहूदी कहे जाते हैं जैकब के बेटों ने ही सामूहिक तौर पर कनान में इजरायलियों का देश बनाया था.
कहते हैं यूदा प्रदेश के निवासी प्राचीन इजरायल के मुख्य ऐतिहासिक प्रतिनिधि बन गए थे, इस कारण समस्त इजरायली जाति के लिये यहूदी शब्द का प्रयोग होने लगा, इस जाति का मूल पुरूष अब्राहम अलेयहि सलाम थे, अत: वे 'इब्रानी' भी कहलाते हैं, याकूब अलेयहि सलाम का दूसरा नाम था इजरायल, इस कारण 'इब्रानी' और 'यहूदी' के अतिरक्ति उन्हें 'इजरायली' भी कहा जाता है.
अब सवाल बनता है यहूदी धर्म से पहले कौनसा धर्म था, तब नाम आता है यजीदी- यजीदी धर्म प्राचीन विश्व की प्राचीनतम धार्मिक परंपराओं में से एक है, यजीदियों की गणना के अनुसार अरब में यह परंपरा 6,763 वर्ष पुरानी है अर्थात ईसा के 4,748 वर्ष पूर्व यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों से पहले से यह परंपरा चली आ रही है, एक मान्यता के अनुसार यजीदी धर्म को हिन्दू धर्म की एक शाखा माना जाता है।
ईसा अलेहि सलाम को यहूदियों ने क्यूं सलीब पर लटकाया, यहूदी कहते हैं ख़ुद को ईश्वरपुत्र बताना उनके लिये भारी पाप था, (मगर ईसा अलेहि सलाम ने ऐसा ख़ुद कभी नहीं कहा, कहा होता तो वो अल्लाह के पाक पैगंबर ना होते ना क़ुरआन मैं उनका ज़िक्र नबी के तौर पर होता) इसलिये यहूदियों ने उस वक़्त के रोमन गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत कर दी, रोमनों को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर रहता था, इसलिये कट्टरपन्थियों को प्रसन्न करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस (सलीब) पर मौत की दर्दनाक सज़ा सुनाई.
मगर अल्लाह ने उनको ज़िंदा ऊपर उठा लिया था ऐसा इस्लामी किताबों का कहना है जो सच था.
यहूदी अपने देवता यानि नबी को यहवेह या यहोवा कहते हैं, यहूदी मानते हैं कि सबसे पहले ये नाम ईश्वर ने हजरत मूसा को सुनाया था, यहूदियों के धर्मग्रंथ का नाम तनख है, जिसे तालमुदा या तोरा भी कहा जाता है, यहूदी इस्लाम, ईसाई की ही तर्ज पर एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं, मगर उसके बताये रास्ते पर चलते नहीं हैं.
वैसे यहूदियों के धर्म का उद्गम यरूशलम और उसके आसपास का इलाका माना जाता है, इसमें ईश्वर की परिकल्पना इस्लाम और ईसाई धर्म से मिलती जुलती है, इसमें भी एकीश्वरवाद को माना जाता है इनके ईश्वर का कोई स्वरूप नहीं है और ना ही इसमें किसी मूर्ति की पूजा की जाती है.
यहूदी धर्म का इतिहास करीब 4000 साल पुराना है। इस धर्म का इतिहास मिस्र के नील नदी से लेकर वर्तमान इराक़ के दजला-फुरात नदी के बीच आरंभ हुआ और आज का इसरायल एकमात्र यहूदी राष्ट्र है।
यहूदी परम्परा के अनुसार, पहले यहूदी मिस्र के फराओं के अन्दर गुलाम होते थे। बाद में मूसा के नेतृत्व में वे इसरायल आ गए। ईसा के 1100 साल पहले जैकब के 12 संतानों के आधार पर अलग-अलग यहूदी कबीले बने। ये दो खेमों में बँट गए - एक, जो 10 कबीलों का बना था इसरायल कहलाया और दो, जो बाकी के दो कबीलों से बना था वो जुडाया कहलाया। 10 कबीलों वाले इसरायल का क्या हुआ इसका पता नहीं है। जुडाया पर बेबीलन का अधिकार हो गया।
बाद में ईसापूर्व सन् 800 के आसपास यह असीरिया के अधीन चला गया। फ़ारस के हखामनी शासकों ने असीरियाइयों को ईसापूर्व 530 तक हरा दिया तो यह क्षेत्र फ़ारसी शासन में आ गया। इस समय जरदोश्त के धर्म का प्रभाव यहूदी धर्म पर पड़ा। यूनानी विजेता सिकन्दर ने जब दारा तृतीय को ईसापूर्व 330 में हराया तो यह यहूदी ग्रीक शासन में आ गए।
सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस के साम्राज्य और उसके बाद रोमन साम्राज्य के अधीन रहने के बाद ईसाइयत का उदय हुआ। इसके बाद यहूदियों को यातनाएं दी जान लगी। सातवीं सदी में इस्लाम के उदय तक उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। उसके बाद तुर्क, मामलुक शासन के समय इनका पलायन इस क्षेत्र से आरंभ हुआ। बीसवीं सदी के आरंभ में कई यहूदी यूरोप से आकर आज के इसरायली क्षेत्रों में बसने लगे.
यहूदी और मुसलमान सूअर का मांस क्यों नहीं खाते...?
यहूदी धर्म, इस्लाम धर्म और ईसाई धर्म के कुछ हिस्सों में सुअर को भोजन के रूप में अशुद्ध जानवर माना जाता है, हालाँकि ईसाई धर्म भी एक इब्राहीम धर्म है, लेकिन इसके अधिकांश अनुयायी मोज़ेक कानून के इन पहलुओं का पालन नहीं करते हैं और इसके मांस का सेवन करते हैं।
इजराइल की उत्पत्ति कैसे हुई...?
1948 में, संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन के समर्थन से इजरायल का जन्म हुआ। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1947 में पेश की गई विभाजन योजना के तहत फिलिस्तीन के ब्रिटेन के नियंत्रण वाले इलाके को यहूदी और अरब राज्य में बांटने की बात तय हुई.
भारत में यहूदी क्यों आए...?
बेहतर अवसर की उम्मीद में आए थे भारत, इन यहूदियों के भारत आने की वजह यह थी कि जहां ये पहले रह रहे थे वहां इनके साथ उत्पीड़न होता था. इन्होंने बेहतर अवसर की उम्मीद में भारत में कदम रखा. भारत में अलग-अलग जगहों के यहूदी मुंबई, गुजरात, कोलकाता जैसे कई बड़े शहरों में जाकर बस गए, ये सही से नहीं कहा जा सकता ये अपने असल रूप के साथ किस रूप मैं भारत मैं रह रहे हैं, क्यूंकि इनको हमेशा ही भेष बदल कर रहने की आदत रही है और ये जो प्लान करते हैं वो एक दो साल का नहीं बल्कि सैंकड़ों साल का होता है, ये धीमा ज़हर देने के आदी रहे हैं, यही वजह है ये हमेशा मारे जाते रहे हैं.
दुनिया का सबसे ताकतवर धर्म कौन सा है...?
अभी तक तो ईसाई धर्म सबसे बड़ा धर्म है, इसके लगभग 2.4 अरब अनुयायी हैं, जो पूरी दुनियां के लगभग 7.2 अरब लोगों में से हैं, दुनिया की लगभग एक-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और विश्व में सबसे बड़ा धर्म है, जिसमें कैथोलिक चर्च, प्रोटेस्टेंटिज़म और पूर्वी रूढ़िवादी चर्च होने वाले ईसाई में तीन सबसे बड़े समूह हैं, मगर जल्द ही इस्लाम इसको पीछे छोड़ देगा.
ये जानकारी इतिहास की पुस्तकों से ली गई है, हम दावा नहीं करते जो कुछ हमने लिखा है वही सच है, हां हमने सच को पहचान कर लिखने की कोशिश की है, कुछ शब्दों का चयन ग़लत हो सकता है हम इसके लिए मांफ़ी चाहते हैं.
एस एम फ़रीद भारतीय
सम्पादक आवाज़ दो न्यूज़ नेटवर्क इंडिया
आपको ये लेख कैसा लगा हमें ज़रूर बतायें
शुक्रिया...!
No comments:
Post a Comment
अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !